कृषि में जलवायु परिवर्तन और पानी की कमी बड़ी चुनौतियां, हमें खोजने होंगे नए समाधान : पुरुषोत्तम रूपाला

कोविड-19 ने भूख और कुपोषण को खत्म करने की लड़ाई में एक झटका दिया है। ऐसे में कई देशों में खाद्य उत्पादन और आपूर्ति पर भारी असर पड़ा है।

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कृषि में जलवायु परिवर्तन और पानी की कमी बड़ी चुनौतियां, हमें खोजने होंगे नए समाधान : पुरुषोत्तम रूपालाकेंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला

"आज कृषि क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन, पानी की कमी, भूख और पोषण से सम्बंधित कई चुनौतियां हैं और इन चुनौतियों के लिए हमें बहु क्षेत्रीय समाधान खोजने की जरूरत है, तभी हम सभी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कर पायेंगे," यह विचार केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने रखे।

रुपाला संयुक्त राष्ट्र की खाद्य और कृषि संगठन (FAO) की ओर से आयोजित 35वीं एशिया-पैसिफिक रीजनल कॉन्फ्रेंस (APRC) के दौरान बोल रहे थे। इस वर्चुअल कांफ्रेंस में 46 राष्ट्रों के एफएओ सदस्य और सरकार के मंत्रियों, निजी क्षेत्र, नागरिक समाज, शिक्षा और खाद्य और कृषि क्षेत्रों के तकनीकी विशेषज्ञों सहित 400 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

कोविड-19 ने भूख और कुपोषण को खत्म करने की लड़ाई में एक झटका दिया है। ऐसे में कई देशों में खाद्य उत्पादन और आपूर्ति पर भारी असर पड़ा है। ऐसे में यह कांफ्रेंस कोविड-19 और भूख जैसी महामारियों के समाधान और पुनर्प्राप्ति कार्य की योजना बनाने के लिए बुलाई गई थी।


इस मौके पर केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री ने कहा, "इस महामारी के बीच अन्य देशों से आयात की सुविधा के लिए एक लचीला दृष्टिकोण अपनाया गया है। ऐसे में विश्व खाद्य आपूर्ति श्रृंखला को परेशान नहीं करने के लिए फाइटोसैनेटिक प्रमाणपत्रों की डिजिटल प्रतियां स्वीकार की जा रही हैं।"

इस बीच उन्होंने टिड्डियों और फॉल आर्मीवॉर्म जैसे कीटों के हमले की पुनरावृत्ति की स्थिति में अन्य देशों की सहायता के लिए अपने अनुभव को साझा करने के साथ खाद्य और कृषि संगठन के साथ काम करने के लिए सरकार की इच्छा व्यक्त की।

इससे पहले सम्मेलन के पहले दिन (एक सितंबर) वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने COVID-19 महामारी के जवाब में अपनाए गए अनुकरणीय उपायों की सराहना की। इस मौके पर कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग की अतिरिक्त सचिव डॉ. अलका भार्गव ने कहा, "COVID-19 को नियंत्रित करने के लिए सरकार के समय पर हस्तक्षेप ने भारत की रबी फसल की कटाई और चालू खरीफ मौसम की बुवाई को प्रभावित नहीं किया है।"

असल में एशिया-प्रशांत क्षेत्र दुनिया के आधे से अधिक कुपोषित लोगों का घर है और COVID-19 के साथ दक्षिणी एशिया में भूखे लोगों की संख्या वर्ष 2030 तक लगभग तीसरे से 330 मिलियन तक बढ़ने का अनुमान है। ऐसे में इस कांफ्रेंस के जरिये खाद्य और कृषि के सामने आईं चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की गई।

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