प्रवासी श्रमिकों के लिए नई नीति लाने की तैयारी में छत्तीसगढ़ सरकार, मजदूरों के बनाए जाएंगे डिजिटल कार्ड
छत्तीसगढ़ राज्य प्रवासी श्रमिक नीति के तहत राज्य की भूपेश बघेल सरकार श्रमिकों के लिए पोर्टल और मोबाइल एप्प की भी व्यवस्था करेगी ताकि हर श्रमिक का डाटाबेस तैयार किया जा सके।
Kushal Mishra 13 Oct 2020 7:53 AM GMT
छत्तीसगढ़ सरकार प्रवासी मजदूरों के लिए जल्द ही नई नीति लाने की तैयारी में है। इसके तहत सभी मजदूरों के डिजिटल पंजीयन श्रमिक कार्ड बनाये जायेंगे।
छत्तीसगढ़ सरकार के आंकड़ों के मुताबिक कोरोना काल के समय में करीब सात लाख प्रवासी श्रमिकों ने घर वापसी की थी। ऐसे में अब राज्य की भूपेश बघेल सरकार छत्तीसगढ़ राज्य प्रवासी श्रमिक नीति के जरिये ऐसे सभी प्रवासी मजदूरों का पंजीयन कर सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने की तैयारी में है। इस नई नीति के अनुसार समय-समय पर मजदूरों की मॉनिटरिंग की भी व्यवस्था रहेगी।
छत्तीसगढ़ सरकार प्रवासी श्रमिकों के लिए नई नीति के तहत जन भागीदारी श्रमिक सूचना पोर्टल और मोबाइल एप्प भी तैयार करेगी जिसमें श्रमिकों से जुड़ी राज्य की सभी योजनाओं, श्रमिकों के लिए हेल्पलाइन नंबर और शिकायतों के निवारण सम्बन्धी कई जानकारियां उपलब्ध रहेंगी।
छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान है और राज्य में 80 प्रतिशत की आबादी खेती-किसानी के कामों से जुड़ी हुई है। ऐसे में लघु और सीमान्त किसान और खेतिहर मजदूर भी पलायन से बहुत अधिक प्रभावित रहते हैं और अधिक आय के लिए दूसरे राज्यों में पलायन करते हैं।
ऐसे में कोरोना लॉकडाउन के बाद प्रवासी मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा के लिए छत्तीसगढ़ सरकार नई नीति पर जोर दे रही है। श्रमिक पोर्टल के जरिये राज्य के सभी श्रमिकों का डाटाबेस तैयार किया जाएगा ताकि पंजीकृत प्रवासी मजदूरों को राज्य और राज्य के बाहर योजनाओं का लाभ मिल सके।
परिवार कार्ड के रूप में होगा श्रमिक डिजिटल कार्ड
छत्तीसगढ़ राज्य प्रवासी श्रमिक नीति के तहत राज्य के सभी मजदूरों का डिजिटल श्रमिक पंजीयन कार्ड तैयार होगा। यह कार्ड परिवार कार्ड के रूप में होगा। यदि एक परिवार में दो से अधिक श्रमिक पंजीकृत हैं तो उनका अतिरिक्त कार्ड बनाया जायेगा।
श्रमिकों की पंजीयन व्यवस्था सरल करने के लिए सभी मजदूर मोबाइल एप्प, पोर्टल, व्हाट्सएप्प, फ़ोन कॉल के अलावा लोक सेवा केन्द्रों और ब्लाक और जिला स्तर पर सामान्य सेवा केन्द्र बनाए जायेंगे जहाँ मजदूर अपना पंजीयन करा सकेंगे। नयी नीति के तहत छत्तीसगढ़ सरकार का प्रयास है कि श्रमिकों को राज्य की सभी योजनाओं का लाभ मिल सके, चाहे वें राज्य में हों या फिर बाहर।
इसके अलावा जिन राज्यों में मजदूर काम के लिए गए हैं, श्रमिक नीति के तहत राज्य सरकार के साथ सम्बंधित संस्था को एमओयू करना होगा ताकि मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा के साथ उनकी न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित की जा सके और उसकी समय-समय पर मॉनिटरिंग की जा सके।
ठेकेदारों और नियोक्ताओं का भी होगा पंजीयन
साथ ही नई प्रवासी श्रमिकों को लेकर जाने वाले नियोक्ता और ठेकेदारों को भी पंजीयन के लिए प्रेरित किया जाएगा और ठेकेदारों द्वारा बनाई जाने वाली श्रमिक पास बुक और अन्य जरूरी दस्तावेजों को पोर्टल में अपडेट किया जाएगा। इसके अलावा किसी आपात स्थिति में ठेकेदारों और नियाक्ताओं द्वारा प्रवासी मजदूरों को मुआवजा राशि देनी होगी।
नई नीति के तहत प्रवासी श्रमिकों के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किये जायेंगे जहाँ वे हिंदी, छत्तीसगढ़ी, गोंडी, हल्बी, सुरगुजिया जैसी स्थानीय भाषा में अपनी शिकायत कर सकेंगे। इसके अलावा श्रमिकों के गंतव्य स्थान पर राज्य शासन या स्थानीय संगठन के साथ मिलकर राज्यों में नेटवर्क तैयार किये जायेंगे, इसमें श्रम संगठन, ट्रेड यूनियन और स्वेच्छिक संगठनों को शामिल किया जाएगा।
