‘फसल बीमा योजना’ से बीमा कंपनियों की चांदी, 32 फीसदी तक बढ़ा करोबार
Sudha Pal 14 April 2017 3:14 PM GMT
लखनऊ। फसल बीमा ने इंश्योरेंस कारोबार के रिकॉर्ड को पिछले वित्त वर्ष में 32 फीसदी बढ़ोतरी दिलाई है जिससे पहली बार एक लाख करोड़ रुपए का आंकड़ा पार हो पाया है। पिछले वर्ष प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के लॉन्च के बाद मोटर बीमा और स्वास्थ्य बीमा के बाद कहीं भी, फसल बीमा का कारोबार के क्षेत्र में तीसरी सबसे बड़ा स्थान है।
साल 2016-17 के लिए भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) द्वारा जारी की गई बीमा कंपनियों के लिए व्यावसायिक आंकड़े बताते हैं कि कुल प्रीमियम आय बढ़कर 1.27 लाख करोड़ रुपए हो गई है। जबकि 2016 में यह 96,376 करोड़ रुपए थी। देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी ‘न्यू इंडिया इंश्योरेंस’ के चेयरमैन जी श्रीनिवासन ने कहा,“32 फीसदी विकास में से, लगभग 16 फीसदी विकास फसल बीमा से हुआ है।” उन्होंने कहा कि फसल नुकसान के दावे के प्रीमियम के लगभग 75 फीसदी होने की उम्मीद थी।
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आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस के एमडी और सीईओ, भार्गव दासगुप्ता ने कहा,“हमारे लिए फसल बीमा कुल प्रीमियम का लगभग 10 फीसदी है ऐसा पहली बार हुआ है कि फसल बीमा योजना पूरी तरह से बाजार संचालित है। पहले राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (एनएआईएस) मुख्य रूप से एक सरकारी कार्यक्रम थी और इसे भारत के कृषि बीमा निगम द्वारा प्रशासित किया गया था।
दासगुप्ता ने कहा, “हमने पुनर्बीमा करने की योजना बनाई है क्योंकि दावों की गंभीरता बेहद ऊंची है और नुकसान अनुपात (प्रीमियम के दावे का अनुपात) 200 फीसदी तक जा सकता है।” उन्होंने कहा कि अगले साल फसल बीमा से प्रीमियम अधिक होगा क्योंकि प्रवेश 28 फीसदी के वर्तमान स्तर से बढ़ेगा। वर्तमान वित्तीय वर्ष के दौरान बीमा की कुल फसल का मूल्य तीन लाख करोड़ रुपए तक होगा। बीमा नियामक द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक चार सार्वजनिक क्षेत्र की इंश्योरेंस कंपनियां - न्यू इंडिया एश्योरेंस, राष्ट्रीय बीमा, ओरिएंटल इंश्योरेंस और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस - शीर्ष स्लॉट्स को बनाए रखे हुई हैं।
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