बदायूं केस: राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य ने वायरल वीडियो को लेकर अपनी सफाई में क्या कहा?
"मैंने जिस सन्दर्भ में बात कही उसे मीडिया ने तोड़ मरोड़कर पेश किया। मीडिया हमेशा ही मुद्दे से लोगों का ध्यान भटकाती है। ये दिखाने की बजाए कि राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य ने पुलिस की कार्रवाई पर कितने सवाल उठाए?" चंद्रमुखी देवी, राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य
Neetu Singh 8 Jan 2021 1:48 PM GMT
राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य चंद्रमुखी देवी यूपी के बदायूं में आंगनबाडी सहायिका के साथ गैंगरेप और हत्या की पड़ताल करने पहुंची थीं, इस दौरान उन्होंने मीडिया से बात करते हुए एक बयान दिया, जिसकी सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना हो रही है।
सोशल मीडिया पर उनका वायरल बयान है, "किसी के प्रभाव में महिला को समय असमय नहीं पहुंचना चाहिए। सोचती हूँ अगर संध्या के समय वो महिला अकेले न गयी होती या परिवार का कोई बच्चा साथ होता तो शायद आज वो जिंदा होती।"
सात जनवरी को मृतका के परिजनों से मिलने पहुंची राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य चंद्रमुखी देवी ने जब ये बयान दिया, गाँव कनेक्शन संवाददाता भी उस वक़्त वहीं थीं। सोशल मीडिया में उनका वीडियो वायरल होने के बाद गांव कनेशक्शन ने दोबारा उनसे बात की।
उनके 'चर्चित' बयान के बारे में पूछने पर चंद्रमुखी देवी ने सफाई देते हुए कहा- "मैंने जिस सन्दर्भ में बात कही उसे मीडिया ने तोड़ मरोड़कर पेश किया। मीडिया हमेशा सही मुद्दे से लोगों का ध्यान भटकाती है। ये दिखाने की बजाए कि राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य ने पुलिस की कार्रवाई पर कितने सवाल उठाए? मुख्य आरोपी की गिरफ़्तारी के सख्ती से आदेश दिए तभी देर रात वो गिरफ्तार हो पाया।"
उन्होंने आगे कहा, "इस बयान को वायरल करके मीडिया ने सिर्फ लोगों का दिमाग डायवर्ट किया है। मीडिया का ये स्वरुप ठीक नहीं है, मीडिया को अपनी भूमिका समझनी चाहिए। मुद्दे की गम्भीरता को समझना चाहिए कि किस समय किस बात को हाईलाईट करना जरुरी है।"
सवाल: आपने कहा था कि महिलाएं किसी के प्रभाव में आकर बाहर रात में अकेले न निकलें, अगर वो महिला देर शाम अकेले न जाती तो शायद आज जिंदा होती, इसका क्या मतलब है कि जो महिलाएं रात में अकेले निकलेंगी तो उनके साथ इस तरह की घटना हो सकती है?
चंद्रमुखी देवी : मेरा कहने का ये मतलब बिल्कुल नहीं था जो निकाला जा रहा है। सोशल मीडिया पर आलोचना करके मुझे साबित किया जा रहा है मैं महिलाओं की विरोधी हूँ, महिलाओं को अकेले घर से निकलने के लिए मना कर रही हूँ। ये बात मैंने इसलिए बोली क्योंकि मुझे पता चला कि मुख्य आरोपी तांत्रिक है वो झाड़ फूंक करता है। ग्रामीण महिलाएं ज्यादातर ऐसे बाबाओं के प्रभाव में आ जाती हैं। मैं यही कहना चाहना रही थी कि महिलाएं किसी के प्रभाव में न आयें अपने विवेक से काम लें।
Women shouldn't step out in the evening to avoid rape. Women shouldn't step out during day to avoid rape. Women shouldn't study, go to movies, meet friends to avoid rape. Women shouldn't speak up, paint, dance, click selfies to avoid rape. Women shouldn't exist to avoid rape.
— Rohini Singh (@rohini_sgh) January 7, 2021
सवाल: फिर आपने रात में अकेले जाने वाली बात क्यों कही?
चंद्रमुखी देवी : मृतका के बच्चों से मैंने बातचीत की तो उनके बेटे ने मुझे बताया कि माँ शाम को हल्की बारिश में ही अकेले चली गईं थीं, कोई साथ नहीं गया था। इसलिए उस समय मेरे मुंह से निकल गया कि अगर वो किसी के साथ जाती तो शायद बच जाती। क्योंकि मृतका के घर से घटनास्थल की दूरी लगभग 12 किलोमीटर है। बाबा का प्रभाव ही था कि उसने पीड़िता को दिन में कई बार फोन किया, शाम चार बजे भी फोन किया तब कहीं मृतका शाम 5 बजे जाने के लिए निकली है। ये एक सुनियोजित घटना थी अगर वो उस समय अपने विवेक से काम लेती, बाबा के प्रभाव में न आती तो शायद बच सकती थी।
महिलाएं बिल्कुल अकेले जा सकती है फिर वो महिला तो आंगनबाड़ी सहायिका थी घर से बाहर निकलना तो उसका रोज का काम था। इस कोविड में तो ये आंगनबाड़ी कार्यकत्री कोरोना वारियर्स थीं। घर की अकेली कमाऊ सदस्य थी। परिवार और समाज दोनों की जिम्मेदारी संभाल रही थी। मैं लंबे समय से महिलाओं के हक और अधिकारों के लिए काम कर रही हूँ, अपनी संवेदनशीलता की वजह से आज एक जिम्मेदार पद पर काम करने का मौका मिला है। भला मैं ये कैसे कह सकती हूँ कि महिलाओं को रात में अकेले नहीं निकलना चाहिए?
