पराली जलाने को लेकर किसानों और सरकार में ठनी

केंद्र सरकार ने किसानों से पराली न जलाने की अपील भी की है। साथ ही पराली जालने पर 2500 रुपए से लेकर 15000 रुपए तक के जुर्माने की घोषणा भी की है।

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पराली जलाने को लेकर किसानों और सरकार में ठनी

पराली (धान का अवशेष) जलाने को लेकर पंजाब सरकार और किसानों में ठन गई है। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने शुक्रवार को संगरूर में जिला कलेक्टर के दफ्तर के बाहर पराली न जलाने का विरोध किया। भाकियू नेताओं का कहना है कि पराली जलाने को लेकर किसानों पर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।

बता दें, पंजाब के ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री तृप्त रजिंदर सिंह बाजवा ने हाल ही में कहा था, ''सरकार पराली को जलाने पर रोक लगाने के लिए कड़े कदम उठा रही है। नियम का उल्लंघन करने वाले किसानों पर जुर्माना लगाने और उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करने के लिए बड़ी संख्या में नोडल अधिकारी नियुक्त किये गए हैं। उन्होंने कहा , "इसी के साथ, सरकार किसानों को पराली जलाने का दोषी पाये जाने की स्थिति में उन्हें पंचायत चुनाव लड़ने में अयोग्य बनाने के लिए पंचायती राज अधिनयिम में संशोधन करने के एक प्रस्ताव भी विचार कर रही है।" किसान सरकार द्वारा उठाए जा रहे इन्‍हीं कदमों का विरोध कर रहे हैं।

बता दें, केंद्र सरकार ने किसानों से पराली न जलाने की अपील भी की है। साथ ही पराली जालने पर 2500 रुपए से लेकर 15000 रुपए तक के जुर्माने की घोषणा भी की है। इस मामले पर केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने भी कहा था कि, ''केंद्र सरकार हर स्तर पर मामले की निगरानी कर रही है।''

केंद्र सरकार ने दिल्ली के पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा से गुरुवार को अपील भी की कि वे प्रदूषण नियंत्रित करने की दिशा में पराली जलाये जाने से रोकने के लिए जिम्मेदारी से काम करें। केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने अपील करते हुए कहा, ''मैं अपील और प्रार्थना कर रहा हूं, मुझे उम्मीद भी है कि राज्य इस मुद्दे पर पहले की अपेक्षा अधिक गंभीरता और जिम्मेदारी से काम करेंगे।''


वहीं, पराली जलाने की घटनाओं की सेटेलाइट से निगरानी भी की जा रही है। इसी कड़ी में सचिव, कृषि एवं किसान कल्याण, भारत सरकार ने प्रमुख सचिव, उत्‍तर प्रदेश सरकार को बताया था कि सेटेलाइट के माध्यम से पता चला है कि यूपी के कई जिलों में पराली (फसल अवशेष) जलाने की घटनाएं हुईं हैं। इसमें बाराबंकी में पराली जलाने की ज्‍यादा घटनाएं सामने आई हैं।

इसके बाद बाराबंकी के जिलाधिकारी ने कृषि विभाग को तत्काल अपने क्षेत्र में भ्रमण करके उन किसानों को चिन्‍हित करने का निर्देश दिया है जो पराली जला रहे हैं। इन किसानों पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। मीडिया रिपोर्टर्स के मुताबिक, शाहजहांपुर में पराली जलाने वाले 74 किसानों से 6.60 लाख जुर्माना वसूला गया है।

उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव कृषि अमित मोहन प्रसाद ने इस मामले पर किसानों से अपील की है। अपने ऑडियो संदेश में अमित मोहन प्रसाद ने कहा, ''खरीफ की फसल की कटाई का समय आ गया है। कई जनपदों में धान की कटाई शुरू भी हो गई है। हमें इस बात का ध्‍यान रखना है कि फसल की कटाई के बाद जो फसल अवशेष हैं उसे हम प्रयोग में लाएं या मिट्टी में ही दफना दें, जिससे कि वो खाद में बदल जाए। कुछ किसान इन अवशेषों को जला देते हैं जो कि हर तरह से हानिकारक है। साथ ही फसल अवशेषों को जलाना अपराधा भी है, जिसके तहत ऐसा करने वाले किसानों पर कार्रवाई भी हो सकती है। इस लिए फसल अवशेषों को जलाएं नहीं।''

यह भी देखें: अभी छंटता नहीं दिख रहा पराली से उठने वाला धुआं

पंजाब और हरियाणा देश में धान का सर्वाधिक उत्पादन करने वाले प्रदेश हैं, इस हिसाब से यहां पराली भी सबसे ज्यादा होती है। अकेले पंजाब में हर साल लगभग 2 करोड़ टन पराली खेतों में रह जाती है। इनमें से लगभग 1.5 करोड़ टन पराली में आग लगाई जाती है। 2017 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने पराली से निबटने के लिए 665 करोड़ रुपए का बजट भी निर्धारित किया लेकिन हालात में खास बदलाव नहीं दिखाई देता। किसान सरकारी नीतियों को दोष देते हुए पराली जला रहे हैं क्योंकि अगले 20 दिन में उन्हें गेहूं बुवाई की तैयारी करनी है।

वहीं, दिल्‍ली में हवा बेहद दूषित होने पर आपात स्थिति की चेतावनी देने वाली प्रणाली की शुरुआत सोमवार से हो जाएगी। मौसम विभाग, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और मौसम विज्ञान संबंधी विभिन्‍न शोध संस्थानों द्वारा विकसित की गयी इस प्रणाली की शुरुआत पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डा. हर्षवर्धन करेंगे। इस दौरान डा. हर्षवर्धन चेतावनी प्रणाली से जुड़ी वेबसाइट भी शुरु करेंगे। इसकी मदद से दिल्‍ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण की क्षेत्रवार स्थिति का पता लगाया जा सकेगा। इसका संचालन विभाग की राष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान इकाई द्वारा किया जायेगा।

कितना है जुर्माना?

2 एकड़ से कम भूमि: 2500 प्रति घटना

2 एकड़ से 5 एकड़ तक: 5000 प्रति घटना

5 एकड़ से अधिक भूमि: 15000 प्रति घटना

    

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