ओडिशा: एक हफ्ते से लगातार हो रही बारिश और बाढ़ से 12 जिलों में ठहर गई है लाखों लोगों की ज़िंदगी

ओड़िशा में लगातार हो रही बारिश से बाढ़ ने न केवल महानदी नदी बेसिन में परिवहन और कनेक्टिविटी को बाधित किया है, बल्कि किसानों को भी काफी नुकसान हो रहा है। साथ ही, प्रभावित आबादी के लिए राहत की उम्मीद बहुत कम है क्योंकि अभी यहां और बारिश होने की उम्मीद है।

Ashis SenapatiAshis Senapati   19 Aug 2022 11:40 AM GMT

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ओडिशा: एक हफ्ते से लगातार हो रही बारिश और बाढ़ से 12 जिलों में ठहर गई है लाखों लोगों की ज़िंदगी

12 जिलों के 64 ब्लॉकों के 1,757 गाँव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। सभी फोटो: अरेंजमेंट

ओडिशा में पिछले एक हफ्ते से हो रही लगातार बारिश ने राज्य के करीब पांच लाख लोगों को प्रभावित किया है, क्योंकि 12 जिलों के सैकड़ों गाँव महानदी नदी के पानी में डूब गए हैं। बाढ़ ने तटीय राज्य के किसानों को भी चिंतित कर दिया है जो भारी नुकसान से जूझ रहे हैं।

ओडिशा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के विशेष राहत आयुक्त प्रदीप कुमार जेना ने गाँव कनेक्शन को बताया कि अब तक 12 जिलों के 64 ब्लॉकों के 1,757 गाँव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं।

प्रदीप कुमार ने कहा कि कुल 425 गाँव पूरी तरह से जलमग्न हैं और राज्य में 4,67,321 लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। इनमें से 250,000 लोग बाढ़ के पानी से घिरे हुए हैं। अब तक प्रशासन ने लगभग 53,866 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है।"

उन्होंने आगे कहा, "जिन लोगों को स्थानांतरित किया गया है, उनके लिए सभी जरूरी व्यवस्था की गई है। प्रभावित लोगों के लिए लगभग 158 अस्थायी रसोई की शुरू की गईं हैं और लगभग 60,000 लोगों को खाना उपलब्ध कराया जा रहा है।" प्रभावित जिलों में झारसुगुड़ा, देवगढ़, बरगढ़, अंगुल, बौध, सुबरनपुर, बोलांगीर, नुआपाड़ा, कालाहांडी कटक, केंद्रपाड़ा और जगतसिंहपुर और संबलपुर शामिल है।


पहले से नुकसान उठा रहे हैं किसान

इस बार जून-जुलाई में बारिश न होने से किसान पहले से ही परेशान थे और अब अगस्त में लगातार बारिश ने उनकी चिंता बढ़ा दी है।

"जून और जुलाई में बारिश किसानों के लिए न केवल वर्षा-सिंचित फसलों के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि नदियों में बारिश का पानी नहरों के माध्यम से सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है। लेकिन अगस्त के मध्य में सात दिनों तक लगातार बारिश हो रही है, "एक किसान नेता और क्रुसाका सभा के उपाध्यक्ष गायधर ढाल ने गाँव कनेक्शन को बताया।

भुवनेश्वर में क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक उमाशंकर दास किसान नेता से सहमत हैं।

"ओडिशा को जून और जुलाई में 562. 03 मिमी [मिलीमीटर] वर्षा की जरूरत होती है, लेकिन राज्य में इस वर्ष इन महीनों में 508.01 मिमी बारिश हुई है। दूसरी ओर, अगस्त में राज्य को 366.04 मिमी वर्षा की आवश्यकता है। लेकिन 17 अगस्त तक, बंगाल की खाड़ी में तीन कम दबाव के कारण राज्य में पहले ही 339.08 मिमी बारिश हो चुकी है।"


यह पूछे जाने पर कि क्या तटीय राज्य में बारिश के बदलते पैटर्न को प्रतिकूल रूप से बदलती जलवायु के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, वैज्ञानिक ने सहमति व्यक्त की। "लंबे समय तक मानसून रुकना और कुछ दिनों के लिए भारी बारिश जलवायु परिवर्तन के संकेत हैं, "उन्होंने बताया।

