प्रो. प्रभुदत्त खेड़ा को किया गया प्रथम महात्मा गांधी स्वरांजलि पुरस्कार से सम्मानित

साल 1984 को दिल्ली विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त होने के बाद प्रोफेसर प्रभुदत्त खेड़ा लमनी के इन बैगा आदिवासियों के साथ उनकी ही जीवन शैली अपनाते हुए झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं।

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प्रो. प्रभुदत्त खेड़ा को किया गया प्रथम महात्मा गांधी स्वरांजलि पुरस्कार से सम्मानित

पिछले 30 वर्षों सब कुछ आदिवासी बच्चों को मुफ्त शिक्षा दे रहे, प्रो. प्रभुदत्त खेड़ा को छत्तीसगढ़ शासन का प्रथम महात्मा गांधी स्वरांजलि पुरस्कार से प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा सम्मनित किया गया।


महात्मा गांधी की जन्म तिथि की 150 वी वर्षगांठ के अवसर पर प्रोफेसर प्रभुदत्त खेड़ा को यह सम्मान प्रदान किया जा रहा है।

1984 को दिल्ली विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त होने के बाद प्रोफेसर प्रभुदत्त खेड़ा लमनी के इन बैगा आदिवासियों के साथ उनकी ही जीवन शैली अपनाते हुए झोपड़ी बनाकर वही निवास कर रहे हैं। इनके द्वारा बच्चों को वनवासी ग्राम छपरवा में एक शाला संचालित की जा रही है, जिसमें कक्षा 9 से 12 वी तक के बच्चों को शिक्षा प्रदान की जा रही है।

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1971 में पीएचडी और दो विषयों गणित और समाजशास्त्र में एमए करने के बाद वे दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद से सेवानिवृत्त हुए है और आज कक्षा 9वी, 10वी, 11वी और 12 कि गणित और समाज शास्त्र की कक्षा के बच्चों को पढ़ा रहे हैं। विद्यालय के संचालन के लिए उन्होंने अपने जिंदगी भर की जमापूंजी लगा दी और मिलने वाली पेंशन की राशि का उपयोग करते है।

इनका निवास ग्राम लमनी में एक कुटिया में है जिसमें 1984 से निवास कर रहे हैं। इनके बिस्तर का आधा भाग पुस्तकों से भरा होता है और आधे पर ये सोते हैं। लमनी से छपरवा 18 किमी. का प्रतिदिन आना जाना ये नियमित रूप से करते हैं। इनको आज भी पढ़ने का कोई चश्मा नहीं लगता, कोई बी पी शुगर या किसी अन्य प्रकार का कोई रोग इनके ऊपर प्रभावी नहीं होता।

     

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