चलती ट्रेन में डिलीवरी करा हीरो बना मेडिकल स्टूडेंट, योग दिवस पर होगा सम्मान

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चलती ट्रेन में डिलीवरी करा हीरो बना मेडिकल स्टूडेंट, योग दिवस पर होगा सम्मानमेडिकल स्टूडेंट विपिन भगवानदास खड़से।

लखनऊ। महाराष्ट्र के अकोला निवासी मेडिकल स्टूडेंट विपिन भगवानदास खड़से (24) इन दिनों ट्रेन की जनरल बोगी में एक प्रसूता की प्रसव में सहायता कर इंटरनेट के हीरो बन चुके हैं। विपिन जहां सोशल मीडिया में छाए हैं।

विपिन के सराहनीय प्रयास के लिए 21 जून को विश्व योग दिवस के मौके पर मध्यप्रदेश में सीहो खजुराहो एक्सिलेंस अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। से सम्मान स्वास्थ्य और अध्यात्म के क्षेत्र में कार्य करने वाली संस्था श्री योग एंड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन खजुराहो के द्वारा दिया जाएगा।

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संस्था के राघव पाठक छात्र और उस घटना का जिक्र करते हुए बताते हैं कि यह घटना विगत 7 अप्रैल की है। नागपुर मेडिकल कालेज में पढ़ाई कर रहे छात्र विपिन भगवानदास खड़से अहमदाबाद पूरी ट्रेन के जनरल बोगी में सवार होकर घर से नागपुर जा रहे थे। इसी बीच सुबह 9 बजे के लगभग वर्धा से नागपुर के बीच उसी बोगी में सवार रायपुर की चित्रलेखा (प्रसूता) को प्रसव पीड़ा होने लगी। छात्र के अनुसार प्रसूता दर्द से बेहद परेशान थी, क्योंकि यह सामान्य डिलिवरी नहीं होने वाली थी। शिशु के सिर की वजाय उसका कंधा बाहर आ रहा था, जिसे मेडिकल टर्म में शोल्डर प्रज़ेंटेशन कहा जाता है। इस घटना से एक महीने पहले ही मेडिकल फील्ड में इंटर्नशिप शुरू करने वाले विपिन के पास क़िस्मत से सर्जिकल ब्लेड और पट्टियां थीं। क्रिटिकल केस होने के कारण इन्होंने मेडिकल कालेज के चिकित्सकों से संपर्क साधा और महिला के मदद के लिए जरूरी सलाह मांगी।

ट्रेन में जन्मा बच्चा।

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चिकित्सकों ने व्हाट्सऐप व फोन के जरिए जरूरी सलाह दी। इसी बीच ट्रेन को भी चैन खिंचकर प्रसूता के रिश्तेदारों ने रोका व टिकट चेकर व चिकित्सकों की तलाश करने लगे। विपिन बताते हैं कि इससे पहले उन्होंने कोई डिलीवरी नहीं कराई थी, हालांकि एमबीबीएस कोर्स में प्रैक्टिकल के दौरान देखा था। प्रसूता के संबंधियों को जब पूरी ट्रेन में कोई मददगार नहीं मिला, तो उन्होंने मदद करने का फैसला किया। प्रसूता बार-बार बेहोश हो रही थी। तीन अन्य महिला यात्रियों से उन्होंने सर्जरी के लिए मदद मांगी, जिन्होंने मदद की भी। किसी तरह सभी मिलकर शिशु को बाहर निकालने में सफल हो गए। हालांकि गर्मी के कारण नवजात को सांस लेने में मुश्किल हो रही थी। शिशु विशेषज्ञ चिकित्सक ने फोन पर जानकारी दी कि वे बच्चे की पीठ पर थपकी दें और उसके गले में फंसी चीजों को साफ़ करने की कोशिश करें। आखिरकार ऐसा करने के बाद सांस सामान्य चलने लगी।

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वे बताते हैं कि इस समय पूरे कम्पार्टमेंट के लोग भी एक परिवार की तरह प्रसूता को मदद देने में काम कर रहे थे। खैर, नागपुर स्टेशन पर एम्बुलेंस और डाक्टर की टीम खड़ी थी और जैसे ही ट्रेन रुकी जच्चा-बच्चा को एम्बुलेंस में ले जाया गया, महिला को तुरंत ड्रिप चढ़ाई गई। जच्चा बच्चा के सामान्य होने पर नवजात के पिता ने छात्र के हाथ में 101 रुपये रख दिए और धन्यवाद दिया। वहीं जच्चा बच्चा के सुरक्षित होने की जानकारी लगते ही कॉलेज के रेजिडेंट डॉक्टर्स ने भी जश्न मनाना शुरू कर दिया।

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