कोविड उपयुक्त व्यवहार, गांव कनेक्शन सर्वे से सीख, कैसे हो तीसरी लहर से बचाव की तैयारी

कोविड के बारे में जानकारी और नियमों का सख्ती से पालन करना एक ऐसा तरीका है जिससे महामारी को बढ़ने से रोका जा सकता है। दिसंबर 2020 में गांव कनेक्शन ने तीसरा ग्रामीण सर्वे किया था। यह सर्वे ग्रामीण भारत में लोगों को कोविड की जानकारी, उनके नजरिए और नियमों का पालन जैसे मुद्दों पर अहम जानकारी देता है और देश में तीसरी लहर को रोकने के लिए बनाई जा रही योजनाओं और तैयारियों में मदद कर सकता है।

Biswaranjan BarajBiswaranjan Baraj   26 Aug 2021 10:30 AM GMT

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कोविड उपयुक्त व्यवहार, गांव कनेक्शन सर्वे से सीख, कैसे हो तीसरी लहर से बचाव की तैयारी

कोविड प्रतिबंधों में ढील के बाद, जरुरी है कि कोविड और उसके नियमों के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलाई जाए। गैर सरकारी संगठन, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आशा व आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और ग्रामीण इलाकों में पंचायत राज संस्थान इनकी निरंतर निगरानी करें और देखें कि उन निर्देशों का कड़ाई से पालन किया जा रहा है।

'जब तक सभी सुरक्षित नहीं हैं, तब तक कोई सुरक्षित नहीं।' दुनिया में फैली महामारी के लिए यह कथन एकदम सटीक बैठता है। ये हमें याद दिलाता है कि पूरी दुनिया के लोग आपस में कितनी नजदीकी से जुड़े हुए हैं। कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए हर व्यक्ति का सुरक्षित रहना जरुरी है।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस महामारी से दुनिया भर में 43 लाख से ज्यादा लोगों की मृत्यु हो चुकी है। भारत में यह संख्या 4 लाख 30 हज़ार से अधिक है। लोगों की सेहत, रोजगार और अर्थव्यवस्था पर इसके विनाशकारी प्रभाव देखे जा सकते हैं। हाल के इतिहास में, कोविड-19 को मानवता की अब तक की सबसे बड़ी चुनौती के रुप में देखा जा रहा है।

अगर हमें इस महामारी को रोकना है तो अन्य उपायों के साथ-साथ हमें कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन करना होगा। महामारी से निपटने का ये एक प्रभावशाली तरीका है। बीमारी के बारे में सही जानकारी का होना और नियमों का पालन करना जैसे मास्क पहनना, शारीरिक दूरी बनाए रखना, आंख, नाक और मुंह को छूने से बचना, बार-बार और अच्छी तरह से हाथ धोना और भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचना ही कोविड उपयुक्त व्यवहार है।

पहली लहर को रोकने में सफल लेकिन दूसरी लहर बेहद खतरनाक

पिछले साल जब महामारी की पहली लहर आई थी, तब भारत कोविड को फैलने और इससे होने वाली मौतों को बढ़ने देने से रोकने में काफी हद तक सफल रहा था। ऐसा लॉकडाउन के कारण संभव हो पाया। केंद्र सरकार ने 24 मार्च, 2020 से देशभर में सख्त लॉकडाउन लगा दिया था। जिसमें नवंबर 2020 तक विभिन्न चरणों में धीरे-धीरे ढील दी गई।

आंकड़े बताते है कि साल 2020 के अंतिम तीन महीनों और साल 2021 की पहली तिमाही में संक्रमण के मामलों में कमी आई थी। बेशक, सख्त लॉकडाउन के कारण, देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई थी और मीडिया में लोगों की दुर्दशा खासकर, प्रवासी मजदूरों के अपने घर लौटने की खबरें दिल दहला देने वाली थीं।

Source: The Hindu data team, August 14, 2021

लेकिन इस साल अप्रैल में कोविड संक्रमण और उससे होने वाली मौतों का आंकड़ा आश्चर्यजनक रूप से बढ़ गया। भारत, जिसे 2020 में पहली लहर से सफलतापूर्वक निपटने के लिए सराहा गया था, अचानक ऑक्सीजन की आपूर्ति और अस्पताल में बिस्तरों की कमी की चुनौतियों का सामना करने में असहाय दिखने लगा। खासकर 2021 के अप्रैल और मई महीने। यह भारत में कोविड की दूसरी लहर थी। पहली लहर की तुलना में सेकेंड वेव कहीं अधिक विनाशकारी थी।

