योगी सरकार की खरगोश चाल को जनता की शाबाशी

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योगी सरकार की खरगोश चाल को जनता की शाबाशीजनता ने योगी पर दिखाया भरोसा।

मुख्यमंत्री योगी ने एक महीना पहले सत्ता संभालते ही पूरे शासन और प्रशासन को सावधान मुद्रा में ला दिया। जिस रफ्तार से निर्णय लेने आरम्भ किए उससे लगा कि होमवर्क पूरा है, किसी निर्णय के विषय में मन में कोई दुविधा नहीं। बहुतों ने सोचा होगा जल्दी के निर्णयों में कुछ ऐसे फैसले होंगे जिनसे जनता भड़क जाएगी, लेकिन वे फैसले भी जो विवादस्पद लग रहे थे, उन पर भी जनता ने मुहर लगा दी। योगी की पारम्परिक इमेज में बहुत सुधार हुआ है, विश्वसनीयता बढ़ी है और जनता के विश्वास की कसौटी पर खरा उतरने की चुनौती भी कड़ी है।

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गाँव कनेक्शन द्वारा किया गया पहला सर्वे वास्तव में योगी सरकार के एक महीने के कामकाज का मूल्यांकन है। काम के साथ ही उनके व्यक्तित्व और नेतृत्व पर जनता की मुहर है, भरोसा है। एक ईमानदार, कर्मठ और कड़क प्रशासक की छवि उभर कर सामने आई है। जहां पिछले सालों में जान-माल की सुरक्षा पहली चिन्ता रहा करती थी, वह अब दूसरे नम्बर पर चली गई है। अब सोचने का एक ही विषय है क्या विकास और प्रशासन की यह खरगोश चाल पूरे पांच साल तक चलती रहेगी। यदि ऐसा हुआ तो निश्चय ही उत्तर प्रदेश उत्तम प्रदेश बन जाएगा।

गांव कनेक्शन द्वारा किया गया सर्वे वास्तव में योगी सरकार के एक महीने के कामकाज का मूल्यांकन है। काम के साथ ही उनके व्यक्तित्व और नेतृत्व पर जनता की मुहर है, भरोसा है।

ऐसा लगता था कि मनचले और दिलफेंक नौजवानों पर अंकुश लगाने के लिए योगी ने जो एंटी रोमियो स्क्वॉयड बनाया है, उस पर नकारात्मक प्रतिक्रिया आएगी, लेकिन लड़कियां और महिलाएं पिछले सालों की अराजकता से इतना तंग आ चुकी थीं कि वे इसे और अधिक कठोर बनाने की सिफारिश कर रही हैं। वैसे आरम्भ में जब पुलिस के लोग अति उत्साह में सीमाएं पार करने लगे तो उन्हें विवेक का प्रयोग करने की सीख देने में देर नहीं लगाई। उन्हें बताया कि एक नारी और एक पुरुष एक साथ जा रहे हैं, इतना ही अपराध नहीं बन जाता, पुलिस समय रहते संभल गई।

यदि योगी ने आरम्भ में कछुआ चाल आरम्भ की होती, फिर भी विरोधी आलोचना करने में संकोच करते क्योंकि राजनीति की भाषा में छह महीने तक‘हनीमून पीरियड’रहेगा लेकिन योगी ने इन्तजार न करके किसानों का फसली कर्जा माफ कर दिया और किसानों का दिल जीत लिया। उन्हें भरोसा होगया कि कथनी और करनी में अन्तर नहीं है। विरोधी चिल्लाते रहे कि ट्रैक्टर, गाड़ी और लड़की की शादी वाला कर्जा भी माफ करने का वादा किया था। जनता मुस्कराती है, उनकी नासमझी पर। योगी और मोदी की अति आलोचना बुमरैंग कर रही है।

अनियंत्रित बूचड़खानों से पानी, हवा और वातावरण सब प्रदूषित हो रहा था। सेकुलरवादियों ने सोचा होगा मुस्लिम समाज एकमुश्त विरोध करेगा, वह भी नहीं हुआ और कांग्रेस के लोग तो इतने भौचक्के हैं कि सोच ही नहीं पा रहे कि तीन तलाक का समर्थन करें या विरोध। सबसे मजबूत बात योगी के पक्ष में है कि अपराध के मामले में अपना पराया नहीं देखते। जिस तरह मोदी का कहना ‘न खाऊंगा, न खाने दूंगा’ भ्रष्टाचारियों पर सटीक बैठा था, उसी तरह योगी की बात कि ‘न सोऊंगा, न सोने दूंगा’ उन पर सटीक रहा, जो रेड टेपिज्म करते हैं, फाइलों पर कुंडली मार कर बैठे रहते हैं। 20 जिलों और 200 विकासखंडों की नब्ज टटोलता हुआ सर्वे सभी वर्गों की राय बताता है। फिर चाहे नौकरी पेशा या घरेलू महिलाएं हों, व्यापारी या किसान हों अथवा छात्र-छात्राएं।

इतना विश्वास एक बार इंदिरा गांधी पर जनता ने किया था, जब युवा तुर्कों की मदद से उन्होंने बैकों का राष्ट्रीयकरण किया था,राजा महाराजाओं के प्रिवी पर्स बन्द किए थे और लगा था अब समाजवाद आकर रहेगा, लेकिन इंदिरा गांधी जनता के विश्वास पर खरी नहीं उतरीं। देश में आपातकाल लगा दिया और महंगाई ने जनता की कमर तोड़ दी। आखिर जनता ने उन्हें जमीन पर ला दिया। स्वयंसेवकों को भारत माता की सेवा करने का मौका बहुत दिनों बाद मिलाहै, इसका पूरा लाभ उठाने की कोशिश रहेगी। अटल जी को अवसर मिला था, लेकिन 18 बैसाखियों के सहारे। अटल जी वह सब नहीं कर पाए, जिसे संघ परिवार के लोग संघ कार्य कहते हैं। आशा है इस बार नहीं चूकेंगे,जनता का आशीर्वाद काम आएगा और स्वयंसेवकों का निष्ठावान समर्पण भाव मदद करेगा। चरैवेति चरैवेति।

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