बुलंदशहर से ग्राउंड रिपोर्ट "हम गाय के कंकाल हाइवे पर लेकर जाएंगे, प्रदर्शन करेंगे, इसे प्रमुखता से कवर करें''

बुलंदशहर के स्‍याना में कथ‍ित गोकशी के शक में हिंसा भड़की थी, जिसमें स्‍याना थाना के इंस्‍पेक्‍टर सुबोध कुमार सिंह की जान चली गई। साथ ही भीड़ की ओर से एक युवक सुमित की भी गोली लगने से मौत हुई है।

Ranvijay SinghRanvijay Singh   6 Dec 2018 5:23 AM GMT

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बुलंदशहर से ग्राउंड रिपोर्ट हम गाय के कंकाल हाइवे पर लेकर जाएंगे, प्रदर्शन करेंगे,  इसे प्रमुखता से कवर करें

स्‍याना (बुलंदशहर)। ''यो बालक खेल खेल में कांड कर गए। उन्‍ने ना पता रहो के ये हो जाओगो।'' यह बात चिंगरावठी गांव के एक बुर्जुग कहते हैं। चिंगरावठी उन तीन गांव में से एक है जहां के लोगों पर स्‍याना हिंसा में शामिल होने का आरोप लगा है। इस बुजुर्ग की बात का स्‍थानीय लोग भी सही ठहराते हैं। चिंगरावठी गांव के प्रधान अजय कुमार कहते हैं, ''हुआ बस इतना कि जिन्‍होंने भी ये किया भीड़ बढ़ने पर उनके हाथ से मामला निकल गया।''


सोमवार (3 दिंसबर) को बुलंदशहर के स्‍याना में कथ‍ित गोकशी के शक में हिंसा भड़की थी, जिसमें स्‍याना कोतवाली के इंस्‍पेक्‍टर सुबोध कुमार सिंह की जान चली गई। साथ ही भीड़ की ओर से एक युवक सुमित की भी गोली लगने से मौत हुई है। एडीजी लॉ एंड ऑडर आनंद कुमार बताते हैं कि ''इस हिंसा में नया बांस गांव, महाव और चिंगरावठी गांव के करीब 400 लोग शामिल थे।'' फिलहाल इस मामले की जांच एसआईटी कर रही है। बात करें इस घटना के करणों की तो परत दर परत देखने पर मालूम होता है कि कुछ अतिउत्‍साही युवकों की उदंडता के चलते ऐसा हुआ।

संबंधित ख़बर- बुलंदशहर हिंसा के वीडियो, योगेश की सफाई और गांव वालों की दबी जु़बान क्या कहती है…

पुलिस वाले अपनी जान बचाने के लिए वहां से भाग गए खड़े। सुबोध सिंह का शरीर उसी गाड़ी में था। लड़कों ने आकर उन्‍हें देखा और फिर वो भी भाग खड़े हुए। इस बीच एक लड़के ने कपड़े में आग लगाकर उनकी जीप में रख दिया, जबकि वो देख रहा था कि उसी जीप में इंस्‍पेक्‍टर का शरीर भी पड़ा हुआ है। " प्रत्यक्षदर्शी ने बताया

सोमवार की सुबह करीब साढ़े नौ बजे महाव गांव के खेत में कथ‍ित तौर पर गाय के कंकाल मिलने की सूचना स्‍याना थाने को दी गई। इसके तुरंत बाद वहां से चिंगरावठी चौकी पर मौजूद दो सिपाहियों को महाव गांव पहुंचने के लिए फोन किया गया। इस बात की तस्‍दीक चौकी में खाना बनाने का काम करने वाली और चिंगरावठी गांव की रहने वाली भागवती करती हैं। भागवती बताती हैं, ''सिपाहियों के पास फोन आया कि तुरंत महाव गांव पहुंचो, दोनों सिपाही मेरे सामने ही महाव के लिए निकल गए।'' भागवती कहती हैं, ''इसके तुरंत बाद इंस्‍पेक्‍टर सुबोध कुमार सिंह की गाड़ी भी महाव की ओर जाते दिखी।'' ये घटना का एक पहलू है जहां कुछ लोगों ने पुलिस को सूचना दी और पुलिस मौके पर पहुंची।