बलात्कार की ज़िम्मेदार वो महिला है, जो असमय घर से निकली
— Aarti (@aartic02) January 8, 2021
Says ; NCW Member, Chandramukhi who visited the kin of #Badaun Rape victim pic.twitter.com/nCNlwWpzuK
सवाल: आपको इस घटनाक्रम में क्या-क्या पता चला ?
चंद्रमुखी देवी : मुझे पता चला कि क्षेत्र में इस महंत का काफी प्रभाव था, डेढ़ दो साल पहले वो एक दो और घटनाओं को अंजाम दे चुका था पर उसके प्रभाव की वजह से वो मामले दब गये चर्चा में नहीं आये। झाड़ फूंक करता था इसलिए ज्यादातर महिलाएं उसके बहकावे में आ जाती थीं। एसएसपी ने मुझे बताया जब पीड़िता घर पहुंची थी तब वो अर्ध मूर्छित अवस्था में थी। अगर पुलिस समय से कार्रवाई करती और पीड़िता को समय से इलाज मिलता तो आज वो हमारे बीच जिंदा होती। एसएसपी ने मुझे भरोसा दिलाया था कि वो 24 से 48 घंटे के अन्दर मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लेंगे, वही हुआ।
Women should not go out at odd hours, what ever may be the reason. I think, (If that) woman (from Badun) had not stepped out in the evening or if she had been accompanied by someone from her family, she wouldn't have been [email protected] : Chandramukhi Devi, NCW member and former BJP MLA pic.twitter.com/H0WRfXpptR
— Ravi Nair (@t_d_h_nair) January 7, 2021
सवाल : पर मुख्य आरोपी को तो ग्रामीणों ने पुलिस को सौंपा है।
चंद्रमुखी देवी : ठीक बात है, पर पुलिस का इसमें सहयोग रहा है। पुलिस की दबिश थी, उस पर 50,000 रुपए का ईनाम था। इस घटना के बाद से उस बाबा का क्षेत्र में प्रभाव कम हुआ तभी तो उसने गिरफ्तार करने में मदद की।
सवाल : पुलिस की कार्रवाई को लेकर क्या कहना चाहेंगी ?
चंद्रमुखी देवी: उस महिला के साथ जो घटना हुई वो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण थी पर उससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण पुलिस का रवैया रहा। रिपोर्ट समय से नहीं लिखी गयी, उसे वक़्त से इलाज नहीं मिला, पोस्टमार्टम में विलंब हुआ। पोस्टमार्टम रिपोर्ट को मैंने देखा, रिपोर्ट के अनुसार बहुत ही दरिंदगी हुई उसके साथ। ये मानवता को शर्मसार करने वाली एक वीभत्स घटना है। इस मामले इस इंस्पेक्टर ही नहीं पूरा स्थानीय पुलिस महकमा जिम्मेदार है। इन सभी पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए जिससे ये इस तरह की गलती भविष्य में दोबारा न दोहराएं।
मृतका के परिजनों से बात करती राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य चंद्रमुखी देवी. फोटो : नीतू सिंह
सवाल: हाथरस का मामला ले लीजिए या बलरामपुर का या फिर बाराबंकी का और अब बदायूं, यूपी में लगातार इस तरह की घटनाएं घट रही हैं और हर एक घटना की वीभत्सता बढ़ती जा रही है, इस पर पर कैसे रोक लगेगी?
चंद्रमुखी देवी: उत्तर प्रदेश एक बड़ा क्षेत्र है। केंद्र सरकार की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और राज्य सरकार का अभी मिशन शक्ति अभियान चल रहा है। इन दोनों ही योजनाओं की यही कोशिश है कि देश की बेटियां और महिलाएं सुरक्षित रह सकें, उन्हें स्वावलम्बी बनाया जाये। पर सिर्फ कानून बनने से कुछ नहीं होगा, सभी को आगे आना होगा। समाजसेवियों, गैर सरकारी संगठन और सरकार सभी को मिलकर काम करने की जरुरत है तभी ये आराजक तथ्य समाज से समाप्त होंगे।
घटनाएं बढ़ने की एक वजह ये भी है कि लोगों में पुलिस का खौफ़ ख़त्म हो गया है। जब पुलिस का खौफ़ ख़त्म हो जाता है तब अपराधी निरंकुश हो जाते हैं। लोगों को लगता है कि हम कुछ भी कर लेंगे तो कई सालों बाद फैसला आएगा। पुलिस को सख्त होने की जरूरत है। न्याय मिलने में जो विलंब होता है उसमें भी सुधार की जरुरत है। आदालतों को त्वरित फैसला देने की जरुरत है, पुलिस शीघ्र चार्जशीट दाखिल करे। तभी फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाई गयी है जिससे अतिशीघ्र न्याय मिल सके लेकिन कई बार इसमें भी विलंब होता है।
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