ओडिशा की रायगड़ा जिले की 6 पंचायतों में कालरा का प्रकोप, कई लोगों की मौत

रायगड़ा के कालरा प्रभावित काशीपुर ब्लॉक के ग्रामीणों की शिकायत है कि उन्हें ट्यूबवेल, खुले कुओं और तालाबों का दूषित पानी पीने के लिए मजबूर किया गया है, जिससे घातक जीवाणु रोग फैल गया है। सरकार युद्धस्तर पर कार्रवाई करने का दावा कर रही है।

Ashis SenapatiAshis Senapati   27 July 2022 1:55 PM GMT

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ओडिशा की रायगड़ा जिले की 6 पंचायतों में कालरा का प्रकोप, कई लोगों की मौत

कालरा से मौत होने पर शव लेकर जाते परिजन। सभी फोटो: राजेश पात्र 

जलजनित गंभीर बीमारी के चपेट में आए रायगढ़ जिले के आदिवासी बहुल काशीपुर ब्लाक की 6 पंचायतों के ग्रामीणों के मल और पानी के नमूनों में हैजा के बैक्टीरिया पाए गए हैं। ओडिशा के प्रभावित ब्लॉक में कम से कम 9 लोगों की मौत हो गई है।

ताजा पीड़ित की पहचान डेंगागुडा गाँव के अर्जुन मांझी के रूप में हुई है, जिन्हें दस्त और उल्टी की शिकायत थी। उसके परिजन उन्हें अस्पताल ले गए लेकिन 22 जुलाई की रात उसकी मौत हो गई।

हैजा या कालरा, एक खतरनाक बीमारी है जो गंभीर तीव्र पानी वाले दस्त का कारण बन सकता है, अगर तुरंत इलाज न किया जाए तो यह घातक हो सकता है। यह एक जीवाणु रोग है जो आमतौर पर गंदे पानी से फैलता है। कथित तौर पर हैजा दुदुकाबहल, टिकीरी, शंकरदा, पंचाली, मैकांच और नकाटिगुडा ग्राम पंचायतों में फैल गया है।

ओडिशा सरकार के सार्वजनिक स्वास्थ्य निदेशक निरंजन मिश्रा ने बताया, "काशीपुर ब्लॉक में कुछ लोगों की मौत के बाद, जिला स्वास्थ्य अधिकारियों ने 30 गैस्ट्रो प्रभावित मरीजों के मल के नमूने और कुछ गांवों के पानी के नमूने भुवनेश्वर में आरआरएमसी (क्षेत्रीय चिकित्सा अनुसंधान केंद्र) की प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा। आरआरएमसी के वैज्ञानिकों ने 10 गैस्ट्रो-प्रभावित व्यक्तियों के मल में हैजा के बैक्टीरिया पाए हैं।" उन्होंने आगे बताया, "ग्रामीणों जो पानी इस्तेमाल कर रहे हैं उसमें भी बैक्टीरिया पाए गए हैं।"

स्वास्थ्य केंद्र पर पीड़ितों का इलाज चल रहा है।

वैज्ञानिकों को मल और पानी के नमूनों में हैजा के बैक्टीरिया मिलने के बाद जिला के स्वास्थ्य अधिकारी अब बेदार हो गए हैं।

रायगडा के मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी लालमोहन राउतरे ने बताया,"पहले हम सोचते थे कि सभी ग्रामीण गैस्ट्रोएंटेराइटिस से पीड़ित हैं। लेकिन अब हमें पता चला है कि काशीपुर ब्लॉक के गांवों में घातक बीमारी हैजा अपना जाल फैला रहा है। हमने प्रभावित लोगों के लिए डॉक्टरों की एक एक आपातकालीन टीम बनाई है। उन्होंने आगे बताया, पिछले हफ्ते फैली यह बीमारी अभी भी जारी है, अधिक अधिक मामले स्थानीय अस्पताल के साथ साथ जिला सरकारी अस्पताल में भी सामने आ रहे हैं।"

राउतरे ने बताया कि ग्रामीणों की बड़ी संख्या पीने के पानी के लिए नलकूपों पर निर्भर है, जिसे हमने जांच के लिए भेजा था उनमें से पानी के कुछ नमूनों में हैजा के बैक्टीरिया पाए गए हैं, जिसके बाद ग्रामीण जलापूर्ति एवं स्वच्छता विभाग के अधिकारियों ने नलकूपों को कीटाणुरहित करना शुरू कर दिया है। मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी ने बताया, "हम एक हफ्ते के बाद फिर से नलकूपों के पानी की जांच करेंगे।"


