बिजली-पानी के बिना जी रहे डेढ़ हजार लोग

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बिजली-पानी के बिना जी रहे डेढ़ हजार लोग

इटावा। मुख्यमंत्री के गृह जनपद इटावा के गिहार नगर के लोग आज भी आदिवासियों की तरह जीवन जीने को मजबूर हैं। गाँव में न तो पीने का शुद्ध पानी है और न ही घरों को रोशन करने के लिए बिजली की व्यवस्था। इस गाँव में एक भी स्कूल नहीं है।

सूबे के मुखिया अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने की बात तो करते हैं लेकिन उनके गृह जनपद का ही हाल उत्तम नहीं दिख रहा है। भरथना विकास खंड की भरथना ग्रामीण ग्राम पंचायत का मजरा गिहार नगर के वाशिंदों तक आज भी विकास की किरण नहीं पहुंच सकी है। यहां के लोगों की जिंदगी आज भी झोपडिय़ों में ही बीत रही है। तकरीबन डेढ़ हजार की आबादी वाले इस मजरा में अधिकाधिक संख्या में तो कंजड़ जाति के लोग हैं और इसके बाद वाल्मीकि व जाटव जाति के लोग रहते हैं। गिहार नगर की निवासी लक्ष्मी देवी बतातीं हैं, ''यहां के लोगों का दुख-दर्द समझने वाला कोई नहीं है। गलियों में प्रदूषित पानी बहता रहता है। बेमौसम होने वाले इस जलभराव के चलते संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा लगातार सिर पर मंडराता रहता है। हमारे बच्चे इसी गंदे पानी में खेलने, खाने-पीने को मजबूर होते हैं। विकास के वास्ते यदि ग्राम प्रधान से कोई मनुहार की भी जाए तो उसके कोई मायने ही नहीं हैं।"

यह गिहार नगर मजर का दुर्भाग्य ही है कि सरकारों की बदइंतजामी के चलते यहां की नई पीढ़ी के लिए पढऩे के भी कोई इंतजाम नहीं हैं। शायद यही वजह है कि यहां की युवा पीढ़ी निरक्षर है। गिहार नगर के युवा रवि कुमार ने आर्थिक बदहाली के बावजूद तमाम दिक्कतों का सामना करते हुए किसी प्रकार भरथना कस्बा जाकर इंटरमीडिएट की शिक्षा तो हासिल कर ली, परंतु संसाधनों के अभाव उच्च शिक्षा का ख्वाब अभी अधूरा ही है। रवि कहते हैं, ''मैं पढ़-लिखकर किसी मुकाम तक पहुंचना चाहता हूँ, मगर मेरे परिवार की माली हालत एेसी नहीं हैं कि आगे की शिक्षा पूरी कर सकू और क्षेत्र में ऐसे संसाधन भी नहीं है कि मेरी यह हसरत पूरी हो सके।"

मुख्य रूप से मधुमक्खियों के छत्ते तोड़कर शहद निकाल कर बेचना यहां के लोगों का मुख्य पेशा है। इसके अलावा यहां के लोग प्लास्टिक की रस्सी व मूंज की झाडऩ बेचकर परिवार का लालन-पालन करते हैं। इस मजरे के कुछ युवा हालात प्रतिकूल होने पर चोरी जैसे अपराधों को अंजाम देने से नहीं हिचकते हैं। मजरा गिहार नगर के बुजुर्ग सूबेदार बताते हैं, ''नशे की लत युवाओं को अपराध की ओर आकर्षित कर रही है। इन हालातों में परिवार बिखर रहे हैं। यदि शासन-प्रशासन युवा पीढ़ी की ओर क्षणिक भी ध्यान दें तो इन भटकते युवाओं को राह मिल सकती है।" आगे बताते हैं, ''यहां पर पानी का कोई इंतजाम नहीं है। एक सरकारी हैंडपंप है, वो भी खराब पड़ा है। कई बार नेता यहां पर आए, सबसे शिकायत की लेकिन आज तक समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं।"

रिपोर्टर - मसूद तैमूरी

 

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