गाय के कंकाल को महाव गांव से बुलंदशहर-स्‍याना हाइवे पर ले जाने की बात पर मुख्‍य आरोपी योगेश से इंस्‍पेक्‍टर सुबोध कुमार सिंह की तीखी नोक झोक हुई। फोटो- अमन त्‍यागी

घटना की रोज सुबह से ही मौके पर मौजूद एक पत्रकार बताते हैं, ''मुझे प्रदर्शन कर रहे लड़कों में से एक युवक का कॉल आया और उसने मुझे महाव में गाय के कंकाल होने की सूचना दी। उसने कहा कि इस खबर को आप कवर कीजिए, मेरा नाम जरूर लीखिएगा।''

पत्रकार बताते हैं, ''मैं स्‍याना से तुरंत महाव के लिए निकला और इस दौरान रास्‍ते में मुझे एक के बाद एक कई प्रदर्शकारियों के कॉल आए। जब मौके पर पहुंचा तो देखा वहां पहले से ही इंस्‍पेक्‍टर सुबोध कुमार सिंह और तहसीलदार राजकुमार भाष्‍कर मौजूद थे। वो गांव वालों को समझाने में लगे थे। तभी इस भीड़ में स्‍याना से आए एक खास गुट से जुड़े लोग शामिल हो गए और नारेबाजी करने लगे। पास के ही गांव नया बांस का रहने वाला बजरंग दल के जिला संयोजक योगेश राज भी अपने साथ कई युवकों को लेकर यहां पहुंच गया। इतना ही नहीं करीब 13 किमी दूर बुगरासी से भी लड़के मौके पर पहुंच गए। पतली सी खडंज्‍जे की सड़क बाइकों से भर गई थी। इन लड़कों ने मुझसे कहा कि हम गाय के कंकाल को स्‍याना-बुलंदशहर हाइवे पर लेकर जाएंगे, जहां नारेबाजी और प्रदर्शन करेंगे, आप इसे प्रमुखता से कवर करें।''

महाव में गाय के कंकल रखी ट्रॉली को रोकते तहसीलदार राजकुमार भास्कर और इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह। फोटो- अमन त्यागी


पत्रकार बताते हैं, ''इसके तुरंत बाद लड़कों ने गाय के कंकाल को गन्‍ने के खेतों से इकट्ठा किया और ट्रॉली में रख दिया। इस ट्रॉली को ये लोग स्‍याना-बुलंदशहर हाइवे पर ले जाने लगे। इस दौरान तहसीलदार और इंस्‍पेक्‍टर सुबोध कुमार सिंह से इनकी तीखी झड़प भी हुई। यहां तक कि सुबोध कुमार सिंह ने राह में अपनी गाड़ी लगा दी ताकि ट्रॉली आगे न जा सके, लेकिन प्रदर्शनकारी नहीं माने और खेत में उतारकर ट्रॉली आगे ले निकले।'' बता दें, जिस जगह गाय के कंकाल मिलने की बात की जा रही है वहां से स्‍याना- बुलंदशहर हाइवे करीब 5 किमी की दूरी पर है। प्रदर्शनकारी इतनी दूर तक इसे लेकर पहुंचे और बीच सड़क में ट्रॉली लगाकर नारेबाजी करने लगे। इस वक्‍त करीब 11 बज रहे थे।

महाव गांव से करीब 5 किमी की दूरी तय कर गाय के कंकाल को हाइवे पर लेकर पहुंच गए प्रदर्शनकारी। फोटो- अमन त्‍यागी

