आपका बच्चा भी अगर पढ़ने में कमज़ोर है खाना नहीं खाता है तो इससे बनेगी बात

आपका बच्चा अगर पढ़ने में कमज़ोर है या कुछ भी वो याद नहीं कर पाता है तो सम्भव है उसमें एकाग्रता की कमी हो। चिड़चिड़ापन और ठीक से खाना नहीं खाना आम बात है। योग से न सिर्फ ये सभी परेशानी दूर होगी बल्कि मौसमी बीमारियों से भी बच्चा सुरक्षित रहेगा।

Dr. Narendra TiwariDr. Narendra Tiwari   18 Aug 2023 9:24 AM GMT

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आपका बच्चा भी अगर पढ़ने में कमज़ोर है खाना नहीं खाता है तो इससे बनेगी बात

आपका बच्चा भी मोबाइल फोन और टीवी के बिना खाना नहीं खाता है? पढ़ने से भी भागता है? अगर ऐसा है तो उसे दिमाग और पेट से जुड़ी बीमारियाँ आगे दिक्कत दे सकती हैं।

चिंता की कोई बात नहीं है। अगर एक खेल की तरह अभी से अपने बच्चे में आसन की आदत डाल देंगे तो उसे अपने जीवन की हर चुनौती फिर खेल ही नज़र आएगी। सिर्फ 20 से 30 मिनट आसन के रोज़ अभ्यास से ध्यान समय और एकाग्रता में तेज़ी से सुधार होता है, जो बच्चों के लिए उपयोगी हो सकता है क्योंकि सीखना और शिक्षा उनकी बढ़ती प्रक्रिया का हिस्सा है। आसन न केवल बच्चों के फोकस (एकाग्रता) को बेहतर बनाने में सहायक है बल्कि उन्होंने जो सीखा है उसे याद रखने में भी मदद करता है।

बदलती जीवन शैली में बच्चों के लिए अच्छे स्कूल और कपड़ों का ध्यान तो हम रखते हैं लेकिन शरीर के लायक पौष्टिक घर का खाना और एक्सरसाइज (कसरत) पर कम ही ध्यान देते हैं। जरुरत से ज़्यादा फोन और टेलीविज़न के इस्तेमाल से आँखों और दिमाग पर ख़राब असर पड़ता है इसे जानते सभी है, लेकिन अक्सर खुद की सहूलियत के लिए बच्चों को फोन या टीवी पर गेम देखने देते हैं। इसे कम करना होगा।

योग (आसन) की शुरुआत से आप इसे आसानी से कर लेंगे।

इन आसनों से बढ़ेगा बच्चों का कौशल और आत्मविश्वास

1. प्राणायाम

सबसे पहले बच्चा बैठने के लिए साफ जगह पर मैट या कोई अन्य कपड़ा बिछा लें फिर दोनों घुटनों को मोड़कर (पद्मासन) बैठ जाएं। इसके बाद अपने दोनों हाथों को घुटनों के ऊपर रखें। इस दौरान रीढ़ की हड्डी सीधी होनी चाहिए। अब आंखें बंद करके मन में ध्यान करे । मन शांत होते ही हल्के-हल्के लंबी गहरी सांस लें। इस दौरान मुंह बिल्कुल नहीं खोलना है। फिर सांस को धीरे-धीरे छोड़ें। सांस को छोड़ते समय पेट को अंदर की ओर जरूर खींचें ,अब इसे दोहराते रहें। शुरुआत में 5 काफी है फिर अपनी अपनी सुविधा से करें।

अगर ठीक से इसे किया जाए तो इसका असर 4-5 दिन में दिखने लगता है। शरीर से सुस्ती गायब हो जाती है। धीरे-धीरे स्टेमिना के साथ ऊर्जा बढ़ी हुई नजर आना भी इसकी पहचान है।

2. वृक्ष मुद्रा या वृक्षासन

दोनों पांव और हाथ मिलाकर बच्चा सीधे खड़े हो जाए। दायां पांव घुटने से मोड़ते हुए दाएं पांव की एड़ी को बायीं जांघ के मूल में रखें । पांव को मोड़ने के लिए हाथों का सहारा ले सकते हैं। दोनों हाथ कंधे के बराबर ऊंचाई पर फैलाकर हथेलियों का रुख आसमान की ओर करें। हाथों को सिर के ऊपर सीधे रखते हुए नमस्कार की मुद्रा में मिला लें। शरीर को स्थिर रखने के लिए साँस को नियंत्रित करें और नज़र को एक ¨बिंदु पर स्थिर करें। तीन से दस धीमी, गहरी साँसों तक या जब तक बच्चा सक्षम हों तब तक संतुलन बनाये रखे। शुरुआत एक- दो मिनट से करे बाद में क्षमतानुसार आसन रोकने का समय बढ़ा सकते हैं ।

