गाँव के बच्चों को शिक्षित कर रहा ‘एकल विद्यालय’

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गाँव के बच्चों को शिक्षित कर रहा ‘एकल विद्यालय’एकल विद्यालय अभियान की शुरुआत वर्ष 1989 में झारखंड के धनबाद से हुई थी और विद्यालय के 28 वर्ष के सफर में पूरे देश में 55 हजार एकल विद्यालय खोले गए हैं।

दिति बाजपेई, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

नवाबगंज (बरेली)। 23 वर्षीय गायत्री देवी गाँव में प्रतिदिन दोपहर तीन बजे से शाम छह बजे तक एक पेड़ के नीचे बच्चों को पढ़ाती हैं। इस पहल से आज उनके गाँव के 30 से 40 बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल रही है।

गायत्री देवी एकल विद्यालय अभियान से जुड़ी हुई हैं। एकल विद्यालय अभियान की शुरुआत वर्ष 1989 में झारखंड के धनबाद से हुई थी और विद्यालय के 28 वर्ष के सफर में पूरे देश में 55 हजार एकल विद्यालय खोले गए हैं। इसमें अब तक 30 लाख बच्चे लाभान्वित हुए हैं। इस विद्यालय में बच्चों को भाषा, गणित, सामान्य ज्ञान, हस्तशिल्प, स्वास्थ्य, संस्कार की शिक्षा दी जाती है।

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बरेली जिला मुख्यालय से 50 किमी दूर नवाबगंज ब्लॉक के अहमदाबाद गाँव में गायत्री रहती हैं। गायत्री बताती हैं, हम गाँव के उन बच्चों को पढ़ाते हैं, जो स्कूल नहीं जाते या किसी कारण उनकी पढ़ाई छूट जाती है। हमारे पास कोई विद्यालय नहीं होता है और हम कहीं भी अपना स्कूल बना लेते हैं।

बरेली जिले में करीब 300 गाँव हैं। इन सभी गाँवों में बच्चों को शिक्षा दी जा रही है। नवाबगंज ब्लॉक के बिहारी पचतौल गाँव में रहने वाले योगेंद्र कुमार (23 वर्ष) बताते हैं, “बच्चों को पढ़ाना अच्छा लगता है और मेरे कमाई का जरिया भी है। हमको 1 हजार रुपए मानदेय भी मिलता है।”

बरेली जिले में तैनात संभाग प्रशिक्षण प्रमुख प्रमोद चौहान बताते हैं, “हर जिले में एकल विद्यालय अभियान चल रहा है। इसमें हर गाँव में युवा वर्ग बच्चों को शिक्षा दे रहा है, जो बच्चों को पढ़ा रहे हैं। युवा उनको हम समय-समय पर ट्रेनिंग देते रहते हैं। इसके साथ ही बच्चों को पढ़ाने के लिए किताबें, बैग, चार्ट, ब्लैक बोर्ड कई सामान भी उपलब्ध कराते हैं।” वहीं, भाग प्रतिनिधि प्रमुख नरेंद्र कुमार बताते हैं, “बच्चों को भाषा, गणित, सामान्य ज्ञान, हस्तशिल्प, स्वास्थ्य और संस्कार की शिक्षा के अलावा उन्हें आरोग्य और आरटीआई की भी शिक्षा दी जाती है ताकि गाँव के बच्चे भी मुख्यधारा से जुड़ सके।”

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