स्थिति को नियंत्रित करने के लिए डॉक्टरों की चार टीम गांवों में डेरा डाले हुए हैं। नारंजन मिश्रा, सार्वजनिक स्वास्थ्य निदेशक, ओडिशा सहित वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी; नबा किशोर दास, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, ओडिशा; और जगन्नाथ सारका, मंत्री, एसटी और एससी विकास, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण और कानून मंत्री ने हाल ही में काशीपुर क्षेत्र का दौरा किया और स्वास्थ्य स्थिति की समीक्षा की। राउतरे ने बताया, "हम जल जनित बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए आवश्यक कदम उठा रहे हैं और अस्पतालों में मरीजों के इलाज के लिए पर्याप्त दवाएं उपलब्ध हैं।"

जिले में हैजा फैलने के लिए ग्रामीण पेयजल की खराब व्यवस्था को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। काशीपुर के सामाजिक कार्यकर्ता सरोज मंडल ने शिकायत करते हुए बताया "कुछ ठेकेदारों ने ग्रामीण जलापूर्ति एवं स्वच्छता विभाग के अधिकारियों के साथ सांठगांठ करके कई गांवों में गहरे नलकूपों के बजाए उथले नलकूप खोदे हैं, जिससे हमें अच्छी गुणवत्ता वाला पानी नहीं मिल रहा है और लोग पानी में पैदा होने वाली बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं।" उन्होंने बताया, "कहीं कहीं तो नलकूप बिल्कुल भी काम नहीं कर रहे हैं। कई ग्रामीण खुले कुओं और तालाबों के पानी पर निर्भर हैं, जो पीने के लिए असुरक्षित है।"

काशीपुर के विजय गौड़ा ने कहा,"पानी से फैलने वाली बीमारी अपने जाल फैला रही है क्योंकि इस बरसात में कई गांवों में गैस्ट्रोएंटेराइटिस एक बार बार होने वाली समस्या बन गई है। पीने के पानी की अभूतपूर्व कमी ने ग्रामीण लोगों को प्रदूषित स्रोतों का पानी इस्तेमाल करने के लिए मजबूर कर दिया है क्योंकि अधिकारी कई गांवों में पानी उपलब्ध कराने में विफल रहे हैं।"


गौड़ा ने शिकायत की कि निवारक उपायों के लिए, पानी कीटाणुरहित करने के लिए ब्लीचिंग पाउडर का वितरण अनिश्चित रहता है। उन्होंने कहा, "अब समय आ गया है कि अधिकारी युद्ध स्तर पर जल जनित बीमारियों की जांच करें।"

रायगड़ा के कलेक्टर स्वधा देव सिंह ने बताया कि प्रभावित क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति के लिए सभी तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। कलेक्टर ने बताया, "हमने काशीपुर के टिकरी, बैद्यनाथ सागर और अन्य प्रभावित गांवों में ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति के लिए मोबाइल आरओ वाटर वैन तैनात की हैं। काशीपुर ब्लॉक के कई गांवों में स्वच्छता, हाथ धोने और स्वच्छ पेयजल पर जागरूकता गतिविधियां चलाई जा रही हैं।"

कलेक्टर ने बताया, "हम काशीपुर ब्लॉक के कई ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल के लिए प्लास्टिक के पानी के डिब्बे उपलब्ध करा रहे हैं। आंगनवाडी कार्यकर्ता पानी की गुणवत्ता की जांच कर रही हैं और काशीपुर के विभिन्न गांवों में उबले हुए पानी की आपूर्ति कर रही हैं।उनके अनुसार, किसी भी तरह के लक्षण वाले लोग इलाज के लिए कंट्रोल रूम में कॉल कर सकते हैं और जिन्हें परिवहन की व्यवस्था की जरूरत है, वे नजदीकी अस्पतालों में एम्बुलेंस के लिए कॉल कर सकते हैं।

अंग्रेजी में पढ़ें

अनुवाद: मोहम्मद अब्दुल्ला सिद्दीकी

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