दीपक मिश्रा बने देश के 45वें मुख्य न्यायाधीश, सिनेमाघरों में राष्ट्रगान किया था अनिवार्य

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दीपक मिश्रा बने देश के 45वें मुख्य न्यायाधीश, सिनेमाघरों में राष्ट्रगान किया था अनिवार्यजस्टिस दीपक मिश्रा।

लखनऊ। जस्टिस दीपक मिश्रा ने भारत के 45वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। जस्टिस जेएस खेहर का कार्यकाल रविवार को समाप्त हो गया था। गौरतलब है कि दीपक मिश्रा ने सिनेमाघरों में राष्ट्रागान बजाने से लेकर याकूब मेमन की फांसी और दिल्ली निर्भया कांड के दोषियों के सजा-ए-मौत जैसे अहम फैसले दिये हैं।

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जस्टिस मिश्रा ने 14 फरवरी 1977 में उड़ीसा हाईकोर्ट में वकालत की शुरुआत की। 1996 में दीपक मिश्रा को उड़ीसा हाईकोर्ट का एडिशनल जज बनाया गया और बाद में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट उनका ट्रांसफर किया गया। जस्टिस दीपक को 2009 में पटना हाईकोर्ट मुख्य न्यायाधीश बनाया गया और 2010 में उनका ट्रांसफर दिल्ली हाईकोर्ट हुआ। 10 अक्टूबर 2011 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया। गौरतलब है कि अयोध्या मामले में सुनवाई के लिए जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई में स्पेशल बेंच बनी है।

ये है दीपक मिश्रा

  • जस्टिस दीपक मिश्रा का जन्म 3 अक्टूबर 1953 को हुआ था। 14 फरवरी 1977 में उन्होंने उड़ीसा हाईकोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस शुरू की थी। 1996 में उन्हें उड़ीसा हाईकोर्ट का एडिशनल जज बनाया गया और बाद में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट उनका ट्रांसफर किया गया।
  • 2009 के दिसंबर में उन्हें पटना हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया। फिर 24 मई 2010 में दिल्ली हाईकोर्ट में बतौर चीफ जस्टिस उनका ट्रांसफर हुआ। 10 अक्टूबर 2011 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया।
  • अपने लंबे कार्यकाल में जस्टिस दीपक मिश्रा ने कई ऐतिहासिक फैसले दिए हैं। पिछले साल 3 मई को जस्टिस दीपक मिश्रा ने आपराधिक मानहानि से संबंधित कानूनी प्रावधान के संवैधानिक वैधता को सही ठहराया था। जस्टिस मिश्रा ने कहा था कि विचार अभिव्यक्ति का अधिकार असीमित नहीं है।
  • 30 नवंबर 2016 को दिए अपने ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने कहा था कि पूरे देश में सिनेमा घरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान चलाया जाए और इस दौरान सिनेमा हॉल में मौजूद तमाम लोग खड़े होंगे। राष्ट्रगान के सम्मान में तमाम लोगों को खड़ा होना होगा।
  • मुंबई ब्लास्ट के दोषी याकूब मेमन को फांसी की सजा जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने ही सुनाई थी। आजाद भारत में पहली बार सुप्रीम कोर्ट में रात भर सुनवाई चली थी। सुप्रीम कोर्ट में रात के वक्त सुनवाई करने वाले बेंच की अगुवाई जस्टिस दीपक मिश्रा ने ही की थी। दोनों पक्षों की दलील के बाद याकूब की अर्जी खारिज की गई थी और फिर तड़के उसे फांसी दी गई थी।
  • इसी साल 5 मई को बहुचर्चित निर्भया गैंग रेप केस में तीनों दोषियों की फांसी की सजा को जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने बरकरार रखा था। जस्टिस दीपक मिश्रा ने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में पुलिस से कहा था कि वह एफआईआऱ दर्ज करने के 24 घंटे बाद उसे वेबसाइट पर अपलो़ड करें।
  • जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई में स्पेशल बेंच बनी है जो अयोध्या मामले की सुनवाई करे। इसके अलावा बीसीसीआई रिफार्म, सहारा सेबी मामला भी जस्टिस मिश्रा की बेंच सुन रही है।

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