“कृषि ऋण माफी योजना सरकारों की एक चतुर चाल है”

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“कृषि ऋण माफी योजना सरकारों की एक चतुर चाल है”किसानों के विरोध प्रदर्शन को संबोधित करते कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा।

लखनऊ। मोहाली में पंजाब के किसानों (बीकेयू राजवालय द्वारा आयोजित) के बड़े विरोध प्रदर्शन को संबोधित करते हुए लेखक प्रख्यात खाद्य एवं निवेश नीति विश्लेषक देविंदर शर्मा ने कहा कहा कि क्यों जीडीएसपी के 3% राजकोषीय घाटे की सीमा कॉर्पोरेट ऋण छूट के लिए लागू नहीं है? राज्य सरकारों को केवल कृषि ऋणों के लिए ही वित्तीय संसाधनों को खोजने के लिए क्यों कहा जाता है? लेकिन जब कॉर्पोरेट्स की बात आती है तो ऐसा कोई प्रावधान मौजूद नहीं है।

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न ही वे राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) अधिनियम 2003 के तहत आते हैं, जो राज्यों को राजकोषीय घाटे से 3% तक अधिक नहीं होने पर रोकते हैं। यह एक चतुर चाल है कि न्यूनतम कृषि ऋण माफ कर दिया गया है। पंजाब, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के कृषि ऋण छूट का मामला देख सकते हैं।

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इन सभी राज्यों में कुल 75,000 करोड़ रुपए के कृषि ऋण को माफ करने के तरीकों और तरीकों की तलाश करने के लिए दबाव है, जबकि 81,000 करोड़ रुपए के कॉर्पोरेट ऋण 2016-17 के लिए चुपचाप लिखे गए हैं और कोई राज्य को बोझ लेने के लिए नहीं कहा गया है। यदि कृषि राज्य का विषय है और इसलिए एफआरबीएम अधिनियम उद्योग भी एक राज्य का विषय होना चाहिए। इसी तरह खेती के खिलाफ भेदभाव किया जा रहा है।

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