जानिए क्यों लगाते हैं माथे पर तिलक, क्या है इसका महत्व

Shubham KoulShubham Koul   14 Feb 2019 9:15 AM GMT

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प्रयागराज। हम कई बार लोगों को तिलक लगाए देखते हैं, सनातन धर्म में आदि काल से माथे पर तिलक लगाने की प्रथा चली आ रही है, हिंदू धर्म में ऐसा माना जाता है कि बिना तिलक लगाए कोई भी पूजा संपन्न नहीं होती है। लेकिन क्या आपको यह पता है कि तिलक लगाने के क्या नियम हो सकते हैं।

तिलक के महत्व के बारे में रामानंद सम्प्रदाय के सदस्य लक्ष्मण दास बताते हैं, " तिलक से आस्था ये जुड़ी हुई है, हमारे पूर्वज ने कहा हुआ है, 'चित्रकूट के घाट पर भय संतन की भीड़, तुलसीदास चंदन घिसे तिलक करय रघुवीर' बोलो सियावर राम चन्द्र की जय। तो तिलक का बहुत महत्व है, तो हिन्दू संस्कृति सभ्यता ये बताती है अगर कोई तिलक लगाता है, तो वो अपने पूजा पाठ आस्था में विश्वास रखता है, इसलिए लगाता है।"


वो आगे कहते हैं, "हिंदुओं में जो संस्कार होते हैं, उनमें एक तिलक भी है। एक संस्कार तिलक है, एक माला दिया जाता है, एक नाम दिया जाता है, क्योंकि सनातन धर्म आदि से चला आ रहा है।"

तिलक केवल एक तरह से नहीं लगाया जाता। हिंदू धर्म में जितने संतों के मत हैं, जितने पंथ है, संप्रदाय हैं उन सबके अपने अलग-अलग तिलक होते हैं। सनातन धर्म में शैव, शाक्त, वैष्णव और अन्य मतों के अलग-अलग तिलक होते हैं।



वो आगे बताते हैं, "ये 52 द्वारे, सात अखाड़े और चार सम्प्रदाय में कम से कम 20 से 25 हज़ार प्रकार के तिलक होंगे ही, ये जो मुख्य तिलक है, एक रामा नंदियों के हैं, और दूसरे वैष्णयों के हैं। उसे त्रिपुंड कहते हैं और जो हम लगाते हैं उसे उर्ध्व पुण्ड कहते हैं। जो सन्यासी लोग लगाते हैं, वो शंकर जी का त्रिपुंड है। जो शंकर त्रिपुंड लगाते हैं वो धनुष का प्रतीक है। राम जी के धनुष का, इसके अलग-अलग भाव हैं, जैसे जो मान ले। कोई इसे त्रिशूल का प्रतीक मानता है।"

शैव- शैव परंपरा में ललाट पर चंदन की आड़ी रेखा या त्रिपुंड लगाया जाता है। शाक्त- शाक्त सिंदूर का तिलक लगाते हैं। सिंदूर उग्रता का प्रतीक है। यह साधक की शक्ति या तेज बढ़ाने में सहायक माना जाता है। वैष्णव- वैष्णव परंपरा में चौंसठ प्रकार के तिलक बताए गए हैं।


"हमारे यहां अगर स्नान करके बिना तिलक लगाए बैठ जाते हैं, तो उसे स्नान किया हुआ नहीं मानेंगे, "उन्होंने आगे कहा।

आरती होती है उसमें भी तिलक का बखान होता है। अनेको प्रकार के तिलक लगाए जाते हैं, इनमें चंदन, कई तरह की धातुओं के भी लगाए जाते हैं। फिर तंत्र साधना में भी तिलक का विधान है।जब पराए घर की स्त्री तिलक लगाकर खुद के घर की हो जाती है, तो आप समझ लीजिए तिलक में कितनी शक्ति होगी।

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