कई राज्यों भी हुई राष्ट्रव्यापी नदी तटीय कार्यक्रम की शुरुआत, जानिए मछली पालकों को इससे कैसे होगा फायदा
गाँव कनेक्शन | Oct 09, 2021, 14:42 IST
एनएफडीबी ने पीएमएमएसवाई की कार्य योजना 2020-21 के तहत 6 राज्यों को 97.16 लाख मछली के बच्चे का पालन करने के लिए कुल 2.81 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया है।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड ने उत्तर प्रदेश के साथ ही उत्तराखंड, उड़ीसा, त्रिपुरा और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में राष्ट्रव्यापी नदी तटीय कार्यक्रम की शुरूआत की है।
केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री, पुरुषोत्तम रूपाला ने कल 9 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के गढ़मुक्तेश्वर के बृजघाट में नदी तटीय कार्यक्रम का शुभारंभ किया। ठीक उसी समय, उत्तराखंड, उड़ीसा, त्रिपुरा और छत्तीसगढ़ जैसे अन्य 4 राज्यों ने भी राष्ट्रव्यापी नदी तटीय कार्यक्रम का शुभारंभ में हिस्सा लिया।
पांच राज्यों में किया गया पर किया गया 8.85 लाख मछली के बच्चों का पालन
उत्तर प्रदेश में बृजघाट, गढ़मुक्तेश्वर, तिगरी, मेरठ और बिजनौर जैसे 3 स्थलों पर 3 लाख मछली के बच्चों का पालन किया गया। उत्तराखंड में चंडी घाट, गंगा नदी, हरिद्वार में कुल 1 लाख मछली के बच्चों का पालन किया गया। त्रिपुरा में खोई नदी, तेलियामुरा, गोमती नदी, उदयपुर, धलाई नदी, कमालपुर और देव नदी, दशमीघाट नामक 4 स्थलों पर कुल 1.85 लाख मछली के बच्चों को डाला गया।
छत्तीसगढ़ में 1.5 लाख मछली के बच्चों का पालन कार्यक्रम मिरौनी बैराज में किया गया। जबकि उड़ीसा के मुंदुली, कटक में 1.5 लाख मछली के बच्चों का पालन किया गया।
राष्ट्रीय स्तर के नदी तटीय कार्यक्रम के शुभारंभ में कुल 5 राज्यों ने हिस्सा लिया और कुल 8.85 लाख मछली के बच्चों का पालन किया गया।
पीएमएमएसवाई योजना के अंतर्गत विशेष गतिविधि के रूप में "नदी तटीय कार्यक्रम" की शुरूआत भूमि और जल का विस्तार, गहनता, विविधता और उत्पादक उपयोग के माध्यम से मछली उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए की गई है।
मत्स्यपालन विभाग, मत्स्यपालन मंत्रालय ने पूरे देश में नदी तटीय कार्यक्रम को लागू करने के लिए राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड, हैदराबाद को पीएमएमएसवाई के केंद्रीय क्षेत्र घटक के अंतर्गत नोडल एजेंसी के रूप में नामित किया है।
बढ़ती हुई मानव आबादी के साथ-साथ उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन की आवश्यकता के कारण मछली की मांग में धीरे-धीरे बढ़ोत्तरी हो रही है। किफायती और पर्यावरण के दृष्टिकोण से उपयुक्तरूप से, मत्स्य संसाधनों का सतत उपयोग और संरक्षण को बढ़ावा देना समय की मांग बन चुकी है। नदी तटीय कार्यक्रम ऐसी ही एक गतिविधि है जो चिरस्थायी मत्स्य पालन, आवास क्षरण में कमी, जैव विविधता का संरक्षण, सामाजिक-आर्थिक लाभों को अधिकतम और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का आकलन कर सकती है। नदी तटीय कार्यक्रम पारंपरिक मत्स्यपालन, पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता और अंतर्देशीय समुदायों का व्यापार और सामाजिक सुरक्षा के उन्नयन को भी सुनिश्चित करती है।