कोविड के तेजी से बढ़ने के कई संभावित कारण हैं। जहां एक तरफ कोविड वायरस का म्यूटेशन इसके लिए जिम्मेदार है तो वहीं दूसरी तरफ कोविड उपयुक्त व्यवहार को न मानना भी इसका एक बड़ा कारण है। महामारी की पहली और दूसरी लहरों के बीच ग्रामीण भारत में कोविड को लेकर बनाए गए नियमों का लोग किस हद तक पालन करते है और इसे लेकर बनाई गई नीतियां कितनी कारगर हैं इसका विश्लेषण किया गया है।

पहली और दूसरी लहर के बीच ग्रामीण भारत में कोविड उपयुक्त व्यवहार

भारत के सबसे बड़े ग्रामीण मीडिया प्लेटफॉर्म गांव कनेक्शन ने कोविड की पहली और दूसरी लहर के बीच दिसंबर 2020 में एक फील्ड सर्वे किया था। उस समय भारत में कोविड मामलों की संख्या सीमित थी। सर्वे की रिपोर्ट को 'द रूरल रिपोर्ट 3: कोविड-19 वैक्सीन एंड रूरल इंडिया' के नाम से प्रकाशित किया गया है।

इस सर्वे में 16 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों के छह हजार लोगों को शामिल किया गया था। जो भारत के अलग-अलग भौगोलिक और सामाजिक-आर्थिक समूहों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। सर्वे में ग्रामीण भारत में लोगों के बीच कोविड की जानकारी, इसके प्रति उनका नजरिया औऱ कोविड से जुड़े नियमों का वे किस हद तक पालन करते है, इन सभी पर जानकारी जुटाई गई। गांवों में भारत की दो तिहाई आबादी रहती है।

सर्वे में शामिल 22 प्रतिशत ग्रामीणों ने माना कि कोविड को लेकर लोगों ने सावधानियां नहीं बरती थीं। इससे पता चलता है कि ग्रामीण आबादी में कोविड से जुडे नियमों की जानकारी और उनका पालन कितना जरुरी है।

जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें लगता है कि नोवेल कोरोनावायरस अभी भी है, तो उनमें से लगभग एक तिहाई लोगों ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि वायरस अभी भी है या फिर उन्हें इसके बारे में पता नहीं है। इसी तरह, सर्वे में शामिल हर दसवें व्यक्ति के अनुसार कोविड सिर्फ एक अफवाह थी। तो वहीं लगभग हर दसवें व्यक्ति ने माना कि इस बीमारी के बारे में काफी बढ़ा-चढ़ाकर बातें की जा रही है, जबकि अन्य दस प्रतिशत ने इसे शहरों की बीमारी बताया।

कोविड को लेकर ग्रामीण आबादी के बड़े हिस्से की इस प्रकार की धारणा कोविड उपयुक्त व्यवहार हासिल करने के लिहाज से सही नहीं है।


यह पूछे जाने पर कि क्या मास्क पहनने से कोरोनावायरस के फैलने की संभावना कम हो जाती है, सर्वे में शामिल लगभग हर पांचवें व्यक्ति ने कहा कि उन्होंने इसके बारे में सोचा नहीं है या फिर वे बता नहीं सकते।


साथ ही, यह पूछे जाने पर कि क्या उनके आसपास के लोग घर से बाहर निकलते समय मास्क पहनते हैं, लगभग 57 प्रतिशत के अनुसार उनके आसपास के लोग ऐसा करते हैं।

जब उनसे पूछा गया कि वह खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रखने के लिए क्या सावधानियां बरत रहे हैं, 67 प्रतिशत लोगों ने मूंह पर मास्क लगाने की बात कही।

42 प्रतिशत लोगों ने कोविड के डर से किसी भी वस्तु को छूने के बाद सैनिटाइज़र या साबुन का उपयोग किया। सर्वे में शामिल लगभग हर पांचवे व्यक्ति ने माना कि वे शारीरिक दूरी बनाए रखते हैं और बाहर कम से कम जाते हैं।

