वैज्ञानिकों ने विकसित किया वायु प्रदूषण के सटीक आकलन और विश्लेषण के लिए नया मॉडल
मौसम वैज्ञानिकों ने एक डिसिजन सपोर्ट सिस्टम (डीएसएस) विकसित किया है। इससे न केवल दिल्ली के प्रदूषण के स्रोतों को लेकर सटीक जानकारी उपलब्ध हो सकेगी, बल्कि सर्दियों के लिए एक व्यावहारिक परिदृश्य का अनुमान लगाना भी आसान होगा।
India Science Wire 24 July 2021 10:04 AM GMT

दिल्ली के अलावा उसके आसपास के 19 जिले ऐसे हैं, जहां सर्दियों के दौरान प्रदूषण स्तर खतरे की सीमा रेखा को लांघ जाता है। फोटो: विकिपीडिया कॉमन्स
सर्दियों के दौरान उत्तर-पश्चिम भारत और विशेषकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली केवल ठंड से ठिठुरन की चपेट में ही नहीं आते, बल्कि इस दौरान बढ़े वायु-प्रदूषण की समस्या भी इन इलाकों को खासा परेशान करती है। यहां तक कि अदालतें भी सर्दियों के दौरान दिल्ली-एनसीआर की आबोहवा की तुलना गैस चैंबर से कर चुकी हैं। सर्दियों के साथ आने वाली इस चुनौती से निपटने के लिए मौसम वैज्ञानिकों ने एक डिसिजन सपोर्ट सिस्टम (डीएसएस) विकसित किया है। इससे न केवल दिल्ली के प्रदूषण के स्रोतों को लेकर सटीक जानकारी उपलब्ध हो सकेगी, बल्कि सर्दियों के लिए एक व्यावहारिक परिदृश्य का अनुमान लगाना भी आसान होगा।
व्यावहारिक परिदृश्य अनुमान से प्रदूषण के स्तर और उसके स्रोत के विषय में जानकारी मिलने से सरकार इस दिशा में आवश्यक कदम उठा सकती है और सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों के हिसाब से रणनीति बना सकती है। उदाहरण के तौर पर यदि किसी क्षेत्र में विशेष प्रकार की गतिविधियों से प्रदूषण में बढ़ोतरी हो रही है, वहां उन्हें सीमित किया जा सकता है। इससे दिल्ली की वायु गुणवत्ता सुधारने में बड़ी मदद मिलेगी।
दिल्ली के अलावा उसके आसपास के 19 जिले ऐसे हैं, जहां सर्दियों के दौरान प्रदूषण स्तर खतरे की सीमा रेखा को लांघ जाता है। ऐसे में इस नए मॉडल से केवल अटकल और पूर्व अनुभवों के आधार पर लिए जाने वाले फैसलों के स्थान पर ठोस निर्णय लेने में भी मदद मिलेगी।
इस मॉडल को पुणे स्थित भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है। इस वर्ष अक्टूबर तक यह प्रयोग के लिए उपलब्ध भी होगा। आईआईटीएम के परियोजना प्रमुख सचिन घुडे बताते हैं, "हमने दिल्ली और आसपास के 19 जिलों में प्रदूषण के प्रत्येक स्रोत का पता लगाने वाला मॉडल बनाया है। हमने प्रत्येक स्रोत की पड़ताल की है, प्रत्येक जिले और प्रत्येक गतिविधि के हिसाब से उसे वेटेज दिया है और उसके आधार पर ही हम संबंधित जिलों और संबंधित गतिविधियों के दिल्ली के प्रदूषण में योगदान को लेकर किसी नतीजे पर पहुंचे हैं।"
यह डीएसएस मॉडल इस बात को चिन्हित कर सकता है कि परिवहन क्षेत्र की गतिविधियों से किसी दिन विशेष में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) पर कितना प्रभाव पड़ा या फिर पंजाब और हरियाणा में पराली जलने के कारण एक दिन में एक्यूआई कितना प्रभावित हुआ। इतना ही नहीं यह एक जिले की वस्तुस्थिति को दर्शाने में भी सक्षम है। जैसे यह मेरठ में प्रदूषण और उसके दिल्ली पर पड़ने वाले असर की पड़ताल करने में कारगर साबित हो सकता है। उसके आधार पर आवश्यकता और अपेक्षा के अनुरूप रणनीति बनाने में सहूलियत होगी।
वर्तमान में आईआईटीएम वर्ष 2018 से दिल्ली के लिए तीन दिवसीय और 10 दिवसीय वायु गुणवत्ता अनुमान जारी करता है। इसके आधार पर ही केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) आवश्यक कदम उठाता है। इसमें निर्माण गतिविधियों पर अस्थायी विराम और परिवहन के मोर्चे पर गतिविधियों को सीमित करने जैसे कई कदम उठाए जाते हैं।
iitm #Delhi #Air Pollution India #story
More Stories