पुणे: कृषि विभाग ने किसानों को जल्द फसलों की बुवाई नहीं करने की दी चेतावनी, ये है बड़ी वजह

महाराष्ट्र के कृषि विभाग ने किसानों को अपने बुवाई कार्यों में देरी करने की सलाह दी है क्योंकि राज्य में मानसून देरी से आने की संभावना है। यदि मानसून की शुरुआत जून के दूसरे सप्ताह में नहीं आती है तो उड़द और मूंग की फसलें प्रभावित होने की पूरी संभावना है।

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पुणे: कृषि विभाग ने किसानों को जल्द फसलों की बुवाई नहीं करने की दी चेतावनी, ये है बड़ी वजह

लखनऊ/पुणे। महाराष्ट्र के कृषि विभाग ने किसानों को अपने बुवाई कार्यों में देरी करने की सलाह दी है क्योंकि राज्य में मानसून देरी से आने की संभावना है। यदि मानसून की शुरुआत जून के दूसरे सप्ताह में नहीं आती है तो उड़द और मूंग की फसलें प्रभावित होने की पूरी संभावना है। ऐसा इसलिए क्योंकि किसान तब तक बुवाई का काम सामान्य रूप से खत्‍म कर लेते हैं।


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इंडियन एक्‍सप्रेस की खबर के अनुसार भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department ) ने केरल में मॉनसून आने के लिए 6 जून की तिथि अस्थायी रूप से तय की है। जो अपने तय दिन से 7 दिन लेट है हालांकि आमतौर पर 1 जून को मानसून आ जाता है। केरल में इसकी शुरुआत होने के साथ ही सात दिनों के भीतर मानसून महाराष्ट्र और मध्य भारत के अन्य हिस्सों में पहुंच जाता है। चूंकि शुरुआत की तारीख में देरी हो रही है, इसलिए मानसून के जून के दूसरे सप्ताह तक महाराष्ट्र में पहुंचने की उम्मीद है।

कृषि आयुक्त सुहास दिवसे ने बताया कि मानसून में देरी होने के कारण किसानों को सलाह दी गई है कि वे फसालों की बुवाई देरी से करें। इसके अलावा, महाराष्‍ट्र सरकार ने एकीकृत कीट प्रबंधन कार्यक्रम (integrated pest management programme) बनाया गया है जो मानसून पूर्व की कपास फसल से खेत में निकलने वाले गुलाबी बोलेवॉर्म संक्रमण को रोकेंगी। विभाग ने मई के अंत तक कपास के बीज की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है ताकि जल्दी बुवाई को रोका जा सके।

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महाराष्ट्र में किसानों के लिए खरीफ फसल सोयाबीन, अरहर, गेहूं, मूंग, उड़द और कपास के लिए यह प्रमुख मौसम है। इनमें से मूंग और उड़द की बुवाई जल्दी होती है, किसानों के पास कम अवधि की फसलें होती हैं जिसकी आमतौर पर जून में बुवाई होती। इस फसल की तीन महीने बाद कटाई होती है। यदि मानसून में देरी होती है, तो फसलों की बुवाई प्रभावित होती है। व्यापारी नितिन कलंत्री ने कहा कि राजस्थान जैसे राज्यों में अच्छी बारिश होती है, वहां मूंग की फसल को ज्यादा नुकसान नहीं हो सकता है।

मानसून में देरी होने पर किसानों के लिए चिंता का विषय है कि उनके पशुओं के लिए पीने का पानी और चारे की कमी है। राज्य में दुग्ध उत्पादन में लगभग 20 प्रतिशत की गिरावट आई है और सूखे चारे की लागत में कई गुना वृद्धि हुई है। अगर बारिश समय पर नहीं होती है, तो आने वाले दिनों में यह संकट और बढ़ जाएगा।

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मानसून में देरी होने से किसानों के लिए एक और चिंता की है कि सब्जियों की फसलों का नुकसान तय है। नासिक बाजार के व्यापारी जगदीश अप्सुंडे ने कहा कि वर्तमान सब्जी की फसल कीटों से पीड़ित हैं। सब्जी की मंडियों में इनका दाम भी बढ़ रहा है क्योंकि फसल में देरी होगी। अगर मानसून में सात दिनों से अधिक की देरी हो जाती है तो बहुत मुश्किल हो जाएंगी।


   

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