इससे मानसिक एकाग्रता बढ़ेगी और रीढ़, पेट ठीक रखता है। बच्चे के पांवों की मांस-पेशियों को भी इससे मजबूती मिलती है।

3. मेंढक मुद्रा या मंडूकासन

मंडूकासन को करने के लिए बच्चा सबसे पहले जमीन पर वज्रासन में बैठ जाएं। फिर अपने हाथों की मुट्ठी बंद कर लें। अब अपनी दोनों मुठ्ठियों को नाभि के बीच में रखें और गहरी-लंबी सांस लें। अब सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें और पेट को अंदर खींचें। इस दौरान सुनिश्चित करें कि बच्चे की छाती जांघों को छू रही हों। थोड़ी देर इसी स्थिति में रहने के बाद प्रारंभिक अवस्था में वापस आ जाएं। इस प्रक्रिया को 4-5 बार दोहराएं।

मंडूकासन के रोज अभ्यास से पेट में गैस, कब्ज और अपच जैसी पाचन संबंधी समस्याओं से निजात मिलती है। सुबह इस आसन को करने से पेट ठीक तरह से साफ होता है।

4. मरीच्यासन

चटाई पर दोनों पैरो को आगे की ओर सीधा फैला कर बैठ जाएं। गर्दन और कमर को सीधा रखें तथा दोनों हाथों को बगल में रख दें। अब किसी एक पैर को घुटने की तरफ से मोड़ें। बच्चे के पैर का घुटना उसके सीने से स्पर्श होना चाहिए, दूसरे पैर को सीधा रखें। अब जिस पैर को सीधा रखा है, उस दिशा में बच्चा अपने ऊपरी शरीर को झुकाएं। अब अपने हाथों को पीछे की तरफ मोड़कर पैर के घुटने को जकड़े रखें। गहरी सांस लें, फिर सांस रोककर इस स्थिति में 10 से 20 सेकंड तक बने रहें। फिर सांस छोड़कर साधारण स्तिथि में आ जायें। इस क्रिया को बारी-बारी से दोनों पैरो के साथ करें। (पीठ के निचले हिस्से में दर्द की परेशानी या दस्त हो तो न करें)

मरीच्यासन करने से पहले शव आसन कर सकते हैं। मरीच्यासन के नियमित अभ्यास से तनाव खत्म होता है।

5. नटराजासन

माउंटेन पोज़ से इसकी शुरुआत करें। एक पैर ऊपर झुकाएं और उस पैर को अपने हाथ से पकड़ें। शरीर को सीधा रखें और अपने खाली हाथ को अपने सिर के ऊपर उठाएं। अपना संतुलन बनाए रखते हुए अपने उठे हुए पैर को छत की ओर खींचते हुए आगे झुकने का प्रयास करें। धीरे से अपने पैर को छोड़ें और अपने हाथों को अपनी बगल में लौटा लें।

इसे बच्चा अपनी विपरीत दिशा में दोहराएँ।

नटराजासन ऐसा आसन है, जिसमें शारीरिक संतुलन की बड़ी भूमिका होती है। इस आसन को करते समय आपके शरीर का पूरा भार सिर्फ एक पैर पर होता है। इस आसन को रोज़ करने से शरीर के संतुलन में सुधार होता है। लेकिन किसी बीमारी में इसे न करें। अगर संभव हो तो एक बार इन आसनों के चित्र या वीडियो बच्चे को दिखा दें जिससे उसे समझने में आसानी होगी।

योग एक साधना है जिसे आज पूरे विश्व में मान्यता मिली है। भारत के इस धरोहर को अगर नयी पीढ़ी ठीक से अपना ले तो सिर्फ परिवार ही नहीं पूरा देश स्वस्थ हो जायेगा। जरुरत है बच्चों में भी रोज़ाना योगाभ्यास करने की आदत डालने की।

(लेखक काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय, वाराणसी में योग विभाग के पूर्व अध्यक्ष हैं। )


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