फसल बीमा दावा 2016-17 में बढ़कर 13,000 करोड़ रुपए

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फसल बीमा दावा 2016-17 में बढ़कर 13,000 करोड़ रुपएइस योजना में कम प्रीमियम, दावों के जल्द और पूर्ण भुगतान जैसी बेहतर बातें शामिल की गई हैं।

नई दिल्ली (भाषा)। बेहतर मानसून के बावजूद अगले महीने समाप्त होने वाले फसल वर्ष 2016-17 में फसल बीमा दावों के 13,000 करोड़ रुपए होने की संभावना है जो दर्शाता है कि अन्य जोखिम कृषि क्षेत्र पर मानसून के अलावा दूसरे जोखिम भी बढ़े हैं। फसल वर्ष 2016-17 (जुलाई से जून) में शुरू समुन्नत फसल बीमा नीति ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के लिए ज्यादा किसानों ने आवेदन किए। इस योजना में कम प्रीमियम, दावों के जल्द और पूर्ण भुगतान जैसी बेहतर बातें शामिल की गई हैं।

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कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार सूचीबद्ध 11 बीमा कंपनियों द्वारा करीब 15,891 करोड़ रुपए का प्रीमियम संग्रहित किया गया। इन बीमा कंपनियों ने फसल वर्ष 2016-17 के दौरान खरीफ (गरमी) और रबी (जाड़ा) के दोनों ही सत्रों में किसानों को फसल बीमा योजना को बेचा था। वर्ष 2016-17 में संग्रह किए गए कुल प्रीमियम में किसानों का हिस्सा 2,685 करोड़ रुपए का था। ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत किसानों को काफी प्रीमियम अदा करना होता है जबकि शेष राशि का भुगतान केंद्र और राज्यों द्वारा बराबर बराबर किया जाता है।

गौरतलब है कि वर्ष के दौरान कुल बीमा के दावे करीब 13,000 करोड़ रुपए होने की उम्मीद है जो संग्रहित किए गए कुल प्रीमियम से 80 प्रतिशत अधिक है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बेहतर मानसून वर्ष के बावजूद फसल बीमा के इन दावों को काफी ऊंचा माना जा रहा है। यह दर्शाता है कि देश में खेती का काम कितना जोखिम भरा हुआ है। ये जोखिम स्थान-स्थान पर और क्षेत्रवार ढंग से अलग अलग होते हैं।

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अधिकारी ने कहा कि दावों की मात्रा इसलिए भी अधिक है क्योंकि कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने गंभीर सूखे का सामना किया। खेती को कीटों के हमले, कटाई बाद होने वाले नुकसान और प्राकृतिक आपदा जैसे अन्य गंभीर जोखिमों का सामना करना होता है। पांच सरकारी बीमा कंपनियां और छह निजी कंपनियां, जिन्हें वर्ष 2016-17 में फसल बीमा योजना को बेचने की अनुमति दी गई थी वे, दावों का भुगतान करने की प्रक्रिया में हैं। अधिकारी ने कहा कि पीएमएफबीवाई के लिए 5,000 करोड़ रुपए और मौसम आधारित फसल बीमा योजना (डब्ल्यूबीसीआईएस) के तहत 900 करोड़ रुपए के दावों के भुगतान किए जाने की मंजूरी दी जा चुकी है।

आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान जैसे कुछ राज्यों के द्वारा दावों के बारे में अभी भी रिपोर्ट देना बाकी है तब जाकर पूरी तस्वीर सामने आएगी। पीएमएफबीवाई के तहत खाद्यान्नों और तिलहन फसलों के लिए किसानों के प्रीमियम को 1.5 से दो प्रतिशत तथा बागवानी और कपास फसलों के लिए पांच प्रतिशत तक रखा गया है। प्रीमियम पर कोई अंतिम सीमा नहीं है तथा संभावित दावों का 25 प्रतिशत दावों का निपटान सीधा किसानों के खाते में किया जाएगा।

     

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