गुरुग्राम के जलभराव से दिल्ली के गांवों में हजारों एकड़ फसलें बर्बाद

पिछले दिनों गुरुग्राम, दिल्ली और जयपुर शहर के अंदर जलभराव की खबरें, फोटो और वीडियो सोशल मीडिया में खूब चले। गुरुग्राम में दो-तीन दिन में पानी उतर गया और इसी के साथ वो खबरें भी गायब हो गईं, लेकिन इस पानी ने कहीं और भी तबाही मचाई, इन खबरों को इनती तवज्जो नहीं मिली।

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गुरुग्राम के जलभराव से दिल्ली के गांवों में हजारों एकड़ फसलें बर्बाद

- अमित पांडे

ढक-ढक आवाज़ करते हुए जेनरेटर और पानी उगलती बिजली की मोटरें रावता गाँव में आजकल दिखना बहुत आम बात है। ये मोटर और जेनरेटर गांव वाले न तो अपनी सुविधा के लिए चला रहे हैं और न ही फसलों के लिए, दुर्भाग्यवश ये है कि मोटर चल भी रही हैं किसानों के खेतों में लेकिन सिंचाई के लिए बल्कि खेतों में भरे गंदे पानी की किसाकी एक लिए।

20 अगस्त हुई जोरदार बारिश बाद, जब मिलेनियम सिटी के नाम से मशहूर गुरुग्राम की सड़कें जलमग्न हो गई थीं। दो-तीन दिन बार गुरुग्राम अपनी रफ्तार से फिर चल पड़ा था, शहर में भरा पानी या तो कुछ निकल गया था या पंप कर निकाल गया दया था। इस पानी में हजारों टन शहर की गंदगी भी, शहर से सटे गांवों और किसानों के लिए मुसीबत बन गई थी। दिल्ली-गुरुग्राम बॉर्डर पर बसा रावता गांव ऐसे ही गांवों में से एक है। जाट बाहुल्य दक्षिणी पश्चिमी दिल्ली के इस गांव में ज्यादातर लोग खेती करते हैं लेकिन शहरों की बाढ़ और गंदगी ने यहां हजारों एकड़ फसल को भारी नुकसान पहुंचा है।

रावता गांव के श्री कृष्णा पब्लिक स्कूल से थोड़ा आगे चौराहे पर किसान रमेश से मुलाकात हुई। वह बताते हैं की " तक़रीबन 1500 -2000 एकड़ खेती का नुकसान हुआ है। शहर की पूरी गंदगी हमारे खेतो में घुस आयी।" गुरुग्राम में भारी जलभराव के बाद नजफगढ़ नाला भी उफना गया था, जिससे शहर की हजारों कुंतल पॉलिथीन और दूसरे ऐसे कई कचरे लेकर रावता जैसे गांवों में पहुंच गये, जो फसलों के लिए काफी नुकसानदायक हैं।


रमेश की मोटर साइकिल पर गांव का चक्कर और खेतों तक पहुंचे तो कई खेत पूरी तरह जलमग्न नजर आए। गांव में रहने वाले जयचंद की 12 एकड़ फसल इस पानी से बर्बाद हो गई। जयचंद के मुताबिक अब उनके पास मजदूरी के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।

नाले के जरिए आए पानी के तेज बहाव से फसलों के साथ साथ गांव में कुछ घरों को भी नुकसान पहुंचा है। कई घरों में पानी अगस्त के आखिरी हफ्ते तक भरा रहा।

हमन सीमेंट के कट्टों (बोरियों) से पानी रोका है। तीन दिन से लगातार जनरेटर चल रहा है लेकिन पूरी तरह पानी निकल नहीं पाया है।" गांव निवासी और कई पशुओं के मालिक किरपाल सिंह बताते हैं। गांव में इसे हर साल की समस्या बताते हुए किरपाल सिंह कहते हैं, सरकार अगर नाले पर बांध का निर्माण करा दे तो ये गंदा पानी हमारे खेतों और घरों तक न पहुंचे।"

गांव के लोग इस समस्या के लिए दिल्ली सरकार के सिंचाई और बाढ़ विभाग को जिम्मेदार मानते हैं।

"अगर बाढ़ विभाग नजफगढ़ नाले पर बांध बनवा दे तो ये समस्या होगी ही नहीं।" रमेश भी किरपाल के हां में हां मिलाते हैं।


मीडिया रिपोर्ट्स और गांव के लोगों के अनुसार जिला मजिस्ट्रेट राहुल सिंह ने खेती का नुकसान झेलने वाले किसानों को उचित मुवाअज़ा देने का आश्वासन तो किया है, लेकिन किसानों संतुष्ट नजर नहीं आए। किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या उनका बैंक लोन है जो उन्होंने खेती के लिया है।

जय सिंह घर के बरामदे में खड़े नीले ट्रैक्टर की ओर इशारा करते हुए बोलते हैं, "अब बैंक वाले घर आकर खड़े होंगे, अब क्या खीचेंगें हमारा ट्रैक्टर।"

किसानों के अनुसार बाढ़ के इस पानी और उसके साथ ही गंदगी से न सिर्फ धान की फसल बर्बाद हुई है, बल्कि आने वाली रबी सीजन की फसलों पर भी इसका असर पड़ सकता है। अगर समय रहते इसका समाधान नहीं किया गया तो खेती बर्बाद हो जाएगी।


सरकार के आश्वासन और जलमग्न हुए खेतों के अलावा रावता के किसानों के सामने मौजूदा स्थिति में और कोई विकल्प अब शेष नहीं है।

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