देश में तेज़ी से बढ़ रही बाल अपराधियों की संख्या
गाँव कनेक्शन 29 April 2016 5:30 AM GMT

नई दिल्ली (भाषा)। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ साल 2012 से 2014 के बीच अलग-अलग अपराधों के सिलसिले में 1.30 लाख से अधिक बच्चे पकड़े गए और उनमें से करीब 27,000 को पर्यवेक्षण गृहों और विशेष गृहों में भेजा गया।
महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने गुरुवार को राज्यसभा को बताया 'गृह मंत्रालय के तहत आने वाले राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो के अनुसार भारतीय दंड संहिता और विशेष एवं स्थानीय कानूनों के तहत गंभीर अपराधों सहित विभिन्न अपराधों में वर्ष 2012 के दौरान 39,822 बच्चे पकड़े गए जबकि वर्ष 2013 में 43,506 और 2014 में 48,230 बच्चे पकड़े गए। इनमें से 9677,9549 और 8700 बच्चों को पर्यवेक्षण गृहों और विशेष गृहों में भेज दिया गया।' एक प्रश्न के लिखित उत्तर में मेनका ने बताया कि सरकार ने किशोर न्याय बच्चों की देखभाल एवं सुरक्षा कानून 2015 लागू किया है जो किशोर न्याय बच्चों की देखभाल एवं सुरक्षा कानून 2000 को निरस्त करने के बाद अस्तित्व में आया है।
उन्होंने बताया कि केंद्र द्वारा प्रायोजित एकीकृत बाल सुरक्षा योजना के तहत वित्तीय मानकों को समीक्षा के बाद एक अप्रैल 2014 से लागू किया गया। इसके अनुसार, गृहों में बच्चों के लिए प्रबंधन अनुदान 750 रुपये प्रति बच्चा प्रति महीने से बढ़ा कर 2000 रुपये प्रति बच्चा प्रति महीना कर दिया है।
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