सड़क पर हंगामे की सूचना पर चिंगरावठी गांव के प्रधान अजय कुमार भी हाईवे पर पहुंच गए। चिंगरावठी और महाव गांव आमने-सामने है। दोनों गांव से आने वाली सड़क स्‍याना-बुलंदशहर हाइवे पर आमने सामने मिलती है। इस तरह ये एक चौराहा बनता है। इसी चौराहे पर चिंगरावठी चौकी भी मौजूद है। प्रदर्शनकारी इसी जगह ट्रॉली लगाकर नारेबाजी कर रहे थे। अजय कुमार बताते हैं, ''लड़कों ने सड़क को जाम कर दिया था। प्रशासन उन्‍हें समझा रहा था, लेकिन वो मानने को तैयार ही नहीं थे। ऐसे में प्रशासन ने हल्‍का बल प्रयोग किया, जिससे भीड़ तितर बितर हो जाए। ऐसा हुआ भी और लड़के भाग भी गए, लेकिन वो सभी सड़क से लगे गड्ढों में जा छिपे।''

भीड़ को काबू करने के ल‍िए पुलिस ने हल्‍का बल प्रयोग किया। फोटो- अमन त्‍यागी

अजय कुमार बताते हैं, ''कुछ देर ही बीते होंगे कि लड़कों ने हो हल्‍ला करते हुए हंगामा शुरु कर दिया। एका एक हुए इस पथराव और हंगामे से सब भागने लगे और फिर क्‍या हुआ कुछ पता नहीं। पथराव इतनी तेज हो रहा था कि इसे करने वाले और इससे बचने वालों में फर्क ही नहीं समझ आता था। मैंने दीवार की ओट ली तब जाकर बचा।''

अजय अपने गांव का पक्ष लेते हुए कहते हैं, ''मेरे गांव का तो गेहूं के साथ घुन पिसने का हाल हुआ है। गाय मिली महाव में, ट्रॉली पर लादकर वहां से लाई गई और बदनाम हो गया चिंगरावठी, क्‍योंकि चौकी का नाम चिंगरावठी है।'' गांव कनेक्शन ने सवाल उनसे सवाल किया कि आपके गांव के भी लोग भीड़ में शामिल थे? अजय कुमार गोल मोल जवाब देते हुए कहते हैं, ''अगर कोई गाय के कंकाल को सरेआम लहराएगा तो चार लोग जुट ही जाएंगे।'' अजय इस लाइन से अपनी बात का अंत करते हैं कि, ''हुआ बस इतना कि जिन्‍होंने भी ये किया, भीड़ बढ़ने पर उनके हाथ से मामला निकल गया, वो संभाल न पाए।''

'हुआ बस इतना कि जिन्‍होंने भी ये किया, भीड़ बढ़ने पर उनके हाथ से मामला निकल गया, वो संभाल न पाए।'' चिंगरावठी गांव के प्रधान अजय कुमार बताते हैं


चिंगरावठी चौकी से सटा हुआ श्रीमति दिलावरी देवी पीजी कॉलेज है। कॉलेज की एक शिक्षिका ने नाम न लिखने की शर्त पर बताया, "सोमवार को मैं अपने क्‍लास में बैठी थी। तभी चपरासी दौड़ते हुए आया और उसने कॉलेज के बाहर हंगामा होने की बात कही। हम सब खिड़कियों से देख रहे थे। मैंने देखा कॉलेज की दीवार से सट कर सुमित पड़ा हुआ था। उसके शरीर से खून निकल रहा था। तभी देखा कि कुछ लड़के जिनकी उम्र 17 से 20 साल के बीच रही होगी इंस्‍पेक्‍टर सुबोध कुमार सिंह को दौड़ा रहे थे। सुबोध कुमार सिंह लड़खड़ा कर गिर पड़े और फिर नहीं उठे। एक लड़के ने उनके शरीर को हिलाया पर कोई हरकत नहीं थी।"

