उच्चतम न्यायालय ने लागू की मध्यम आय समूह योजना, कम पैसे में मिलेगी कानूनी मदद 

Swati ShuklaSwati Shukla   27 Feb 2017 4:46 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
उच्चतम न्यायालय ने लागू की मध्यम आय समूह योजना, कम पैसे में मिलेगी कानूनी मदद कम पैसे में मिलेगी कानूनी मदद।

स्वयं डेस्क प्रोजेक्ट

लखनऊ। गरीब आय वर्ग और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए देश में कानूनी सहायता लेना आसान हो गया है। उच्चतम न्यायालय ने मध्यम आय समूह योजना लागू की है। यह आत्म समर्थन देने वाली योजना है और इसके तहत 60,000 रुपए प्रति महीने और 7,50,000 रुपए वार्षिक आय से कम आय वाले लोगों को कानूनी सहायता सीमित खर्च में दी जाएगी।

पारिवारिक न्यायालय बार एसोशिएशन के पूर्व प्रमुख सुरेश नारायण मिश्र बाताते हैं, “सुप्रीम कोर्ट ने गरीबों को कानूनी सहायता देने में बहुत आसानी कर दी है। पहले कोई मानक नहीं था, लेकिन अब यह तय कर दिया गया है कि वकील कम पैसों में गरीबों की सहायता करेंगे, जो काम 25 से 50 हजार रुपए में करते थे वो काम अब 15 हजार में हो ही होगा।”

देश-दुनिया से जुड़ी सभी बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करके इंस्टॉल करें गाँव कनेक्शन एप

योजना में पारदर्शिता लाने के लिए सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860(2) के अन्तर्गत सोसायटी के प्रबंधन का दायित्व गवर्निंग बॉडी के सदस्यों को दिया गया है। गवर्निंग बॉडी में भारत के प्रधान न्यायाधीश संरक्षक होंगे। अटार्नी जनरल पदेन उपाध्यक्ष होंगे। सॉलिसीटर जनरल ऑफ इंडिया मानद सदस्य होंगे और उच्चतम न्यायालय के अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता सदस्य होंगे। उच्चतम न्यायालयों के नियमों के अनुसार न्यायालय के समक्ष याचिका केवल एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड के जरिये दाखिल की जा सकती है।

सिर्फ 500 रुपए देना होगा भुगतान

आवेदक को सेवा शुल्क के रूप में उच्चतम न्यायालय मध्य आय समूह कानूनी सहायता सोसाइटी (एससीएमआईजीएलएएस) को 500 रुपए का भुगतान करना होगा। आवेदक को सचिव द्वारा बताई गई फीस जमा करानी होगी। यह योजना में संलग्न अनुसूची के आधार पर होगी। एमआईजी कानूनी सहायता के अंतर्गत सचिव याचिका दर्ज करेंगे और इसे पैनल में शामिल एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड/दलील पेश करने वाले वकील/वरिष्ठ अधिवक्ता को भेजेंगे।

योजना के लाभ के लिए भरना होगा फार्म

ये योजना उन लोगों के लिए है जो उच्चतम न्यायालय में मुकदमों का खर्च नहीं उठा सकते, वे कम राशि देकर सोसाइटी की सेवा ले सकते हैं। इस योजना के लाभ पाने के लिए व्यक्ति को निर्धारित फार्म भरना होगा और इसमें शामिल सभी शर्तों को स्वीकार करना होगा।

आकस्मिक निधि बनाई जाएगी

योजना के अनुसार, याचिका के संबंध आने वाले विभिन्न खर्चों को पूरा करने के लिए आकस्मिक निधि बनाई जाएगी। याचिका की स्वीकृति के स्तर तक आवेदक को इस आकस्मिक निधि में से 750 रुपए जमा कराने होंगे। यह सोसाइटी में जमा किये गये शुल्क के अतिरिक्त होगा। यदि एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड यह समझते हैं कि याचिका आगे अपील की सुनवाई योग्य नहीं है, तो समिति द्वारा लिये गये न्यूनतम सेवा शुल्क 750 रुपए को घटाकर पूरी राशि चेक से आवेदक को लौटा दी जाएगी।

यदि योजना के अन्तर्गत नियुक्त अधिवक्ता सौंपे गये केस के मामले में लापरवाह माने जाते हैं तो उन्हें आवेदक से प्राप्त फीस के साथ केस को वापस करना होगा। इस लापरवाही की जिम्मेदारी सोसाइटी पर नहीं होगी और मुवक्विल से जुड़े अधिवक्ता की पूरी जिम्मेदारी होगी। अधिवक्ता का नाम पैनल से समाप्त कर दिया जाएगा।

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

  

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.