कोविड और बर्ड फ्लू के बाद फीड महंगा होने से एक बार फिर पोल्ट्री उद्योग पर संकट

कोविड और बर्ड फ्लू के बाद पोल्ट्री फीड के बढ़े दाम ने एक बार फिर पोल्ट्री उद्योग से जुड़े किसानों और कारोबारियों के सामने परेशानी खड़ी कर दी है।

Divendra SinghDivendra Singh   10 April 2021 2:17 PM GMT

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कोविड और बर्ड फ्लू के बाद फीड महंगा होने से एक बार फिर पोल्ट्री उद्योग पर संकट

बहुत से मुर्गी पालकों ने अपना फार्म दोबारा शुरू ही नहीं किया, जो बचे हैं उनकी लागत भी नहीं निकल पा रही है। सभी फोटो: गाँव कनेक्शन

पोल्ट्री व्यवसाय को मुनाफे का धंधा माना जाता था, लेकिन पहले कोविड और फिर बर्ड फ्लू की वजह से पोल्ट्री उद्योग पूरी तरह प्रभावित हुआ और अब पोल्ट्री फीड के दाम बढ़ने से एक बार फिर मुर्गी पालन से जुड़े लोगों की परेशानी बढ़ गई है।

पिछले कई साल से लेयर मुर्गी का व्यवसाय करने वाले गुलाम मोहम्मद के दो फार्म पर कभी 17 हजार से ज्यादा मुर्गियां थीं, लेकिन इस समय सिर्फ एक फार्म पर दस हजार मुर्गियां बची हैं। गुलाम मोहम्मद बताते हैं, "पिछले साल कोरोना की वजह से काफी नुकसान हुआ था, फिर जुलाई से दिसम्बर तक बाजार सही रहा, लेकिन फिर जनवरी में बर्ड फ्लू आ गया, इससे सब बर्बाद हो गया, रेट पूरी तरह से गिर गया।" गुलाम मोहम्मद उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के जरवल में मुर्गी फार्म चलाते हैं।


पोल्ट्री फीड के बढ़े दाम और दूसरे कारणों से व्यवसाय में आ रही परेशानियों को समझाते हुए वो कहते हैं, "एक अंडे को तैयार करने में 4 रुपए की लागत आती है और वही अंडा 3 रुपए 75 पैसे, 4 रुपए 25 पैसे या फिर 4 रुपए में बिकता है। आज तो 3 रुपए 95 पैसे में अंडा बिका। इस समय हर दिन फीड पर 18 हजार रुपए का खर्च आता है और बिजली, लेबर, दवाई के खर्चे अलग ही हैं। इस समय जितने लागत आ रही है, उतना खर्च भी हो रहा है। फीड एक बोरी जो 1200 रुपए में मिल रही है, वही इस समय 13-14 सौ रुपए में मिल रही है।"

गुलाम मोहम्मद इस समय एक ही फार्म चला रहे हैं, दिसंबर में ही दूसरे फार्म के लिए चूजों का ऑर्डर कर दिया था। इस समय चूजों के रेट भी बढ़ गए हैं। गुलाम मोहम्मद बताते हैं, "एक फार्म चल रहा है, दूसरा खाली कर दिया था, अभी जिसमें फिर से बच्चे मंगाए हैं। चूजों का रेट भी बढ़ गया है, मैंने दिसम्बर में ही ऑर्डर दिया था तो 41 रुपए में पड़ा है, जबकि इस समय 45 रुपए में चूजे का रेट हो गया है। अगर एडवांस में ऑर्डर न दिया होता तो दूसरे फार्म को शुरू ही नहीं करता।"

मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अनुसार देश में प्रमुख अंडा उत्पादक राज्यों में आंध्र प्रदेश (19.1 %), तमिलनाडु (18.2 %) तेलंगाना (13.2 %) , पश्चिम बंगाल (8.3 %) , हरियाणा (5.2 %) प्रमुख राज्य हैं। इसके पंजाब, उत्तर प्रदेश जैसे राज्य आते हैं।


मक्का और सोयाबीन पोल्ट्री फीड बनाने में इस्तेमाल होते हैं, सोयाबीन की कीमतों के बढ़ने से पोल्ट्री फीड भी महंगा हुआ है। सोयाबीन की पेराई के बाद निकलने वाली खली को सोयामील कहते हैं, जिसे पोल्ट्री फीड में इस्तेमाल किया जाता है। पिछले साल इसी सोयामील की कीमत 30 रुपए किलो थी, जो इस समय लगभग 57 रुपए प्रति किलो हो गया है।