हांलाकि यह काफी उत्साहजनक था कि ग्रामीण आबादी के एक बड़े हिस्से को कोविड के बारे में जानकारी थी और ग्रामीण कोविड के नियमों का पालन कर रहे थे। दिसंबर 2020 में किए गए गांव कनेक्शन के सर्वे में पाया गया कि अध्ययन के हिस्से के रूप में शामिल 58 प्रतिशत गांवों में जागरूकता फैलाने और जागरूकता कार्यक्रम की सूचना दी गई थी। इससे पता चलता है कि कोविड को लेकर चलाए जा रहे अभियान में अभी और सुधार की गुंजाइश है ताकि ग्रामीण भारत में कोविड को लेकर लोगों की सोच को बदला जा सके।


सीखे गए सबक और योजनाओं को लागू करना

कोविड-19 की दूसरी लहर जितनी तबाही और दुख लेकर आई थी लोग अभी उसे भूले नहीं हैं। भारत में जिस तीसरी लहर के आने की संभावना जताई जा रही है, उससे निपटने के लिए विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं ने तैयारी शुरू कर दी है। गांव कनेक्शन द्वारा ग्रामीण भारत में कोविड को लेकर किए गए सर्वे के ये निष्कर्ष इस वैश्विक महामारी से निपटने में कारगर साबित हो सकते हैं। कोविड को लेकर लोगों की सोच और व्यवहार को मद्देनजर रखकर इस महामारी को रोकने के प्रभावी तरीके अपनाए जा सकते हैं।

हांलाकि जहां एक तरफ कोविड के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए लॉकडाउन को सख्ती से लागू करना जरुरी था, वहीं दूसरी तरफ लॉकडाउन के बाद इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए था कि लोग कोविड के नियमों का ठीक ढंग से पालन कर रहे हैं या नहीं। वरना इससे लोगों के बीच एक गलत अवधारणा बन जाती है कि लॉकडाउन और प्रतिबंधों में ढील का अर्थ है बीमारी पर काबू पा लिया गया है।

इसलिए, कोविड प्रतिबंधों में ढील के बाद, जरुरी है कि कोविड और उसके नियमों के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलाई जाए।

गैर सरकारी संगठन, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आशा व आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और ग्रामीण इलाकों में पंचायत राज संस्थान इनकी निरंतर निगरानी करें और देखें कि उन निर्देशों का कड़ाई से पालन किया जा रहा है।

लोगों की धारणा और उनके नजरिए को बदलने में काफी समय लगता है। कोविड जल्द ही जाने वाली बीमारी नहीं है। य़ह लंबे समय तक बनी रहेगी। इसके प्रति लोगों के रवैये और नजरिए को बदलने के लिए निरंतर लंबे समय तक चलाए जाने वाले प्रयासों की जरुरत है। भारत सरकार, राज्य सरकारें और भारत की न्यायपालिका (अपने निर्णयों के जरिए) कोविड को लेकर लोगों के बीच जानकारी देने और नियमों का पालन करने काम कर रही हैं। केंद्र सरकार ने कई अभियान चलाए हैं जो लोगो के बीच जागरूकता फैला रहे हैं। वह अपनी विभिन्न वेबसाइटों के जरिए सूचनाओं का प्रसार कर रही है। साथ ही, नीति आयोग का व्यवहार परिवर्तन अभियान और इसके लिए तैयार की गई एक वेबसाइट काबिल-ए-तारीफ है।

चक्रवात और भूकंप जैसी आपदाओं का प्रभाव सिर्फ एक क्षेत्र तक सीमित रहता है। लेकिन इसके बिल्कुल उलट कोविड जैसी महामारी तेजी से हर जगह फैलती है। कोई भी भौगोलिक सीमा इसे रोक नहीं सकती। अगर इसे रोकना है तो कोविड के नियमों का कड़ाई से पालन करना होगा। 130 करोड़ की आबादी वाले बड़े देश भारत के लिए तो यह और भी जरुरी हो जाता है।

कोविड का संक्रमण खत्म नहीं हुआ है। वह अभी भी यहां बना हुआ है। इस संक्रामक बीमारी को फैलने से रोकने और निपटने की जिम्मेदारी हम सभी की है।

गांव कनेक्शन इनसाइट्स 'द रूरल रिपोर्ट 3: कोविड वैक्सीन एंड रूरल इंडिया' यहां मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं।

(बिस्वरंजन बराज सामाजिक और आर्थिक विकास, सार्वजनिक नीति और स्थिरता के मुद्दों पर काम करते हैं। उनके ये विचार व्यक्तिगत हैं।)

अंग्रेजी में पढ़ें

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