राजस्थान: थार में हाइटेंशन तार कर रहे विदेशी पक्षियों का स्वागत और उपहार में मिल रही मौत

पश्चिमी राजस्थान में इस बार प्रवासी पक्षी समय से पहले आने लगे हैं। जो रेगिस्थान की इस जमीन के लिए अच्छा संकेत है लेकिन समस्या है, यहां बिछे हाईटेंशन लाइनों से बहुत सारे पक्षी घायल हो रहे हैं उनकी मौत हो रही है। पिछले 20 दिनों में यहां 18 कुरजां प्रवासी पक्षियों की मौत से पर्यावरण प्रेमी चिंतित हैं।

Kamal Singh SultanaKamal Singh Sultana   30 Oct 2021 11:23 AM GMT

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राजस्थान: थार में हाइटेंशन तार कर रहे विदेशी पक्षियों का स्वागत और उपहार में मिल रही मौत

पश्चिमी राजस्थान में समय में पहले पहुंचे प्रवासी पक्षी। सभी फोटो सुमेर सिंह भाटी

जैसलमेर (राजस्थान)। पश्चिमी राजस्थान की जैव विविधता समय के साथ समृद्ध हो हुई है। बेहतर वातावरण के कारण ही हज़ारों किलोमीटर दूर से विभिन्न देशों से 150 से अधिक तरह के पक्षी हर साल जैसलमेर समेत पश्चिमी राजस्थान के थार में पहुंचते हैं। स्थानीय लोग इन पक्षियों को भी मेहमान मानते हैं। पक्षियों की पूरी देखभाल करते है। मेहमान पक्षी यहां के जीवन का भी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जैसलमेर में आने वाले कुरजाँ पक्षी को लेकर भी एक ऐसा ही लोकगीत आम जनमानस में प्रचलित है, जिसमें कुरजाँ को अपने प्रदेश में आने का न्यौता देने का भाव है, जिसके बोल है "हालेनी कुरजा म्हारै जैसाने रे देश"

थार के विभिन्न क्षेत्रों में तिलोर, येलो आइड पीजन, कोरसर, पेलिकन, सोशियल लेपविंग, कुरजां, पेलिकेन की बहार है। ये पक्षी थार को समृद्ध करते हैं। पश्चिमी राजस्थान के थार में प्रवासी मेहमान पक्षी कुरजां सहित विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों का आगमन इस बार समय से पूर्व हो चुका है। स्थानीय लोग कहते हैं, ऐसे लगता है जैसा इऩ पक्षियों का जैसलमेर से खास लगाव है। सुबह शाम जलाशयों पर कुरजां समेत विभिन्न तरह के पक्षिओं का कलरव देखा जा सकता है।

जैसलमेर के पर्यावरण और पशुपक्षी प्रेमी नंदकिशोर बताते हैं, "गोडावण (Great Indian bustard) की तरह नजर आने वाले दुर्लभ पक्षी बस्टर्ड समूह के तिलोर होबारा बस्टर्ड मध्य एशिया के अरब क्षेत्र से अफगानिस्तान, पाकिस्तान होते हुए पश्चिमी राजस्थान के थार तक पहुंचने लगे हैं। तिलोर पक्षी शीतकाल में भारत के जैसलमेर बीकानेर और गुजरात के कुछ क्षेत्रों में नवम्बर माह में आते हैं, लेकिन इस बार समय से पूर्व अगस्त के अंतिम सप्ताह से ही नजर आना पक्षी वैज्ञानिकों की ओर से थार की उन्नत जलवायु का संकेत माना जा रहा है।"

वे आगे बताते है कि "ईको फ्रेण्डली ट्रेडिशन की इसी विरासत के कारण हजारों किमी दूर विभिन्न देशों से 150 तरह के पक्षी हर साल करीब एक लाख से अधिक संख्या में शीतकाल में पड़ाव डालने जोधपुर, मारवाड़ व पश्चिमी राजस्थान के थार में पहुंचते हैं। पक्षी वैज्ञानिकों के अनुसार इस बार शीतकाल में थार में कुछ नई प्रजातियों के पक्षियों का आगमन हो सकता है।

जोधपुर जिले के फलोदी क्षेत्र के खींचन गांव में हर साल सितम्बर माह में कुरजां (Demoiselle crane) पहुंचती हैं, लेकिन इस बार कुरजां ने 26 अगस्त को ही दस्तक दे दी थी। पक्षी विशेषज्ञ थार के नहरी क्षेत्र में पानी की प्रचूरता को भी समय पूर्व पक्षियों के पहुंचने का एक कारण मानते हैं।

ओरण में पड़ा मृत पक्षी

हाईटेंशन तार बने पक्षियों के जान के दुश्मन

इन सबके बीच भयावह ख़बर यह है कि जैसलमेर में लगातार हाइटेंशन तारों के बिछने की घटना लगातार बढ़ती जा रही है। पक्षियों को पावर लाइन से होने वाले खतरे को देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने मार्च 2021 में देगराय ओरण में पावर कंपनियों को अंडर ग्राउंड पावर लाइन डालने का आदेश दिया था। भारतीय वन्य जीव संस्थान ने 2020 में अपनी रिपोर्ट में हाइटेंशन पावर लाइनों को गोडावण के लिए बड़ा खतरा बताया है। इससे जैसलमेर क्षेत्र में हर साल करीब 83,000 पक्षियों के जान गंवाने का अनुमान लगाया गया है। वहीं दूसरी तरफ कंपनियां इस क्षेत्र में पाए जाने वाले गोडावण यानी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को स्वच्छ ऊर्जा के विकास में रोड़ा बता रही हैं।

