भारत में खुशियां तलाशती अफ़गानी खाला

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
भारत में खुशियां तलाशती अफ़गानी खालागाँव कनेक्शन

नई दिल्ली। अपने पति को खो चुकीं अफगानिस्तान की खाला जादा लैपिस लैज्युली (गहरे नीले रंग के पत्थर) के छोटे-छोटे मोतियों की मदद से हाथ से आभूषण बनाकर और बेचकर पिछले 17 वर्षों से दिल्ली में आठ सदस्यों वाले अपने परिवार का भरण पोषण कर रही हैं।

खाला (50 वर्ष) शहर के आम्रपाली स्टोर में इस पत्थर के बने आभूषणों का संग्रह पेश करने के लिए एक प्रदर्शनी में हिस्सा ले रही हैं। उन्होंने आभूषण बनाने की यह कला अपने एक पड़ोसी से सीखी थी,जो काबुल में अब लघु स्तर एक कारोबार चलाता है। यह संग्रह आम्रपाली और अफगानिस्तान की आयेंदा ज्वैलरी कोआपरेटिव के बीच साझीदारी के तहत प्रदर्शित किया गया है। स्थानीय अफगान महिलाएं आयेंदा ज्वैलरी कोआपरेटिव की सदस्य हैं।

खाला कहती हैं, ‘‘मैं बचपन से ही घर के कामों के साथ गलीचे बनाने का काम करती थी। मैं अब दिन के 10 घंटे आभूषण बनाती हूं और शेष समय घर को देती हूं। मैं ऐसा करने वाली अकेली महिला नहीं हूं।’’ वो आगे बताती हैं कि मेरे गाँव में लगभग हर महिला अपने परिवार की मदद करने के लिए और अपनी पारिवारिक आय में योगदान देने के लिए यह करती है।

खाला ने वर्ष 2013 में 35 अन्य कलाकारों के साथ जयपुर के इंस्टीट्यूट ऑफ जेम्स एंड जूलरी में आभूषण डिजाइन करने का प्रशिक्षण लिया था। खाला बताती हैं,‘‘भारत में मेरा प्रशिक्षण यादगार रहा है और मेरी यहां कई महिलाओं के लिए अच्छी मित्रता हो गई है। न तो मुझे और न ही मेरी बेटियों को शिक्षा मिल सकी। जो मैंने सीखा है, उसे मैं अपने देश की महिलाओं को सिखाना चाहती हूं,ताकि वे आजीविका कमा सकें।’’

आम्रपाली के दिल्ली संचालन की प्रमुख सुमन खन्ना ने कहा, ‘‘यहां प्रशिक्षण लेने के बाद खाला ने 360 महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है और इनमें से कई इस प्रतिभा के जरिए अपने परिवार की मदद कर रही हैं।’’ 

उन्होंने बताया कि उन्हें अपने बेटों से जयपुर जाने की अनुमति देने के लिए उन्हें दो महीने तक मनाना पड़ा लेकिन अब वह इस कला का प्रयोग अफगानिस्तान में लोगों को प्रशिक्षित करने में करती हैं।

 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.