वो आगे बताती हैं, "तभी एक पुलिस की जीप आई और ड्राइवर और एक और पुलिस वाला उन्‍हें उठाकर जीप में रखने लगे। अभी वो जीप को आगे बढ़ाते तब तक लड़कों की भीड़ वापस आ गई। इस पर पुलिस वाले अपनी जान बचाने के लिए वहां से भागे वो (सुबोध सिंह) उसी गाड़ी में रह गए। लड़कों ने आकर उन्‍हें देखा और फिर भाग खड़े हुए। इस बीच एक लड़के ने कपड़े में आग लगाकर उनकी जीप में रख दिया, जबकि वो देख रहा था कि उसी जीप में इंस्‍पेक्‍टर का शरीर भी पड़ा हुआ है। तभी मौके पर और पुलिस वाले आए और इंस्‍पेक्‍टर सुबोध के शरीर को गाड़ी से खींच निकाला।" इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है, जिसमें इसी कॉलेज से सटे खेत में खड़ी जीप में सुबोध कुमार सिंह का शरीर लटका हुआ है, जिसमें सिर नीचे जमीन पर और पैर ऊपर सीट पर फंसे हैं। बुलंदशहर हिंसा मामले में अब तक 8 वीडियो वायरल हुए हैं, जिसमें मारपीट, सुमित को गोली लगने के बाद ले जाते युवक दिखाई दे रहे हैं, जबकि एक में आवाज़ आ रही है कि हमें पता है कंकाल किसने रखे हैं।

इसी जीप में इंस्‍पेक्‍टर सुबोध कुमार को अस्‍पताल ले जाने का प्रयास किया गया था। फोटो- अमन त्‍यागी


ये सवाल हैं अहम

स्‍थानीय लोग इस घटना को लेकर कुछ सवाल भी खड़े करते हैं। महाव के जिस खेत में गाय के कंकाल मिलने की बात हो रही है वो इसी गांव के रहने वाले राजकुमार का खेत है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि किसी के खेत में गाय काट दी जाए और उसे पता भी न चले ये कैसे हो सकता है? वहीं ये भी सवाल उठता है कि महाव जाट बहुल गांव है, चिंगरावठी भी जाटों का गांव है। दोनों ही गांव में क्रमश: 7 और 3 मुसलमान परिवार हैं। ऐसे में कोई भी इस तरह का खतरा क्‍यों मोल लेगा कि उसकी जान पर बन आए। एक पक्ष ये भी कहता है कि गाय के जिस कंकाल को लेकर विवाद किया गया वो दिखने में पुराने थे। उनका खून सूख चुका था। अगर ताजा होते तो कोई भी उठाता तो खून से रंग जाता, लेकिन ऐसा नहीं था। ऐसे में लोग इस घटना को साजिश भी बता रहे हैं।

उत्‍तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह भी इस मामले में साजिश की बात कहते हैं। उनके मुताबिक, ''बुलंदशहर का मामला सिर्फ कानून व्‍यवस्‍था का मामला नहीं है। ये बहुत बड़ी साजिश है। गायों के कंकाल वहां कैसे पहुंचे, कौन उन्हें लेकर आया, और क्‍यों लेकर आया।' साजिश को लेकर विपक्षी दल भी सवाल उठाते हैं। सपा और बीएसपी के साथ कांग्रेस ने कहा भी अयोध्या मामले की बरसी से पहले बुलंदशह में दंगों की साजिश थी। एक वायरल वीडियो में जिस लड़के का नाम लिया जा रहे है, उससे भी सवाल खड़े होते हैं।

फिलहाल क्‍या है हालात

अभी तीनों गांव (महाव, चिंगरावठी, नया बांस) के लोगों खौफ के साये में जी रहे हैं। यहां के पुरुष घर छोड़कर भाग गए हैं। इन गांव के घरों में सिर्फ महिलाएं मौजूद हैं। वहीं, पुलिस आरोपियों की धरपकड़ के लिए रात में छापेमारी कर रही है। गांव वालों का आरोप है कि पुलिस वाले उनके साथ मारपीट करते हैं और उनके सामान को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