अकेले जैसलमेर में इस बार 4 अक्टूबर से लेकर 26 अक्टूबर तक करीब 18 प्रवासी पक्षियों की मौत हुई है। इनमें 14 कुरजां, 3 दुर्लभ बाज व एक बतख की मौत इन हाइटेंशन लाइनों के संपर्क में आने से हो चुकी है।

जैसलमेर के हरित कार्यकर्ता भोपाल सिंह झलोडा गांव कनेक्शऩ को बताते हैं, "राजस्थान की लोक संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले मंगोलिया और मध्य एशिया से आने वाले इस प्रवासी पक्षियों की इस तरह की दर्दनाक मौत से हम विचलित हैं।"

वो आगे कहते हैं, इतने पक्षियों की मौत हुई ये तो हम लोगों को घूमने के दौरान पता चला, बाकी कितने पक्षियों की जान गई होगी इसकी कोई जानकारी नहीं। सर्दियों में ये प्रवासी पक्षी झुण्ड के रूप में नजर आते है, लेकिन इस बार ये छोटे छोटे समूह में नजर आ रहे हैं।"

जैसलमेर में इस बार कम बारिश के चलते आकाल जैसे हालात थे, ऐसे में विदेशी पक्षियों की आगवानी की भी काम उम्मीद थी, लेकिन बीते एक महीने में बारिश अपेक्षाकृत रूप से ठीक हुई है, जिसने यहाँ आने वाले पक्षियों के लिए भी स्वागत द्वार खोल दिए हैं।

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ओरण इलाके में हाईटेंशन लाइनों का जाल, फोटो सुमेर सिंह भाटी

प्रवासी पक्षियों का आना जलवायु के हिसाब से ठीक

पक्षी वैज्ञानिक व पूर्व जॉइंट डायरेक्टर भारतीय प्राणि सर्वेक्षण (जेएएसआई) डॉ. संजीव कुमार बातचीत में बताते हैं, "पूरे पश्चिमी राजस्थान में एक बार भी उच्च तापमान जैसी स्थिति नहीं बनी थी। इसका मतलब जलवायु परिवर्तन माना जा रहा है। विश्व के कई देशों से जो प्रवासी पक्षी आते हैं वहां की स्थिति पक्षियों के अनुकूल नहीं होने पर वे सुरक्षित ठिकाने की तलाश में आ सकते हैं।"

वो आगे कहते हैं, "तिलोर पक्षी का शिकार अफगानिस्तान व पाकिस्तान में दशकों से होता रहा है। ऐसे में यदि थार में थोड़ा सा ध्यान दिया जाए तो जलवायु उन्नत मामले में हम विश्व लीडर बन सकते हैं।"

जैसलमेर में जगह-जगह तारों के बीछ जाने से पक्षियों के लिए स्वतंत्र उड़ने के अवसर कम हो गए है। बिजली और सोलर कंपनियों की मनमानी भी लगातार बढ़ती जा रही है। यहाँ की विविधता व खुली जमीन के कारण वर्तमान में कई पावर कंपनी काम कर रही हैं। जहां से बनी बिजली बहुत से घरों को रौशन कर रही है लेकिन इस इलाके में आने वाले पक्षियों के लिए काल बन रही है।

पशु पक्षियों की छिनी स्वतंत्रता

स्थानीय लोगों के मुताबिक ओरण क्षेत्र में अब पशु पक्षी उस तरह से स्वतंत्र टहलते, उड़ते, घूमते ऩजर नहीं आते हैं क्योंकि जगह-जगह फैले हाईटेंशन बिजली के तारों से उन्हें खतरा रहता है। गोडावण जैसे पक्षियों के अक्सर पर कट जाते हैं और प्रशासन इसकी सुध तक नहीं लेता।

पर्यावरण कार्यकर्ता सुमेर सिंह इसके लिए वन विभाग और स्थानीय प्रशासन दोनों को जिम्मेदार मानते हैं। वो कहते हैं, "प्रशासन ने इस तरफ से आंखें मूंद ली हैं। सौर कंपनियां भीमसर, भोपा, सवाता, रसाला गांवों में पैनल और ओवरहेड लाइनों का जाल बिछा रही हैं। वन विभाग ने भी पक्षियों को बचाने के प्रयास छोड़ दिए हैं। लिहाजा हमने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है ताकि यहां हो रहे सौर और उर्जा संयंत्रों पर काम पर रोक लगाई जा सके।"

इस पूरे मामले को लेकर जैसलमेर राजघराने के पूर्व महारावल चैतन्यराज सिंह भी चिंतित हैं। गांव कनेक्शन से वो कहते हैं, "विदेशी पक्षियों का समय-समय पर भारत आना ये दर्शाता है कि इन पक्षियों के लिए ये जगह रहने के अनुकूल है। हमारा तथा प्रशासन का कर्तव्य बनता है कि इन पक्षियों की देखभाल हम सब मिलकर करें। लेकिन हाल ही में हुई घटना जिसमें हाइटेंशन लाइन से टकरा कर कई पक्षियों की जो मृत्यु हुई वो बहुत दुखद है। यह एक लापरवाही है। मैं प्रशासन और राज्य सरकार से अपील करता हूँ कि इसका पूर्ण रूप से समाधान करें और इन पक्षियों का जीवन बचाने में योगदान दें।"

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