ट्विटर पर भी छाए हैं किसानों के पत्थर हो चुके पैर
Alok Singh Bhadouria 12 March 2018 2:00 PM GMT
नासिक से 30,000 किसानों का जत्था 6 मार्च को मुंबई के लिए निकला था। अपनी मांगों को मनवाने के लिए ये किसान 150 किलोमीटर पैदल चलकर 12 मार्च को मुंबई में महाराष्ट्र विधानसभा पहुंचे। किसानों के इस सैलाब में महिला, पुरुष, बच्चे, बूढ़े, जवान शामिल हैं। मुंबई की आम जनता ने जिस तरह आंदोलन में शामिल किसानों का स्वागत किया है उससे जाहिर है कि लोगों की सहानुभूति किसानों के साथ है। हर बात को लेकर सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाली जनता इस मुद्दे पर क्या प्रतिक्रिया देती है यह जानने के लिए हमने फेसबुक और ट्विटर का रुख किया।
फेसबुक इस्तेमाल करने वालों ने किसान यात्रा की शुरूआत से ही यात्रा के विडियो और फोटो शेयर किए। कुछ लोगों ने अखबारों में छपने वाली उन खबरों को शेयर किया जिनमें जिक्र था कि कैसे जहां-जहां से आंदोलन गुजरा वहां-वहां लोगों ने उसका स्वागत किया।
फेसबुक पर लोगों ने आंदोलन के साथ अपनी सेल्फी भी पोस्ट की हैं। कुछ लोगों ने इस बात पर नाखुशी जाहिर की कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में इस आंदोलन को ज्यादा जगह नहीं मिल रही है। चूंकि इस किसान मोर्चे की अगुआई भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से संबंधित ऑल इंडिया किसान सभा नाम का संगठन कर रहा है इसलिए कुछ लोगों ने इस मोर्चे को किसान आंदोलन की जगह राजनीतिक अभियान के नजरिए से देखा है। उनकी नजर में यह मोदी सरकार की खिलाफत को एकजुट हुआ वामपंथी विपक्ष है। हालांकि दूसरे फेसबुक यूजर्स ने किसान संघर्ष को राजनीतिक चश्मे से देखने का विरोध किया है। कुल मिलाकर फेसबुक पर किसान यात्रा को लेकर बहुत ज्यादा गहमा-गहमी नहीं रही और कमोबेश फेसबुक इस्तेमाल करने वालों के बीच इस मुद्दे पर कोई बहस नहीं दिखी।
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लेकिन ट्विटर पर मामला एकदम उलट था। यहां #FarmersMarchToMumbai और "Mumbai's Azad Maidan" ट्रेंड कर रहे थे। लोग साफ-साफ दो गुटों में बंटे थे। एक गुट इसे मोदी सरकार के खिलाफ वामपंथी और विपक्ष दलों की साजिश करार दे रहा था। ऐसा मानने वाले लोगों का कहना था कि प्रदर्शन में शामिल किसान नहीं हैं भाड़े पर लाए हुए लोग हैं।
लेकिन थोड़ी अजीब बात यह थी कि बिल्कुल ऐसे ही शब्द कई और ट्विटर अकाउंट पर दिख रहे थे।
सवाल है कि क्या कुछ यूजर्स किसी योजना के तहत ऐसे मैसेज पोस्ट कर रहे थे? खैर, कुछ लोगों ने किसानों के पक्ष में सरकार से अपील भी की
ऐसे भी ट्विटर यूजर्स थे जिन्होंने इस आंदोलन को देश को एकजुट करने वाले अभियान के रूप में देखा
सबसे ज्यादा तारीफ तो इस बात की हुई कि किसानों ने संवेदनशीलता दिखाते हुए बच्चों की परीक्षा खत्म होने के बाद अपना घेराव शुरू करने का फैसला किया है
क्रिकेट के जानकार और कंमेंटेटर हर्षा भोगले ने भी इसकी तारीफ की
इस मुद्दे पर हो रही राजनीति पर भी लोगों ने नाराजगी जताई
नंगे पांव चलते किसानों के बदहाल पैरों के फोटो भी ट्वीट हुए
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