महाव गांव में तोड़ी गई कार। गांव वालों का आरोप है कि पुलिस ने ये काम किया है। फोटो - गांव कनेक्‍शन

महाव गांव की रहने वाली रतन कौर के घर भी तोड़ फोड़ हुई है। वो बताती हैं, ''मंगलवार की रात पुलिस वाले आए थे। आते ही मारपीट करने लगे। मेरे पति को लेकर गए हैं। उन्‍होंने मेरी बहू से भी मारपीट की है। बहू मेरठ में भर्ती है। पुलिस वालों को ऐसा नहीं करना चाहिए था।''

वहीं, इसी गांव की बीना देवी के घर भी तोड़ फोड़ हुई है। गाय के कंकाल बीना के पति राजकुमार के खेत में ही मिले थे। बीना कहती हैं, ''मेरे पति तो बस इसलिए गए थे कि उनके खेत में ऐसा कुछ मिला था। वो रिपोर्ट लिखाने गए तो उनके ही खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली गई। सोमवार को रात में पुलिस वाले आए थे। पहले गेट को धक्‍का देकर खोल दिया और बाद में आते ही सब तोड़ने लगे। मेरे जेठ को लेकर जा रहे थे, कैसे-कैसे तो रोका गया।'' चिंगरावठी गांव की रहने वाली रजनी कहती हैं, ''डर की वजह से सब भाग गए हैं। हम अपने मर्द को सामने नहीं करेंगे। पता नहीं पुलिस कब उठा ले जाए। पुलिस वाले तो बस बदला लेने की नियत रख रहे हैं।''

गांव के लोग पुलिस के खौफ से घर बंद करके चले गए हैं। फोटो- गांव कनेक्‍शन

इस मामले का मुख्‍य अभ‍ियुक्‍त बजरंग दल का जिला संयोजक योगेश नया बांस गांव का रहने वाला है। फिलहाल वो और उसका परिवार फरार है। पुलिस ने योगेश के चाचा और चचेरे भाई को हिरासत में ले रखा है। योगेश की चाची अपने आंख में लगी चोट दिखाते हुए कहती हैं, ''30 के करीब पुलिस वाले आए थे। उन्‍होंने हमारे साथ मारपीट की और मेरे पति और बेटे को पकड़ कर ले गए।''

अपनी फरारी के तीसरे दिन (5 दिसंबर) योगेश राज का एक वीडियो सोशल मीडिया में सामने आया है। इस वीडियो में वो खुद को निर्दोष बता रहा है और इस बात का विश्‍वास जता रहा है कि उसे इंसाफ मिलेगा। हालांकि कई ऐसी तस्‍वीरें हैं जिसमें योगेश इंस्‍पेक्‍टर सुबोध कुमार सिंह से नोक झोक करते दिखता है।

विहिप के प्रांतीय संयोजक बलराज कहते हैं, ''हमारा कोई कार्यकर्ता ऐसी हरकत नहीं कर सकता। सेवा, सुरक्षा और समर्पण ही हमारा कार्य है। इस मामले की अच्‍छे से जांच होनी चाहिए, सच सामने आएगा।''

हिंसा के मुख्‍य आरोपी योगेश का घर।

इस मामले में दो एफआईआर दर्ज हुई है। एक एफआईआर योगेश राज की ओर से दर्ज कराई गई थी, इसमें सात लोगों पर गोकशी का आरोप लगाया गया है। दूसरी एफआईआर उपद्रव करने, भीड़ को उकसाने और इंस्पेक्टर की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों के बारे में दर्ज की गई है। इसमें 27 लोगों को नामजद किया गया और 60 अज्ञात को शामिल किया गया है। पुलिस ने अभी तक 4 लोगों को गिरफ्तार किया है। ये सभी गिरफ्तारियां गोकशी के मामले में हुई हैं।

(कई लोगों के नाम सुरक्षा के मद्देनजर जाहिर नहीं किए गए हैं)

  

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