हिमालय क्षेत्र में हुई है बरसात में वृद्धि, हिमपात में गिरावट

वसंत के दौरान बर्फ गिरने के बजाए अगर बारिश में वृद्धि होती है, तो इसके कारण हिमनद जल्दी पिघलते हैं। हिमनदों के पिघलने की दर बढ़ने के कारण हिमस्खलन और आकस्मिक बाढ़ में तेजी आती है।

India Science WireIndia Science Wire   2 April 2022 10:25 AM GMT

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हिमालय क्षेत्र में हुई है बरसात में वृद्धि, हिमपात में गिरावट

सभी फोटो: क्रिएटिव कॉमन्स

पिछले कुछ वर्षों में हिमालय में होने वाले हिमपात में कमी आयी है, जबकि वर्षा की मात्रा बढ़ी है। इसकी वजह से आकस्मिक बाढ़ जैसी घटनाएं बढ़ सकती हैं।

केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी; राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान; राज्य मंत्री प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष, डॉ जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी है।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत राष्ट्रीय ध्रुवीय और समुद्री अनुसंधान केंद्र (एनसीपीओआर) के अध्ययन का हवाला देते हुए केंद्रीय मंत्री ने बताया है कि पश्चिमी हिमालय के चार ग्लेशियर बेसिन (चंद्रा, भागा, मियार और पार्वती) क्षेत्र में वर्ष 1979 से 2018 के दौरान वर्षण में समग्र रूप से गिरावट की प्रवृत्ति देखी गई है। हालांकि, वर्षण में गिरावट की प्रवृत्ति एकपक्षीय नहीं है, और अपक्षरण (ग्रीष्म) ऋतु (15.4 प्रतिशत) की तुलना में संचयन (शीत) ऋतु के दौरान वर्षण में 23.9 प्रतिशत कमी देखी गई है।


वसंत के दौरान हिमपात के स्थान पर वर्षा में वृद्धि के परिणामस्वरूप हिमनद जल्दी पिघलते हैं। हिमनदों के पिघलने की दर बढ़ने के परिणामस्वरूप हिमस्खलन और आकस्मिक बाढ़ की आवृत्ति और परिमाण में तेजी आ सकती है। इन आपदाओं से निपटने के लिए सरकार द्वारा अपनाये जाने वाले उपायों से संबंधित प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय मंत्री ने संसद को जानकारी देते हुए कहा कि हिमस्खलन, भूस्खलन प्राकृतिक घटनाएं हैं, जिन्हें रोका नहीं जा सकता है। तथापि, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय एवं रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत विभिन्न संस्थानों द्वारा वर्षा और हिमपात संबंधी पूर्व चेतावनी व पूर्वानुमान जारी किए जा रहे हैं।

डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय इन क्षेत्रों के लिए मौसम पूर्वानुमान चेतावनियां जारी करता है, और पारिस्थितिकीय क्षति व संवहनीय पर्यटन गतिविधियों से संबंधित अन्य उपायों का प्रबंधन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा पर्यटन मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है।

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