उत्तराखंड: संकरी सड़क बनी मुसीबत, दो महीने से आंदोलन कर रहे हैं चमोली के ग्रामीण

उत्तराखंड के चमोली में 55 साल पहले बनी सड़क पर ट्रैफ़िक तो कई गुना बढ़ गया है लेकिन उसे एक बार भी चौड़ा नहीं किया गया है। जिसकी वजह से यहां आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। 70 गांवों के ग्रामीण पिछले 58 दिन से अलग-अलग तरह से आंदोलन कर सरकार का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं।

Deepak RawatDeepak Rawat   3 Feb 2021 6:27 AM GMT

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UTTARAKHAND NEWS, CHAMOLIआंदोलन के 35वें दिन इस इलाक़े के लगभग 7 हज़ार ग्रामीणों ने अपनी मांग को लेकर 19 किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला भी बनाई थी। फोटो: दीपक रावत

चमोली। उत्तराखंड के चमोली ज़िले में पिछले 58 दिन से ग्रामीण आंदोलन कर रहे हैं। इन ग्रामीणों की मांग है कि नंदप्रयाग से लेकर घाट ब्लॉक तक की सड़क को चौड़ा किया जाए। घाट ब्लॉक के 70 गाँवों के निवासी इस आंदोलन का हिस्सा हैं। ग्रामीण पिछले 57 दिन से क्रमिक अनशन पर बैठे हैं और पिछले 21 दिन से उन्होंने भूख हड़ताल भी शुरु कर दी है। इसी दौरान आंदोलन के 35वें दिन इस इलाक़े के लगभग 7 हज़ार ग्रामीणों ने अपनी मांग को लेकर 19 किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला भी बनाई थी। लेकिन अभी तक सरकार की तरफ़ से उनकी मांग को लेकर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

इसी बीच दो आंदोलनकारियों की तबीयत बिगड़ने के कारण उन्हें अस्पताल भेज दिया गया है। जनांदोलन के 56वें दिन 17 दिनों से लगातार भूख हड़ताल पर बैठे व्यापार संघ अध्यक्ष चरण सिंह नेगी की तबियत बिगड़ने के बाद उनकी जगह पर बैठे देवेंद्र जमालू ने सख्त शब्दों में बताया, "जब तक सड़क चौड़ी-करण के लिए सरकार की ओर से कोई सकारात्मक कार्यवाही नहीं होती तब तक हम यहां से नहीं हटेंगे।"

विकासखंड घाट की आबादी लगभग 40 हज़ार है जिसके तहत लगभग 70 ग्राम पंचायत आती हैं। पर्यटन की दृष्टि से भी अहम ये सड़क नंदा देवी राजजात कुरुड़ मार्ग के लिए अहम मानी जाती है। अक्सर बाहरी पर्यटक भी इसी रूट से होते हुए निजमुला घाटी , ग्वालदम, बेदनी और थराली के खूबसूरत बुग्याल के जाने के लिए यहीं से गुज़रते है।


ग़ौरतलब है कि अविभाजित उत्तर प्रदेश के समय 1965 में नंदप्रयाग - घाट सड़क का निर्माण किया गया था। अलग राज्य बनने के साथ आसपास के क्षेत्रों में बढ़ती आबादी और वाहनों की बढ़ती आवाजाही से छह मीटर चौड़ी इस सड़क पर भी दबाव बढ़ता गया। जिसका शिकार कई बार स्थानीय ग्रामीण और पर्यटक भी हुए। ग्रामीणों का कहना है कि संकरी सड़क होने की वजह से अब तक कई ग्रामीणों की मौत हो चुकी है।

लगभग दो महीने से चल रहा है आंदोलन

व्यापार संघ अध्यक्ष चरण सिंह नेगी ने गाँव कनैक्शन को बताया, "हमारे क्षेत्र की जनता के साथ सरकारों ने वादाखिलाफी की है, चाहे पूर्ववर्ती सरकार हो या चाहे वर्तमान सरकार। दो साल पहले जब उपचुनावों के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत यहां आए थे तब उन्होंने घोषणा की थी कि सरकार ने नंदप्रयाग - घाट के डेढ़ लेन चौड़ीकरण (छह से नौ मीटर) को स्वीकृति दे दी है और जल्द ही यह काम भी शुरू हो जाएगा। लेकिन अब तक इसका काम शुरू नहीं हुआ है।"

ये सभी आंदोलनकारी लगातार क्रमिक अनशन को चला रहे थे। लेकिन कोई सुनवाई न होने पर इन सभी ने पिछले 21 दिन से भूख हड़ताल भी शुरू कर दी है। धरना स्थल पर बैठे दो आंदोलनकारियों, चरण सिंह नेगी और दीपक रतूड़ी की तबीयत बिगड़ने पर डॉक्टर उन्हें हायर सेंटर के लिए रैफर कर चुके हैं। इस आंदोलन को कई विपक्षी दल और गढ़वाल विश्वविद्यालय के छात्र नेता समर्थन कर चुके हैं।

ग्रामीण पिछले 57 दिन से क्रमिक अनशन पर बैठे हैं और पिछले 21 दिन से उन्होंने भूख हड़ताल भी शुरु कर दी है।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्ट (माले) के नेता इंद्रेश मैखुरी ने कहा, "मुख्यमंत्री को तुरंत अपने वादे पर संज्ञान लेना चाहिए ताकि ऐसा न हो उनका वादा मात्र चुनावी जुमला बनकर रह जाए।" कांग्रेस नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी आंदोलनकारी ग्रामीणों के समर्थन में 55वें दिन एक दिन का मौन व्रत रख है।

आंदोलन के 35वें दिन इन 70 गाँवों के सात हज़ार बच्चों, महिलाओं और बुज़ुर्गों ने नन्दप्रयाग से घाट विकासखंड तक 19 किलोमीटर लंबी मानव श्रंखला बनाई। गणतंत्र दिवस का मौके पर भी ग्रामीणों ने नंदप्रयाग से घाट तक तिरंगा रैली निकालकर विरोध प्रदर्शन किया।

आंदोलनकारी देवेंद्र जमालू कहते है कि पूर्व में लोक निर्माण विभाग, 19 किलोमीटर के दायरे में सड़क के नौ मीटर में आने वाले पेड़ो की छपान ले चुका है और डीपीआर का काम भी पूरा हो चुका है, तो अब सरकार को इस काम को आगे बढ़ाने के लिए वित्तीय स्वीकृति भी देनी चाहिए।

व्यापार संघ के अध्यक्ष चरण सिंह नेगी ने बताया कि अगर उनकी मांगों पर सरकार कोई ठोस फैसला नहीं लेती तो सभी ग्रामीण राज्य सरकार के बजट सत्र का विरोध करेंगे और आगामी ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में होने वाले विधानसभा सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव भी करेंगे।

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