पोल्ट्री फार्मर्स (ब्रॉयलर) वेलफेयर फेडरेशन के सचिव संजय शर्मा के यहां भी ऐसे ही हालात हैं। संजय गाँव कनेक्शन से बताते हैं, "इस समय हर जगह फीड के रेट बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं। पिछले दो महीनों में रेट बहुत ज्यादा बढ़ा है, मान के चलिए की हमारे यहां फीड के दाम डेढ़ गुना तक बढ़ गए हैं। पहले तो पोल्ट्री फीड 13-14 सौ रुपए में मिलता था, उसी बोरी की कीमत अब 1700 में हो गई है। जबकि ब्रायलर के रेट पर तो इसका कोई असर नहीं पड़ता, लेकिन लागत ज्यादा बढ़ जाती है। अभी ब्रायलर चूजों के दाम भी 50 रुपए के लगभग हैं। पहले जो मुर्गे को तैयार करने में 73-75 रुपए लगते थे, अब उसी की लागत 95 रुपए में आ रही है। जबकि उसका दाम सही नहीं मिल रहा है।"


वो आगे कहते हैं, "बर्ड फ्लू की वजह से माल सस्ते में बेच दिए थे, लेकिन चूजों के दाम नहीं कम हुए थे। अब पोल्ट्री फार्मिंग करना मुश्किल हो गया है, अभी आगे क्या हालात होंगे, कोविड फिर बढ़ रहा है, इसी लिए बहुत लोगों ने पोल्ट्री फार्म दोबारा शुरू ही नहीं किया है। क्योंकि आज हम चूजे लाएंगे तो 45-50 दिन में मुर्गे तैयार होंगे, जब तक तैयार होंगे पता नहीं तब कैसे हालात होंगे, लोगों में इसी बात का डर बना हुआ है।"

संजय शर्मा लुधियाना में पोल्ट्री फार्म चलाते हैं, जहां पर पहले 75 हजार के करीब ब्रायलर चिकन तैयार किए जाते थे, लेकिन अब उसका 30 प्रतिशत रख रहे हैं।

मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अनुसार देश में प्रमुख पोल्ट्री मीट उत्पादक राज्यों में पहले नंबर पर आंध्र प्रदेश, उसके बाद पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे राज्य आते हैं।


मार्च महीने में ऑल इंडिया मुर्गी पालन ब्रीडर्स एसोसिएशन के सदस्यों ने उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू से भी मुलाकात कर उन्हें अपनी परेशानियां बतायी थीं।

यूपी के कई जिलों में पोल्ट्री फीड सप्लाई करने वाली उत्तरा फीड प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के वाराणसी के सेल्स मैनेजर सरयू पाठक बताते हैं, "पोल्ट्री फीड के दाम बढ़ने के पीछे सोयाबीन तो है ही, डीजल की कीमतें पिछले महीने बढ़ने से पोल्ट्री फीड बनाने की लागत भी बढ़ गई है। इसी वजह से फीड के दाम बढ़ गए हैं। अगर ऐसा ही रहा तो आगे और भी दाम बढ़ सकते हैं।"

अक्टूबर से फरवरी महीने के दौरान सोयामील का निर्यात भी बढ़ गया है, सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SOPA) के अनुसार, इस दौरान निर्यात 14.35 लाख टन रहा, जबकि एक साल पहले यह 3.65 लाख टन था। ऑल इंडिया पोल्ट्री ब्रीडर्स एसोसिएशन ने केंद्र सरकार से 12 लाख टन सोयाबीन मील ड्यूटी फ्री यानी शुल्क मुक्त आयात करने की इजाजत देने की मांग की है। ऑल इंडिया पोल्ट्री ब्रीडर्स एसोसिएशन ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा। एसोसिएशन ने अपने पत्र में कहा कि सोयाबीन के दाम बढ़ने के कारण सोयाबीन मील के भाव में भारी इजाफा हो गया है जिसकी एक वजह सट्टेबाजी भी है, इसलिए एसोसिएशन ने सरकार से कमोडिटी एक्सचेंज पर सोयाबीन की ट्रेडिंग पर रोक लगाने की अपील की है।

उत्तर प्रदेश पोल्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष अली अकबर ने गाँव कनेक्शन को बताया, "साल 2019 से पोल्ट्री व्यवसाय के नुकसान की शुरुआत हुई थी, जब मक्का के दाम बढ़े थे, उस समय भी पोल्ट्री के दाम काफी ज्यादा बढ़ गए थे। उसके बाद पिछले साल से कोविड के बाद नुकसान और बढ़ गया। हमारे यहां ज्यादातर पोल्ट्री फार्म बंद हो गए, इतना ज्यादा नुकसान हो गया है कि दोबारा लोग शुरू करने के बारे में नहीं सोच सकते हैं।" अकबर अली का यूपी के गाजीपुर में पोल्ट्री फार्म चलता है।

वो आगे कहते हैं, "अगर ऐसा ही चलता रहा तो पोल्ट्री व्यवसाय पूरी तरह से बंद हो जाएगा। अब लोगों के पास पैसे ही नहीं बचे हैं कि फिर से चूजे लेकर प्रोडक्शन शुरू कर पाएं। पोल्ट्री व्यवसाय को फिर से फायदे में आने में अभी आने वाले एक दो-साल लग जाएंगे।"

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