मछुआरों को मिलेगा इस कार्यक्रम का लाभ
इस कार्यक्रम को ज्यादा मछली पकड़ने, मछुआरों की आजीविका को बेहतर करने और नदी की स्वच्छता को बनाए रखने के लिए प्रोग्राम किया गया है, क्योंकि वे भोजन के रूप में जैविक अवशेषों को लेते हैं, मुख्य रूप से कम हुए मछली स्टॉक को उपर उठाने और पालन किए गए मछली प्रजातियों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए।
2020-21 के दौरान फेज-1 कार्यक्रम के रूप में, एनएफडीबी ने तीन प्रमुख नदी प्रणालियों गंगा और उसकी सहायक नदियों, ब्रह्मपुत्र और बराक नदी की सहायक नदियों और महानदी और अन्य नदियों को लक्षित किया है। तदनुसार, उत्तर प्रदेश, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़, ओडिशा, उत्तराखंड और बिहार जैसेनदी बेल्ट की लंबाई पर ध्यान केंद्रित करने वाले छह प्रमुख अंतर्देशीय राज्यों का चयन मछली के बच्चों का पालन करने के लिए लक्षित स्थलों के साथ किया गया है। एनएफडीबी ने पीएमएमएसवाई की कार्य योजना 2020-21 के अंतर्गत राज्यों को 97.16 लाख मछली के बच्चे कापालन करने के लिए कुल 2.81 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया है।
उपर्युक्त उद्देश्यों को लक्षित करते हुए, राज्य द्वारा प्रजनन प्रोटोकॉल और मानक उपायों का पालन किया गया है जो देशी मछली प्रजातियों के बच्चों का नदियों में पालन करने के लिए आवश्यक हैं, जो मछली उत्पादन को बढ़ाने, आश्रित मछुआरों की आजीविका में सुधार लाने और नदी प्रणाली में एक स्वस्थ वातावरण उत्पन्न करने में सहायता प्रदान करेगा। नदी तटीय कार्यक्रम के लिए सुझाए गए मछली के बच्चों का आकार 80-100 मिमी है, क्योंकि चयनित राज्य में मछली के बच्चे पालन कार्यक्रम के लिए बेहतर आकार तक पहुंच चुके हैं। इसलिए, एनएफडीबी ने मत्स्यपालन विभाग के मार्गदर्शन में 6 राज्यों के सहयोग से आज राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रम की शुरूआत की गई है।
केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री, पुरुषोत्तम रूपाला ने कल 9 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के गढ़मुक्तेश्वर के बृजघाट में नदी तटीय कार्यक्रम का शुभारंभ किया। ठीक उसी समय, उत्तराखंड, उड़ीसा, त्रिपुरा और छत्तीसगढ़ जैसे अन्य 4 राज्यों ने भी राष्ट्रव्यापी नदी तटीय कार्यक्रम का शुभारंभ में हिस्सा लिया।
Hon'ble Union Minister for FAHD, GOI, Shri Parshottam Rupala ji, the has inaugurated the 'The River Ranching Program' by releasing fish fingerlings of native Indian Major Carp seed in Ganga River at Brijghat, Garh Mukteshwar, U.P.@nfdbindia @FisheriesGoI @PRupala #PMMSY pic.twitter.com/vgBd6USKaF
— Fisheries Department, U.P. (@FDepar2) October 9, 2021
उत्तर प्रदेश में बृजघाट, गढ़मुक्तेश्वर, तिगरी, मेरठ और बिजनौर जैसे 3 स्थलों पर 3 लाख मछली के बच्चों का पालन किया गया। उत्तराखंड में चंडी घाट, गंगा नदी, हरिद्वार में कुल 1 लाख मछली के बच्चों का पालन किया गया। त्रिपुरा में खोई नदी, तेलियामुरा, गोमती नदी, उदयपुर, धलाई नदी, कमालपुर और देव नदी, दशमीघाट नामक 4 स्थलों पर कुल 1.85 लाख मछली के बच्चों को डाला गया।