राज्य के कृषि और किसान अधिकारिता विभाग के अनुसार, राज्य में 6,180,000 हेक्टेयर खेती का क्षेत्र है, जिसमें से 2,914,000 हेक्टेयर उच्च भूमि है, 1,755,000 हेक्टेयर मध्यम भूमि है और 1,511,000 हेक्टेयर भूमि को निम्न भूमि के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यह महानदी नदी बेसिन के निचले इलाकों में खेत हैं जो बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।

खरीफ के दौरान धान के तहत कवरेज लगभग 4,124,000 हेक्टेयर है और रबी के दौरान 331,000 हेक्टेयर है। सभी स्रोतों से अब तक सृजित कुल सिंचाई क्षमता लगभग 4,274,000 हेक्टेयर है। सकल सिंचित फसल क्षेत्र 3,177,000 हेक्टेयर है जो सृजित क्षमता का लगभग 74 प्रतिशत है।

आने वाले दिनों में भी बारिश से राहत नहीं

भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा एक और कम दबाव के क्षेत्र के लिए पूर्वानुमान जारी किए जाने के बाद राज्य के बाढ़ प्रभावित गाँवों में हजारों लोग और भी अधिक चिंतित हैं।

आईएमडी के भुवनेश्वर मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक एचआर बिस्वास ने बताया, "दक्षिण म्यांमार और पड़ोस में एक चक्रवाती परिसंचरण के प्रभाव में 19 अगस्त के आसपास बंगाल की उत्तरी खाड़ी के ऊपर एक कम दबाव का क्षेत्र बनने की संभावना है।"

"अनुमानित निम्न दबाव क्षेत्र के प्रभाव स 19 से 20 अगस्त के दौरान और ओडिशा तट के साथ-साथ और अगस्त में 45 से 55 किमी प्रति घंटे तक पहुंचने वाली तेज़ हवा की गति के साथ तूफानी मौसम की संभावना है, "आईएमडी के अधिकारी ने कहा।

कटक, जगतसिंहपुर और केंद्रपाड़ा में नदी किनारे के गाँव सबसे ज्यादा प्रभावित हैं जहां सैकड़ों गाँव डूबे हुए हैं और जिला मुख्यालयों से अलग हो गए हैं।

इस बीच, हीराकुंड बांध, जो देश के सबसे बड़े बांधों में से एक है के अधिकारी उफनती महानदी से पानी के बहाव को सीमित करने की कोशिश कर रहे हैं। अधिकारी ने बताया कि 17 अगस्त को हीराकुंड बांध जलाशय से छोड़ा गया पानी 18 अगस्त की शाम को मुंडाली पहुंचना है, लेकिन बहाव 10.10 लाख क्यूसेक है।

19 अगस्त को बंगाल की उत्तरी खाड़ी पर कम दबाव का क्षेत्र बनने के कारण अगले कुछ दिनों में भारी बारिश की संभावना के मद्देनजर स्थिति पर बारीकी से नजर रखी जा रही है। बहाव को नियंत्रित करने और इसे कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं।। जेनापुर में ब्राह्मणी और जमसोलाघाट में सुवर्णरेखा में जल स्तर बढ़ रहा था, "राज्य के जल संसाधन विभाग के इंजीनियर-इन-चीफ बिजय कुमार मिश्रा ने गाँव कनेक्शन को बताया।

उन्होंने आगे कहा, "18 अगस्त को सुबह 9 बजे, हीराकुंड जलाशय में जल स्तर 624.69 फीट था। बांध को अपस्ट्रीम से 4.40 लाख क्यूसेक पानी मिल रहा था और 40 स्लुइस गेट्स के माध्यम से 6.74 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा था। खैरमल में डिस्चार्ज बरमूल में 8.5 लाख क्यूसेक था। यह 8.8 लाख क्यूसेक था और मुंडाली में यह 10.10 लाख क्यूसेक था। जब तक बांध से छोड़ा गया पानी 18 अगस्त की रात मुंडाली तक नहीं पहुंच जाता, तब तक यह और कम हो जाएगा।"

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