बच्चों को सिखा रहीं सफाई के गुर

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बच्चों को सिखा रहीं सफाई के गुर

शाहजहांपुर। ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को स्वच्छता के गुर सिखाने के लिए निकहत परवीन और दपिन्दर कौर पिछले अठारह वर्षों से काम कर रही है। इसके साथ गाँव को किस तरह स्वच्छ रखा जाए इसके वे जागरुक करती हैं।

शाहजहांपुर जिला मुख्यालय से लगभग पांच किलोमीटर दूर पूर्व दिशा के सदर बाजार निवासी निकहत जिला स्काउट मास्टर है और दपिन्दर जिला गाइड कैप्टन है। दपिन्दर बताती हैं, ''शहर के स्कूल में बच्चों को स्वच्छता के लिए गाइड कर दिया जाता है लेकिन गाँव के बच्चों को गाइड करने के लिए कोई नहीं होता है इसलिए इस काम को हमने चुना। सफाई की आदत से गंदगी से होने वाली कई बीमारियों को रोक सकते हैं।"

दोनों महिलाओं ने जिले के लगभग 50-60 गाँव के स्कूलों में जाकर बच्चों को सफाई कैसे करे इसके बारे में सिखाया, साथ ही स्वच्छता में प्रयोग होने वाली सभी सम्बंधित सामग्री (कूड़ेदान का डिब्बा, डिटॉल साबुन, तौलिया, नेलकटर, कंघा) आदि कई चीज़ें भी उपलब्ध कराई है। जिले में 2200 प्राथमिक विद्यालय, 900 जूनियर विद्यालय और 16 कस्तूरबा विद्यालय है। 

दपिन्दर बताती हैं,''अभी तो कुछ ही स्कूलों में यह कार्यक्रम चला रहे है पर जल्द ही कई दूसरे स्कूलों में भी यह कार्यक्रम शुरू करेंगे।"

ग्रामीण स्कूल के बच्चों को स्वच्छता के प्रति जागरुक करने के लिए दपिन्दर और निकहत को सम्मानित भी किया जा चुका है। स्वच्छता बनी रहे इसके लिए  स्कूल के बच्चों का ही समूह बनती है जिसमे पांच बच्चे होते है उनमे से एक बड़ा होता है। जिन बच्चों का समूह बनाया जाता है वह प्रार्थना सभा, रसोईघर, शौचालय में खड़े होते है। निकहत बताती हैं, ''समूह तैयार करने से बच्चों में भी जागरूकता रहती है और वो नियम से काम करते है।" वे आगे बताती हैं, ''बच्चों को हाथ धोने के तरीके, हाथ न धोने से फैलने वाली बीमारियों के बारे में चार्ट पोस्टर जैसे कई आकर्षक वस्तुओं से उन्हे शिक्षित करते हैं।" गाँव-गाँव जाकर बच्चों को जागरूक करने में आने वाले खर्च के बारे दपिन्दर बताती हैं, ''सरकारी विद्यालयों में साल में एक बार मैन्टीनेन्स के लिए 5000 रुपए आते है जिनसे स्वच्छता कार्यक्रम में जरुरी जो सामग्री खरीदते हैं।"

दपिन्दर और निकहत ने कस्तूरबा विद्यालय की लड़कियों के साथ मिलकर स्वच्छता पर मॉडल भी बनाया है, जिसको जनपद और मंडल में सम्मानित किया गया है और अब उस मॉडल को राज्य स्तर पर गाजि़याबाद भेजा गया। मॉडल में एक स्वच्छ गाँव और एक स्वच्छ विद्यालय बनाया गया है। 

बच्चों के साथ-साथ दपिन्दर और निकहत गाँव में महिलाओं को भी जागरूक करती है। निकहत बताती हैं, ''अभी भी गाँव की महिलाएं मासिक धर्म के दौरान कैसे रहे इसकी जागरूकता उनमें नहीं है, हम महिलाओं को जागरूक करते है जरुरत पडऩे पर नैपकिन भी बांटते हैं।"

दुनियाभर में सामाजिक मुद्दों पर सर्वे कराने वाली संस्था नीलसन के साल 2011 में भारत में किए गए एक अध्ययन के अनुसार 81 फीसदी ग्रामीण महिलाएं मासिक धर्म के दौरान कपड़े का प्रयोग करती हैं।

 

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