जिनके सम्मान में गूगल डूडल आज उर्दू में दिख रहा है, काैन हैं वो अब्दुल क़वी देसनवी
Shrinkhala Pandey 1 Nov 2017 1:29 PM GMT
लखनऊ। अगर आपने आज सुबह का गूगल डूडल देखा हो तो उसमें गूगल उर्दू स्क्रिप्ट की तरह से लिखा दिखेगा। इसके साथ ही काली अचकन पहने एक शख्स का स्केच भी होगा। गूगल 1 नवंबर को अपना डूडल उर्दू लेखक और आलोचक अब्दुल क़वी देसनवी के 87 जन्मदिन को समर्पित कर रहा है।
कौन हैं अब्दुल क़वी देसनवी
अब्दुल कवी देसनवी का जन्म बिहार के नालंदा जिले के देसना गांव में हुवा था। यह उर्दू भाषा के प्रोफेसर थे इन्हें इनकी उर्दू में लिखी गयी साहित्यिक पुस्तकों के लिए भी जाना जाता है। इनकी लिखी किताबों में मौलाना आज़ाद, मिर्जा ग़ालिब और अल्लामा इक़बाल के ऊपर लिखी गई तलाश-ए-आज़ाद, मोतला-ए-खुतूत ग़ालिब और सात तहरीरें सबसे प्रसिद्ध हैं।
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भोपाल के सफिया कॉलेज में उर्दू विभाग के हेड के तौर पर रिटायर होने वाले देसनवी के शिष्यों में कई बड़े नाम शामिल रहे हैं। इनमें जावेद अख्तर और इकबाल मसूद जैसे उम्दा शायर भी हैं। उर्दू साहित्य के बड़े नामों पर अपने उच्च स्तरीय शोध के लिए पहचाने जानेवाले देसनवी साहब ने अपनी पढ़ाई मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से की थी, वो भोपाल की मशहूर बर्कतउल्लाह यूनिवर्सिटी के डीन भी रहे थे। उनका देहांत 7 जुलाई, 2011 को हुआ।
मौलाना अबुल कलाम आजाद के जीवन पर लिखी थी किताब
अब्दुल कावी देसनावी सिर्फ उर्दू भाषा के जानकार नहीं थे बल्कि उस समय के जाने-माने लेखक भी थे। उर्दू साहित्य में उनके योगदान के लिए उन्हें आज दुनियाभर में जाना जाता है। देसनावी ने वैसे तो कई प्रसिद्ध कृतियां लिखी हैं, लेकिन उसमे 'हयात-ए-अबुल कलाम आजाद' का उर्दू साहित्य में अलग ही स्थान है। ये किताब स्वतंत्रता सेनानी मौलाना अबुल कलाम आजाद के जीवन पर लिखी गई थी, जिसे साल 2000 में प्रकाशित किया गया था।
अपने लंबे करियर में उन्होंने उर्दू भाषा को काफी कुछ दिया।उन्होंने हजारों कविताएं और कई किताबें लिखीं, डूडल पर उन्हें याद करते हुए विशेष डिजाइनिंग की गई जिसमें उन्होंने उर्दू की छाप लाने का प्रयास किया।
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