किसान आंदोलन: सरकार के साथ किसान संगठनों की अगली बैठक 8 जनवरी को, विरोध प्रदर्शन तेज

किसान नेताओं और सरकार के बीच सोमवार को हुई बैठक को बहुत अहम बताया जा रहा था, क्योंकि किसान संगठनों ने पहले वार्ता में हल नहीं निकलने पर आंदोलन तेज करने का अल्टीमेंटम दिया था।

Arvind ShuklaArvind Shukla   4 Jan 2021 12:37 PM GMT

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किसान आंदोलन से जुड़ी खबर है, किसान संगठनों के प्रतिनिधियों और सरकार के बीच हुई सातवें दौर की बैठक में किसान आंदोलन को लेकर कोई हल नहीं निकलने के बाद किसानों ने अपना आंदोलन तेज कर दिया है। किसान नेता पंजाब, हरियाणा, राजस्थान समेत दूसरे राज्यों में जाकर किसानों को जागरुक कर रहे हैं तो कई राज्यों के किसानों का दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचने का सिलसिला जारी है। 6 जनवरी को किसान हरियाणा के कोडंली-मानेसर हाईवे पर ट्रैक्टर मार्च करेंगे, इस मार्च को वो 26 जनवरी की परेड का रिहर्सल बता रहे है।

किसान और सरकार के बीच अगली बैठक 8 जनवरी को फिर विज्ञान भवन में आयोजित की जाएगी। किसान आंदोलन के 40वें दिन हुई 4 जनवरी की बैठक में किसान संगठनों की तरफ से 41 किसान यूनियन के प्रतिनिधि वार्ता में शामिल थे। ये सांतवें दौर की वार्ता थी। बैठक के बाद कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, "चर्चा का माहौल अच्छा था लेकिन किसानों के कृषि कानूनों की वापसी पर अड़े पर रहने के कारण कोई हल नहीं निकल पाया। लेकिन जिस तरह से वार्ता हुई है हमें उम्मीद है कि अगली बैठक में सकारात्मक हल निकलेगा।"

राष्ट्रीय किसान संघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता और संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े अभिमन्यु कोहाड़ ने बैठक के तुरंत बाद गांव कनेक्शन से बात करते हुए कहा, "मीटिंग में दो मुद्दों पर चर्चा हुई। हमने पूछा कि कृषि कानूनों को आप रद्द कैसे करेंगे ये बताइए? सरकार ने कहा कि कोई विकल्प बताइए, लेकिन हमने (किसान संगठनों) कहा कि देश के सभी किसानों का मत है कि कानून वापस हों। एमएसपी पर भी चर्चा हुई। लेकिन कोई हल नहीं निकला है। किसान आंदोलन की आगे की रणनीति तय करने के लिए मंगलवार को सभी किसान संगठनों की बैठक होगी।"

हरियाणा के किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) अध्यक्ष गुरुनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा, "आज की बैठक में कोई बात सिरे (सहमति) नहीं लगी। अगली मीटिंग में कृषि कानूनों की वापसी पर सरकार हां या न में जवाब देगी। एमएसपी वाली कानून पर बात होगी। हमारा 6 जनवरी का ट्रैक्टर मार्च और दूसरे किसानों के कार्यक्रम ज्यों ते त्यों रहेंगे।"

लोक भलाई इंसाफ वेलफेयर सोसायटी से जुड़े पंजाब के किसान नेता जगजीत सिंह डालेवाल ने कहा "हमने सरकार को साफ बता दिया है कि अगर वे कृषि कानूनों को वापस नहीं ले रहे तो हम अगले दौर की बैठक नहीं करेंगे, सरकार ने अब अगली बैठक 8 तारीख को बुलाई है।"

इससे पहले छठे दौर की वार्ता में 4 में से दो बिंदुओं पर बात बनती नजर आ रही थी लेकिन किसानों ने अपनी प्रमुख मांगों कृषि कानूनों की वापसी और एमएसपी पर सहमति बने बिना आंदोलन वापस लेने से इनकार कर दिया है।

एक जनवरी और फिर 2 जनवरी को दिल्ली में किसान नेताओं ने ऐलान किया था कि सरकार के साथ वार्ता अगर सफल नहीं हुई तो आंदोलन और तेज होगा। किसान संगठनों ने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार किसान आंदोलन को बहुत हल्के में ले रही है और बाचतीत में अभी तक सिर्फ पूछ निकली है, हाथी निकलना बाकी है।

