पिछली सरकारों के पूरे कार्यकालों से अधिक वर्तमान सरकार ने की एमएसपी पर फसलों की खरीद: योगी आदित्यनाथ

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा लाये गये कृषि कानूनों का फायदा किसानों को मिलेगा। इससे उनकी आय बढ़ेगी और वे खुशहाल बनेंगे।

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UP Budget Session, UP Budget Session 2021, CM Yogi Adityanath, CM Yogi Adityanath Fires on Opposition, Land Grabbing, Samajwadi Party MLC,  UP Politics, Lucknow, बजट सत्र, सीएम योगी आदित्यनाथ,  किसानों की जमीन पर कब्जा करने वाले अब बने हैं हितैषीउत्तर प्रदेश विधानमंडल में बोलते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। (फोटो- सोशल मीडिया)

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश विधानमंडल बजट सत्र के दूसरे दिन कहा कि वर्तमान राज्य सरकार के कार्यकाल में हर वर्ष न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की जितनी खरीद हुई है उतनी तो पिछली सरकारों के पूरे कार्यकाल में नहीं की गई। किसान राज्य सरकार की प्राथमिकता हैं।

शक्रवार 19 फरवरी को विधानमंडल बजट के दोनों सत्रों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कृषि कानूनों को किसानों के हित में बताते हुए विपक्ष के सवालों पर पलटवार किया। उन्होंने बिना किसी राजनीतिक पार्टी का नाम लिए कहा कि कृषि कानूनों को किसी किसानों को दिक्कत नहीं है। किसान संगठन तो कई बार कृषि कानूनों का समर्थन कर चुके हैं, दिक्कत है तो बिचौलियों को क्योंकि अब पैसा सीधे किसानों को मिलेगा।

उन्होंने आगे कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा लाये गये कृषि कानूनों का फायदा किसानों को मिलेगा। इससे उनकी आय बढ़ेगी और वे खुशहाल बनेंगे। हमारे प्रदेश सरकार की भी किसान पहली प्राथमिकता हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगे कहा कि जब देश गणतंत्र दिवस मना रहा था, उस दिन लाल किले पर तिरंगे का अपमान हुआ। देश के संवैधानिक प्रतीकों का असम्मान हुआ। क्या यह किसान आंदोलन की आड़ में देश की छवि को खराब करने की साजिश नहीं है। इसी कारण कोई भी स्वाभिमानी समाज इसको स्वीकार नहीं कर सकता है। जहां तक किसानों के हित की बात है कि उत्तर प्रदेश में एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स ने हजारों हेक्टेयर भूमि को भू-माफियाओं से मुक्त कराया है। विपक्षी दलों की सरकारों के समय जबरन कब्जा की गईं यह अधिकतर जमीनें, किसानों और सार्वजनिक भूमि का हिस्सा थीं। चिंता की बात है कि अन्नदाता किसान नहीं व्यक्त कर रहा है बल्कि किसान को धोखा देकर दलाली करने वाले लोग आज जरूर इस बात को लेकर चिंतित हैं कि धन सीधे किसानों के बैंक खातों में क्यों जा रहा है। उनकी चिंता के पीछे सद्भावना नहीं दुर्भावना है।

उन्होंने कहा कि गेहूं और धान की खरीद के लिए बड़ी संख्या में क्रय केन्द्र स्थापित करते हुए बड़े पैमाने पर खरीद की गयी। किसानों को उनकी उपज के मूल्य का भुगतान डीबीटी के माध्यम से उनके खातों में किया जा रहा है। अब बिचौलियों की कोई भूमिका नहीं रह गयी है। केन्द्र सरकार द्वारा एमएसपी का निर्धारण करते हुए बड़े पैमाने पर सरकारी खरीद की जा रही है। जितना प्रोक्योरमेन्ट पिछले साढ़े तीन वर्षाें में हुआ है, उतना पिछली सरकारों के कार्यकाल में नहीं हुआ।

यह भी पढ़ें- गन्ना किसानों का दर्द: "गन्ने की खेती छोड़कर हम क्या लगाएं, धान भी तो 1000 रुपए क्विंटल बेचा है"

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि उनकी सरकार किसानों की खुशहाली के लिए कैसे प्रयास कर रही है उसे ऐसे समझा जा सकता है कि कोरोना के समय भी प्रदेश में गेहूं क्रय केंद्र शुरू रहे। सभी 119 चीनी मिलों में गन्ने की पेराई होती रही। वर्ष 2004 से 2017 के बीच जितने गन्ना मूल्य का भुगतान किया गया, उससे अधिक गन्ना मूल्य का भुगतान विगत साढ़े तीन वर्षों में किया गया है। आज किसानों का भुगतान डीबीटी के माध्यम से किया जा रहा है। गन्ना किसानों को पर्ची मोबाइल पर मिल रही है।

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