छत्तीसगढ़: किसी कॉन्वेंट से कम नहीं है यह सरकारी स्कूल
Purushotam Thakur 25 Nov 2019 11:58 AM GMT
धमतरी (छत्तीसगढ़)। सरकारी स्कूल का नाम आते ही आपके सामने टूटी छत, गिरते प्लास्टर, ज़मीन पर पढ़ रहे बच्चे और कुर्सियों पर उंघते टीचर जैसी छवि दिमाग में आ जाती है लेकिन छत्तीसगढ़ एक इस गाँव में बना यह सरकारी स्कूल आपकी छवि से बिल्कुल अलग है। इस स्कूल बच्चों के लिए वो सारी सुविधाएं है जो किसी कॉन्वेंट स्कूल के बच्चे को मिलती है।
धमतरी जिले के धमतरी विकासखंड में मुडपार गाँव है जहां पर शासकीय उन्नत प्राथमिक शाला है। इस सरकारी स्कूल में ज्यादातर ऐसे बच्चों की संख्या जिन्होंने प्राइवेट स्कूल छोड़कर आए है। शासकीय उन्नत प्राथमिक शाला में सहायक शिक्षक लीलाराम साहू बताते हैं, "हम बच्चों को पढ़ाने के लिए टीएलएम (शिक्षण अधिगम सामग्री) का उपयोग करते हैं ताकि बच्चों को ज्यादा से ज्यादा समझ आ सके। बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने के लिए हम शिक्षक आपस में चर्चा भी करते हैं।"
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स्कूल में हो रही पढाई, वातावरण में शिक्षकों के साथ स्कूल प्रबंधन समितियों की मेहनत भी शामिल है। इन सभी के मदद से आज इस स्कूल की चर्चा कई जिले के कई में की जाती है। शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रही संस्था अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन ने एक अध्ययन किया और यह पाया की देश में ऐसे कई सरकारी स्कूल हैं जहाँ बच्चों की दाखिला न केवल बढ़ रही है बल्कि प्राइवेट स्कूल से बच्चे वापस सरकारी स्कूलों में दाखिला ले रहे हैं।
पांचवी कक्षा में पढ़ रहे डोमन निषाद स्कूल इसलिए पंसद है क्योंकि पढ़ाई के साथ उनको खेलने को भी मिलता है।"हमें स्कूल आना अच्छा लगता है क्योंकि हमको पढ़ने के साथ खेलने को भी मिलता है।" निषाद ने बताया। इस स्कूल में वर्ष 2016-17 में जहां 96 बच्चे थे वहां आज 131 बच्चे पढ़ रहे हैं। शिक्षकों के प्रयासों से अब इस गाँव के स्कूल में दर्ज संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
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स्कूल में लगे किचन गार्डन से बच्चों के लिए बनता है मिड डे मील बनता है ताकि उनको शुद्व खाना मिल सके। शासकीय उन्नत प्राथमिक शाला में प्रधान पाठक जीधनराम साहू कहते हैं, "यहां जनभागीदारी से पहले दस हाईवा मिटटी डाली गई है, जिससे स्कूल के मैदान को समतल बनाया गया। उसके बाद इस पर किचन गार्डन का काम शुरू किया गया। आज इसमें जो भी सब्जी होती है उसको मिड डे मील के खाने के उपयोग में लाया जाता है।
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