अनोखी पहल: शिक्षकों ने चीकू बाबा का मंदिर बनाकर छेड़ी खुले में शौच से मुक्ति की लड़ाई

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अनोखी पहल: शिक्षकों ने चीकू बाबा का मंदिर बनाकर छेड़ी खुले में शौच से मुक्ति की लड़ाईराजसमंद जिले के गड़रियावास गाँव में स्कूल परिसर के पास स्थित चीकू बाबा का मंदिर।

राजसमंद। राजस्थान के राजसमंद शहर के बीचों बीच बनी बड़ी सी झील दुनियाभर में प्रसिद्ध है। खूबसूरत राजसमंद झील को मेवाड़ के राणा राज सिंह नें सत्रहवीं शताब्दी में बनवाया था। धर्म और आस्था के प्रतीक इस शहर में द्वारकाधीश, चारभुजा और हनुमान मंदिर तो प्रसिद्ध है ही, लेकिन इस शहर से करीब 22 किमी दूर गड़रियावास गाँव में चीकू बाबा का मंदिर भी हाल फिलहाल खूब चर्चाओं में रहा। खैर आखिर इस अनोखे मंदिर की चर्चा हो भी क्यों न, जब इसकी वजह से एक पूरे गॉंव में स्वच्छता की लहर दौड़ी हो। खासकर खुले में शौच से परेशान स्कूल के विद्यार्थियों और शिक्षकों को इससे मुक्ति मिली हो।

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मंदिर को जरिया बनाकर यहां स्वच्छता व खुले में शौच से मुक्ति के लिए लड़ाई छेड़ने वाले लोग व स्कूल के शिक्षक बताते हैं कि गड़रियावास की जनसंख्या करीबन 2000 है और यहाँ के निवासी मूलरूप से भेड़ और बकरीपालन का व्यवसाय पर निर्भर हैं। इस गड़रियावास गाँव के एक छोर पर राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय है, जहाँ कक्षा 1 से 8वीं तक करीब 150 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। कुछ वर्षों पहले गाँव के कुछ धनाढ़्य लोगों ने इस विद्यालय से सटी जमीन के एक बड़े हिस्से को दान स्वरूप स्कूल को सौंपा।

सालों से खाली पड़े इस प्लॉट पर ना कोई पेड़ पौधे लगाए गये और न ही विद्यालय की तरफ से कोई निर्माण कराया गया। धीरे-धीरे गाँव के लोग इस खाली प्लॉट पर आकर सुबह शौच करने लगे। साल दर साल शौच की गंदगी और बदबू इतनी ज्यादा होने लगी कि पास में स्थित विद्यालय की खिड़कियों को खोलना भी मुसीबत बन गया। यही नहीं विद्यालय समीप होने की वजह से यहां के शिक्षक, शिक्षिकाएं और बच्चों की सेहत भी खराब होने लगी।

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आखिरकार यहां शौच बंद कराने के लिए शिक्षकों ने गाँव के घर-घर जाकर दस्तक दी और लोगों को खुले में शौच की वजह से होने वाले हानियों के बारे में बताया। बावजूद इसके इस प्रयास को किसी तरह की सफलता नहीं मिली। गाँव के लोगों नें असहमति जताते हुए स्पष्ट रूप से यह कह दिया कि इस प्लॉट को गाँव वालों ने ही दान में दिया है। ऐसे में इस खाली पड़े प्लॉट पर शौच करने पर विद्यालय प्रशासन या किसी अन्य को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। बताया जाता है कि इस गाँव में उस समय तक कुल 10 शौचालय भी नहीं थे। जिससे ये खुला प्लॉट शौच का स्थान बन चुका था।

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प्रधान अध्यापिका ने निकाली तरकीब

हालांकि इस समस्या से निपटने में विद्यालय की प्रधान अध्यापिका शांता देवी ने हार नहीं मानी और खुले में शौच को बंद कराने के लिए एक तरकीब निकाली। स्थानीय लोग धर्म और आस्था के साथ-साथ बाबाओं और संतों के अनुयायी भी हैं और इसी बात को ध्यान में रख स्कूल के स्टाफ और बच्चों नें उस प्लॉट की पूरी साफ-सफाई कर दी। प्लॉट के बीचों-बीच एक बड़ा सा गोल आकार का पत्थर रखा गया और इसे देखते ही देखते पूजा स्थल के रूप में तब्दील कर दिया गया। स्कूल के स्टॉफ ने सारे गाँव में घूम-घूमकर चीकू का प्रसाद भी बांटा और लोगों को बताया कि उस प्लॉट पर चीकू बाबा की स्थापना की गयी है।

गड़रियावास गाँव में चीकू बाबा का मंदिर।

फिर क्या था? देखते ही देखते उस जगह पर लोग पूजा पाठ करने आने लगे और इसे पवित्र जगह मानते हुए लोगों ने इस प्लॉट और इसके आस-पास शौच करना भी बंद कर दिया। जल्द ही वो दिन भी आया जब बच्चों और उनके शिक्षक शिक्षिकाओं को अपने स्कूल की खिड़कियों को खोलकर खुली हवां में सांस लेने का मौका मिला।

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अपने इस तरकीब के बारे में शांता देवी बताती हैं कि एक दिन किसी व्यक्ति ने विद्यालय आकर उन्हें चीकू दिया और चीकू के छोटे-छोटे टुकड़े करके उन्होनें अपने साथियों को खिलाया। चीकू बांटते समय उन्होने इसे भगवान का प्रसाद कहा। ठीक उसी समय उन्हें चीकू बाबा का मंदिर बनाने की जुगत आयी। देखते ही देखते चीकू बाबा का मंदिर चहल पहल भरा हो गया, अब लोग यहाँ आकर चीकू का प्रसाद चढ़ाते हैं। धार्मिक आस्थाओं का सहारा कई बार ऐसा अनोखा काम भी कर सकता है ऐसा पहली बार स्कूल के शिक्षकों को मालूम हुआ। अब शांता देवी लोगों को अपने-अपने घरों में शौचालय निर्माण के लिए लगातार प्रेरित कर रही हैं। उनके इस प्रयास में काफी हद तक सफलता भी मिली।

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