विभागों की भी होगी जिम्मेदारी
नई नीति में श्रम विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, रोजगार एवं नियोजन विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग जैसे कई विभागों की श्रमिकों के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए भी जोर दिया गया है ताकि श्रमिकों के लिए कार्यस्थल पर भयमुक्त वातावरण बने और उनके अधिकारों की सुरक्षा की जा सके।
छत्तीसगढ़ राज्य प्रवासी श्रमिक नीति के जरिये प्रवासी मजदूरों के कौशल विकास पर भी जोर दिया जाएगा। इसके लिए कार्ययोजना बनाई जायेगी और इसकी जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ राज्य कौशल विकास प्राधिकरण की होगी जो समय सीमा निर्धारित कर मजदूरों के लिए दक्षता विकास कार्यक्रम आयोजित करेगा।
सबसे बड़ा कारण है कि छत्तीसगढ़ की प्रवासी श्रमिक नीति में श्रम संगठनों और ट्रेड यूनियन को भी शामिल किया गया है, इसके अलावा दूसरे राज्यों में रह रहे प्रवासी मजदूरों की समय-समय पर मॉनिटरिंग भी होती रहेगी, इसके लिए बाकायदा सम्बंधित विभागों की जिम्मेदारी भी तय की गयी हैं, साथ ही पारदर्शिता बनी रहे इसके लिए डिजिटल भी लेखा-जोखा रहेगा, इसलिए निश्चित रूप से छत्तीसगढ़ की मजदूरों के लिए बनी यह नीति बहुत अच्छी है, अगर इसे सही से लागू किया जाता है तो जरूर मजदूरों के लिए फायदेमंद होगा।
चंदन कुमार, राष्ट्रीय संयोजक, वर्किंग पीपल्स चार्टर नेटवर्क
'अन्य राज्यों की तुलना में सबसे बेहतर नीति'
छत्तीसगढ़ के प्रवासी श्रमिकों के लिए बनाई गई नई पालिसी के बारे में वर्किंग पीपल्स चार्टर नेटवर्क के राष्ट्रीय संयोजक और पुणे निवासी श्रमिक कार्यकर्त्ता चन्दन कुमार 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "अब तक झारखण्ड और मध्य प्रदेश सरकार ने भी प्रवासी मजदूरों के लिए नई नीति बनाने की बात कही है, जबकि उत्तर प्रदेश में मजदूरों के लिए कमीशन बनाने की बात सरकार ने कही है, मगर छत्तीसगढ़ की प्रवासी मजदूरों के लिए बनाई गयी पालिसी अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अच्छी पालिसी है।"
"सबसे बड़ा कारण है कि छत्तीसगढ़ की श्रमिक नीति में श्रम संगठनों और ट्रेड यूनियन को भी शामिल किया गया है, इसके अलावा दूसरे राज्यों में रह रहे प्रवासी मजदूरों की समय-समय पर मॉनिटरिंग भी होती रहेगी, इसके लिए बाकायदा सम्बंधित विभागों की जिम्मेदारी भी तय की गयी हैं, साथ ही पारदर्शिता बनी रहे इसके लिए डिजिटल भी लेखा-जोखा रहेगा, इसलिए निश्चित रूप से छत्तीसगढ़ की मजदूरों के लिए बनी यह नीति बहुत अच्छी है, अगर इसे सही से लागू किया जाता है तो जरूर मजदूरों के लिए फायदेमंद होगा," चन्दन कुमार बताते हैं।
प्रवासी मजदूरों की राज्यों की अलग नीति बनाये जाने के साथ-साथ कोरोना लॉकडाउन के बाद से देश में प्रवासी श्रमिकों के लिए एक राष्ट्रीय नीति बनाने की मांग लगातार उठ रही है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की श्रमिक शाखा भारतीय मजदूर संघ ने भी सरकार से मजदूरों पर राष्ट्रीय नीति को लेकर आवाज उठाई है ताकि दूसरे राज्यों में जाने वाले हर एक श्रमिक को योजनाओं का लाभ मिलने के साथ सुरक्षा मिल सके।
छत्तीसगढ़ के साथ-साथ झारखण्ड की हेमंत सोरेन सरकार भी प्रवासी मजदूरों को लेकर राज्य की नयी नीति जल्द ही लाने की तैयारी में हैं।
ऐसे में छत्तीसगढ़ की श्रमिक नीति के बारे में छत्तीसगढ़ के भारतीय मजदूर संघ के अध्यक्ष शिव कुमार कश्यप 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "मजदूरों के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की नयी नीति स्वागत योग्य कदम है। मगर जरूरी यह है कि राज्य सरकार ने अपनी नीति में अगर नियम बनाए हैं तो प्रवासी मजदूरों के हित में उसे लागू भी करवाए, वर्ना ये नियम ही बनकर न रह जायेंगे। मजदूरों के हितों के लिए सरकार का हर प्रयास सराहनीय है।"
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