छत्तीसगढ़ में 1.5 लाख मछली के बच्चों का पालन कार्यक्रम मिरौनी बैराज में किया गया। जबकि उड़ीसा के मुंदुली, कटक में 1.5 लाख मछली के बच्चों का पालन किया गया।
River ranching program at mirouni bairaj malkharouda district janjgir chapa Chhattisgarh@FisheriesGoI#PMMSY #NFDB pic.twitter.com/FZRmPPjklw
— Cg36fisheries (@cg36fisheries) October 9, 2021
पीएमएमएसवाई योजना के तहत शुरू किया गया है कार्यक्रम
मत्स्यपालन विभाग, मत्स्यपालन मंत्रालय ने पूरे देश में नदी तटीय कार्यक्रम को लागू करने के लिए राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड, हैदराबाद को पीएमएमएसवाई के केंद्रीय क्षेत्र घटक के अंतर्गत नोडल एजेंसी के रूप में नामित किया है।
बढ़ती हुई मानव आबादी के साथ-साथ उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन की आवश्यकता के कारण मछली की मांग में धीरे-धीरे बढ़ोत्तरी हो रही है। किफायती और पर्यावरण के दृष्टिकोण से उपयुक्तरूप से, मत्स्य संसाधनों का सतत उपयोग और संरक्षण को बढ़ावा देना समय की मांग बन चुकी है। नदी तटीय कार्यक्रम ऐसी ही एक गतिविधि है जो चिरस्थायी मत्स्य पालन, आवास क्षरण में कमी, जैव विविधता का संरक्षण, सामाजिक-आर्थिक लाभों को अधिकतम और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का आकलन कर सकती है। नदी तटीय कार्यक्रम पारंपरिक मत्स्यपालन, पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता और अंतर्देशीय समुदायों का व्यापार और सामाजिक सुरक्षा के उन्नयन को भी सुनिश्चित करती है।
मैं प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के प्रति आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होने मुझे माँ गंगा को नैवेद्य स्वरूप इन मछलियों को यहाँ प्रवाहित करने का सौभाग्य दिया।
मोदी सरकार सिर्फ 10 नदियों में ही नहीं बल्कि भारत की सभी नदियों में रिवर रैचिंग कार्यक्रम करने के लिए संकल्पबद्ध हैं। pic.twitter.com/amFlbhcBGR
— Parshottam Rupala (@PRupala) October 8, 2021
इस कार्यक्रम को ज्यादा मछली पकड़ने, मछुआरों की आजीविका को बेहतर करने और नदी की स्वच्छता को बनाए रखने के लिए प्रोग्राम किया गया है, क्योंकि वे भोजन के रूप में जैविक अवशेषों को लेते हैं, मुख्य रूप से कम हुए मछली स्टॉक को उपर उठाने और पालन किए गए मछली प्रजातियों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए।
पहले फेज में देश की तीन प्रमुख और उनकी सहायक नदियों में पाली जाएंगी मछलियां
उपर्युक्त उद्देश्यों को लक्षित करते हुए, राज्य द्वारा प्रजनन प्रोटोकॉल और मानक उपायों का पालन किया गया है जो देशी मछली प्रजातियों के बच्चों का नदियों में पालन करने के लिए आवश्यक हैं, जो मछली उत्पादन को बढ़ाने, आश्रित मछुआरों की आजीविका में सुधार लाने और नदी प्रणाली में एक स्वस्थ वातावरण उत्पन्न करने में सहायता प्रदान करेगा। नदी तटीय कार्यक्रम के लिए सुझाए गए मछली के बच्चों का आकार 80-100 मिमी है, क्योंकि चयनित राज्य में मछली के बच्चे पालन कार्यक्रम के लिए बेहतर आकार तक पहुंच चुके हैं। इसलिए, एनएफडीबी ने मत्स्यपालन विभाग के मार्गदर्शन में 6 राज्यों के सहयोग से आज राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रम की शुरूआत की गई है।