सरकार के साथ वार्ता में टी ब्रेक के दौरान चर्चा करते किसान नेता दर्शनपाल, राकेश टिकैत कविथा कुरुग्रंथी व अऩ्य। फोटो अरेंजमेंट

संयुक्त किसान मोर्चा के अहम सदस्य और पंजाब क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष डॉ.दर्शनपाल ने कहा "अगर 4 जनवरी की बैठक बेनतीजा रही और 5 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई में भी हमारे पक्ष में कुछ नहीं रहा तो हम 6 जनवरी को सिंघु बॉर्डर से कोंडली-मानेसर मार्ग पर मार्च करेंगे, ये हमारा 26 जनवरी यानि गणतंत्र दिवस के मार्च का रिहर्सल होगा।" शनिवार को दिल्ली के प्रेस क्लब में हुई पत्रकार वार्ता में किसान नेताओं ने सरकार को 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर मार्च का अल्टीमेटम दिया था।

इसी बीच रिलायंस इंडस्ट्री ने दो पेज का एक बयान जारी कर कहा कि उसका वर्तमान बिल न न कोई लेना देन है और ना ही भविष्य उसे कोई फायदा होने वाला है। रिलायंस ने कहा कि वो न तो कभी कांट्रैक्ट या कॉरपोरेट फॉर्मिंग करवाता था ना उसका आगे कोई इरादा है।

किसान संगठनों के मुताबिक दिल्ली की सीमाओं पर इस वक्त 6 धरने (नाकेबंदी) चल रही हैं जबकि पूरे देश में 100 जगह बड़े प्रदर्शन हो रहे हैं। किसान नेताओं ने कहा कि अगर सरकार ने कृषि कानून वापस नहीं मिले और एमएसपी पर सभी फसलों की कुल खरीद की गारंटी देने वाला कानून नहीं बनाया तो दिल्ली के सिंघु बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर के साथ ही राजस्थान-हरियाणा के शाहजहांपुर बॉर्डर और पलवल बॉर्डर से किसान दिल्ली में प्रवेश कर 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च करेंगे।

वीडियो में देखिए संयुक्त किसान मोर्चा की प्रेस कॉन्फ्रेस में योगेंद्र यादव ने (1 जनवरी) को क्या कहा था


संयुक्त किसान मोर्चा ने हालांकि 6 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च का ऐलान किया है लेकिन किसानों के एक अहम संगठन भारतीय किसान यूनियन एकता उग्राहन ने टिकरी बॉर्डर से 2 जनवरी को किसानों के एक जत्थे ने 2000 ट्रैक्टर के साथ हरियाणा में एक मार्च निकाला जो 3 जनवरी को शाहजहांपुर बॉर्डर पहुंचा था देखिए उसका लाइव वीडियो...

वहीं आज 4 जनवरी को किसानों के साथ बैठक शुरु होने से पहले केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हमें बहुत आशावान है कि आज की बैठक से कुछ पॉजिटिव हल निकलेगा। हम आज सभी मुद्दों पर वार्ता करेंगे।

किसानों के साथ बैठक से पहले मीडिया से बाचतीत में केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि बैठक से कुछ हल निकलेगा। फोटो- ANI

इससे पहले 30 दिसंबर को हुई बैठक के बाद कृषि मंत्री ने कहा था कि, "किसान यूनियन के नेताओं ने जो 4 विषय चर्चा के लिए रखे थे, उनमें से 2 विषयों पर आपसी सहमति सरकार और किसान यूनियनों के बीच हो गई है। पर्यावरण से संबधित अध्यादेश है उसमें पराली और किसान सम्मिलित हैं। उनकी शंका थी कि किसान को इसमें नहीं होना चाहिए। इसपर दोनों पक्षों में सहमति हो गई है। इलेक्ट्रिसिटी एक्ट जो अभी आया नहीं है, उन्हें लगता है कि यह एक्ट आएगा तो इससे किसानों को नुकसान होगा। सिंचाई के लिए जो बिजली की सब्सिडी दी जाती है वो राज्य जिस प्रकार से देते रहे हैं, वैसे ही चलनी चाहिए। इसपर भी सरकार और किसान यूनियनों के बीच सहमति हो गई है।"

कृषि मंत्री ने आगे कहा था, "किसान यूनियन 3 क़ानूनों को वापिस लेने की बात करती रही हैं। हमने ये बताने की कोशिश की है कि जहां समस्या है, वहां सरकार विचार करने को तैयार है। क़ानून के विषय में और MSP के विषय में चर्चा पूरी नहीं हुई है, चर्चा जारी है।"

खबर अपडेट हो रही है

   

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