जब तक आप ये खबर पढ़ कर खत्म करेंगे, एक और महिला का बलात्कार हो चुका होगा

Diti BajpaiDiti Bajpai   6 Dec 2019 11:03 AM GMT

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जब तक आप ये खबर पढ़ कर खत्म करेंगे, एक और महिला का बलात्कार हो चुका होगा

लखनऊ। जब तक आप ये खबर पढ़ कर ख़त्म करेंगे, भारत में एक और महिला का बलात्कार हो चुका होगा। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो वर्ष 2017 के मुताबिक देश में हर दिन 90 बलात्कार हो रहे हैं।

हैंदराबाद में 24 वर्षीय पशुचिकित्सक के साथ बलात्कार और हत्या के आरोपियों की पुलिस मुठभेड़ में मौत के बाद देश गुस्से में है। देश में एक बाद एक बलात्कार और यौन शोषण का दौर जारी है। इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में एक गैंगरेप पीड़िता को जला दिया गया, जिससे उसकी मौत हो गई। वहीं मिर्जापुर में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवान और एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी के बेटे सहित चार लोगों ने 10वीं कक्षा की छात्रा का अपहरण करके उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया।


महिलाओं के खिलाफ यह मामले अचानक नहीं बढ़ें है। कुछ मामले सुर्खियों में आ जाते हैं जिनका हैशटैग चलाकर जनता इंसाफ की गुहार करती है लेकिन खेतों में, स्कूल के रास्ते में, शौच के लिए जाते वक़्त बलात्कार होना महिलाओं की रोज़मर्रा की सच्चाई है।

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वर्ष 2012 में निर्भया कांड के बाद पूरा देश महिला सुरक्षा के मुद्दें को लेकर सड़कों पर उतरा। सरकार बलात्कार के खिलाफ नया कानून भी लेकर आई। लेकिन इन सबके बावजूद देश में बलात्कार के मामले घटे नहीं बल्कि इनमें बढ़ोत्तरी देखी गई। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो 2017 के मुताबिक बलात्कार के 32,599 मामले दर्ज किए गए, लेकिन वास्तविक आंकड़ा कहीं ज्यादा है। थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन द्वारा 2018 में किए गए सर्वे में बताया गया कि महिला हिंसा के मामले में भारत दुनिया की सबसे खतरानाक जगह है।

निर्भया कांड के बाद देश में बने कानून के बारे में आली की कार्यकारी निदेशक रेनू मिश्रा बताती हैं, "हमारे देश में कानून तो बहुत हैं पर वो सिर्फ कागजों पर हैं।" एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों पर वह आगे कहती हैं, "स्त्री-पुरुष समानता में इस साल के आंकड़ों के अनुसार भारत 129 देशों में से 95वें पायदान पर है। इस तरह से लैंगिक समानता सूचकांक की हालिया सूची में भारत घाना, रवांडा और भूटान जैसे देशों से भी पीछे है। उत्तर प्रदेश महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा में सबसे ऊपर है। हर घंटे महिलाओं के खिलाफ 6 अपराध हो रहे हैं।" एसोसिएशन फॉर एडवोकेसी एंड लीगल इनिशिएटिव्स (आली) कानूनी सलाह देने वाली एक गैर सरकारी संस्था है।

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इस संस्था ने लखनऊ में एक कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसमें यूपी, झारखंड और उत्तराखंड की दर्जनों महिला शामिल थी जो जमीनी स्तर पर महिलाओं के साथ यौनिक हिंसा के खिलाफ काम कर रही है। अपने अनुभव को साझा करते हुए उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले से आयीं अनीता वर्मा कहती हैं, "आज जब रेप जैसे मामलों में नियम कानून इतना सख्त हैं इसके बाद भी गांव के लोग इससे वंचित हैं क्योंकि एफआईआर दर्ज कराना ही पीड़ित परिवार के लिए मुश्किल होता है।"

महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने के लिए कठोर कानून ही पर्याप्त नही हैं। इन कानूनों को अमल में लाने के लिए जांच प्रक्रिया में तेजी, सबूत इकट्ठा करने के लिए पर्याप्त आधारभूत संरचना और न्यायिक प्रक्रिया को मजबूत करने की भी जरूरत है।


   

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