बजट 2021-2022 : आदिवासी क्षेत्रों में खुलेंगे 750 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय, बच्चों को उन्हीं के परिवेश में मिलेगी नवोदय जैसी शिक्षा
आदिवासी इलाकों में 750 एकलव्य स्कूल खोले जाएंगे। एकलव्य स्कूलों की लागत 20 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 34 करोड़ कर दी गयी वहीं पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों में बजट की ये राशि बढ़ाकर 48 करोड़ रुपए कर दी गयी। सीतारमण ने कहा कि इन एकलव्य विद्यालयों से आदिवासी समुदाय के बच्चों को पढ़ाई में सुविधा होगी।
Neetu Singh 1 Feb 2021 2:26 PM GMT
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में 750 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय खोलने की घोषणा की है। पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में इसके लिए 1,313 करोड़ रुपए का आवंटन हुआ था जो इस बार बढ़ाकर 1,418 करोड़ रुपए कर दिया गया है।
एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय (Eklavya Model Residential School) की लागत 20 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 34 करोड़ कर दी गयी है तो वहीं पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों में बजट राशि बढ़ाकर 48 करोड़ रुपए कर दी गयी। एकलव्य स्कूल आवासीय विद्यालय नवोदय की तर्ज़ पर बनेंगे। नवोदय विद्यालयों में ग्रामीण और आदिवासी अंचल के प्रतिभाशाली बच्चों को प्रवेश परीक्षा में सफल होने के बाद कक्षा 6 में प्रवेश दिया जाता है। यहाँ ये बच्चे 6 से 12वीं तक की पढ़ाई पूरी करते हैं।
बजट पेश करते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि इन एकलव्य विद्यालयों में आदिवासी इलाक़ों से आने वाले बच्चों को उन्हीं के परिवेश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सकेगी। आदिवासी अंचल की स्थानीय कला, संस्कृति, खेल और कौशल विकास को बढ़ावा दिया जायेगा। एकलव्य विद्यालयों से आदिवासी समुदाय के बच्चों को पढ़ाई में सुविधा होगी।
वित्त वर्ष 2020-21 में जनजातीय मामलों का मंत्रालय के लिए कुल 7411.00 करोड़ रुपए के बजट का आवंटन किया गया था जिसे बाद में संशोधित करके 5,508 करोड़ रुपए कर दिया गया था। अब बजट 2021-22 में ये राशि 7524.87 करोड़ रुपए कर दी गयी है।
इसके अलावा अनुसूचित जाति के 4 करोड़ विद्यार्थियों के लिए 35 हजार करोड़ रुपए का ऐलान किया गया है। आदिवासी बच्चों के लिए पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप जारी रहेगी। इसके लिए वित्तीय मदद बढ़ाई गई है। अगले 6 साल के लिए 35,219 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। जिससे देश के करीब 4 करोड़ एससी स्टूडेंट्स को 10वीं के बाद शिक्षा जारी रखने में मदद मिलेगी।
देश में जनजातीय जनसंख्या के बच्चों के लिए उनके अपने परिवेश में गुणवत्तायुक्त शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय की शुरुआत वर्ष 1998-99 में की गयी थी।
जिन इलाकों में जनजातीय आबादी 50 फीसदी (कम से कम 20,000) से अधिक हैं, वहां वर्ष 2022 तक एक एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है। इन विद्यालयों में हास्टल और स्टाफ क्वार्टरों सहित खेल के मैदान, छात्रों के लिए कंप्यूटर लैब, शिक्षकों के लिए संसाधन कक्ष आदि का भी प्रावधान किया गया है। देश में 288 ऐसे विद्यालय पहले से संचालित हैं, जबकि 462 नए स्वीकृत हुए हैं। पहले से संचालित विद्यालयों में लगभग 73 हजार बच्चे नामांकित हैं।
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