भारत के एकल विद्यालय बदल रहे लाखों बच्चों की ज़िंदगी

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भारत के एकल विद्यालय बदल रहे लाखों बच्चों की ज़िंदगीबच्चों को मिल रही बेहतर शिक्षा

लखनऊ। “जब किसी गरीब के बच्चे को आगे बढ़ते हुए देखता हूं तो बहुत खुशी होती है। अच्छा लगता है कि उनकी ज़िंदगी बदलने में कुछ अंश मेरा भी है,” अपने देश भारत से सात समंदर दूर अमेरिका में रह रहे कम्प्यूटर इंजीनियर विजय तिवारी ने बताया।

विजय को उस टीम का हिस्सा बनने का गौरव मिला जो भारत में ग्रामीण और जनजातीय बच्चों की ज़िंदगियां बदलने के लिए ‘एकल विद्यालय’ अभियान से जुड़ी है।

भारत में एकल विद्यालय अति पिछड़े और जनजातीय क्षेत्रों में एक अध्यापक के द्वारा चलाए जाते हैं। इन विद्यालयों में बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ उनके सर्वांगीण विकास पर जोर रहता है।

“मैं एक सॉफ्टवेयर डवपर के तौर पर एकल विद्यालय तंत्र को की कार्यशैली को सरल बनाने के लिए एक एमआईएस साफ्टवेयर तैयार किया कि उससे इस सिस्टम को चलाने में हर किसी को आसानी हुई,” विजय ने बताया, “इसे कोई भी आसानी से चला सकता है। यह साफ्टवेयर आटोमेटिक अलग-अलग सोर्स से डेटा लेकर एक रिपोर्ट तैयार करने में सक्षम है और जिस आधार पर आगे की रणनीति तैयार की जा सकती है।”

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कम्प्यूटर इंजीनियर विजय तिवारी

एकल विद्यालय के अंतर्गत पूरे देश में 54000 स्कूलों में 1.7 मिलियन बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। इसके ऑफिस अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में भी हैं। बाहरी देशों से लोग भी इस सॉफ्वेयर की मदद से प्रगति देख कर दान देते हैं। हर दानदाता को पता रहता है कि उसका पैसा कहां लग रहा है?

“इस सॉफ्टवेयर की मदद से इस पूरे एकल विद्यालय तंत्र की प्रगति को देखते हुए प्रबंधन तंत्र आगे का रोडमैप तैयार करता है। डोनर और प्रबंधन के बीच एक साफ तस्वीर रहती है। हर कार्यकर्ता की कार्यशैली को भी देखा जा सकता है,” विजय ने बताया।

इन एकल विद्यालयों में बच्चों को बेसिक शिक्षा देने के साथ ही स्किल डवलपमेंट, डिजिटल साक्षरता व स्वास्थ्य की जानकारी सहित हर तरह से विकास किया जाता है।

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