Pepsico ने गुजरात के आलू किसानों से केस वापस लिया, जानिए क्या था मामला

पेप्सिको इंडिया के प्रवक्ता ने यह जानकारी दी और बताया कि कंपनी ने गुजरात सरकार से बातचीत के बाद यह कदम उठाया है।

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo

लखनऊ। अमेरिका की खाद्य और पेय पदार्थ कंपनी पेप्सिको ने गुजरात के चार किसानों पर लगाए गए मुकदमे को वापस ले लिया है। पेप्सिको इंडिया के प्रवक्ता ने यह जानकारी दी और बताया कि कंपनी ने गुजरात सरकार से बातचीत के बाद यह कदम उठाया है।

गांव कनेक्शन से ई-मेल पर बातचीत में पेप्सिको इंडिया के प्रवक्ता ने बताया, "पेप्सिको पिछले 30 वर्षों से भारत में काम कर रहा है। इन वर्षों में कंपनी आलू की खास किस्मों को विकसित किया है, जिससे देश भर के हजारों किसान लाभान्वित हुए हैं। इससे किसानों को फायदा हुआ है और उन्हें बेहतर मूल्य मिलने लगे हैं। किसानों के हितों और फसल की विविधता के संरक्षण के लिए पेप्सिको इंडिया ने इन उत्पादों का पंजीकरण कराया था। इस वजह से ही कंपनी को कुछ किसानों के खिलाफ कानूनी सहारा लेना पड़ा। लेकिन अब सरकार के साथ चर्चा के बाद कंपनी किसानों के खिलाफ इन मामलों को वापस ले रही है।" हालांकि पेप्सिको ने दोहराया कि वह बीज संरक्षण के इन मुद्दों के दीर्घकालिक समाधान के लिए सरकार के साथ बैठकर कुछ नियम बनाना सुनिश्चित करेंगे।

पेप्सिको इंडिया द्वारा गांव कनेक्शन को भेजा गया ई-मेल

आपको बता दें कि पेप्सिको ने अप्रैल माह की शुरूआत में गुजरात के चार किसानों पर अवैध रूप से आलू की एक विशेष किस्‍म उगाने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दायर किया था। पेप्सिको का कहना था कि ये किसान अवैध रूप से आलू की एक ऐसी किस्‍म को उगा और बेच रहे थे जिसे पेप्‍स‍िको ने रजिस्‍टर करा रखा है। पेप्सिको का दावा था कि आलू के इस किस्‍म से वे Lays ब्रैंड के चिप्‍स बनाते हैं और इसे उगाने का उनके पास एकल अधिकार है। कंपनी ने प्रोटेक्‍शन ऑफ प्‍लांट वैराइटी एंड फार्मर्स राइट एक्‍ट, 2001 के तहत इस किस्‍म को 2012 में पंजीकृत कराया था। इस मामले में भारत के किसान संगठनों और सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधिमंडल ने मांग की थी कि किसानों पर किए गए मुकदमें को पेप्‍सिको तुरंत वापस ले।

Gaon Connection Exclusive: पेप्सिको ने जिन किसानों पर मुकदमा किया है सुनिए वे क्या कह रहे हैं


  

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.