इजरायल के सहयोग से भारत में आ सकती है दूसरी हरित क्रांति

Ashwani NigamAshwani Nigam   4 July 2017 5:55 PM GMT

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इजरायल के सहयोग से भारत में आ सकती है दूसरी हरित क्रांतिखेती के लिए इजरायल की तकनीकी सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।

लखनऊ। कुछ साल पहले तक वर्टिकल खेती और ड्रिप सिंचाई के बारे में हरियाणा के करनाल जिले के शेखपुर खालसा गांव के किसान दीपक खातकर को नहीं पता था लेकिन आज इस तकनीक का इस्तेमाल कर वे पहले के मुकाबले चार गुना सब्जियां पैदा कर रहे हैं। ऐसा इसलिए हुआ है कि इजरायल के सहयोग से हरियाणा के घरौंदा में खोले गए कृषि केन्द्र में इनको प्रशिक्षण दिया गया। दीपक खातकर ने बताया '' भारत सरकार और इजरायल के सहयोग से खोले गए कृषि केन्द्र में इजरायल के कृषि विशेषज्ञों ने इजरायल की तकनीक से आधुनिक खेती करने का प्रशिक्षण दिया। जिसके बाद मैं टमाटर, बीज रहित खीरा, बैंगन और रंगीन शिमल मिर्च का उत्पादन कर रहा हूं।''


उन्होंने बताया कि पहले गेहूं और जौ की परंपरागत खेती करता था लेकिन पहले के मुकाबले चार गुना ज्यादा सब्जियां उगा रहा हूं। यह एक उदारहण है कि कैसे इजरायल की मदद से भारत में दूसरी हरित क्रांति हो सकती है। लंबे समय तक इजरायल में रहकर रिसर्च करने वाले और वर्तमान में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में इजरायल की भाषा हिब्रू पढ़ाने वाले प्रोफेसर खुर्शीद इमाम बताते हैं '' भारत में दूसरी हरित क्रांति लाना है तो इसमें इजरायल की कृषि प्रोद्योगिकी की मदद या सबक लेना होगा। ''

उन्होंने बताया कि इजरायल आधुनिक कृषि तकनीकि में वर्ल्ड लीडर है। इजरायल की सफलता किसानों और वैज्ञानिकों के दृढ़ निश्चय और सटीक प्रयोग के साथ-साथ शोध, विकास और उद्योग के बीच परस्पर सहयोग की वजह से है। इन्हीं विशिष्टताओं से सीमित भूमि और जल के स्रोतों की कमी के साथ-साथ प्रतिकूल मौसम में भी इजरायल कृषि में नंबर वन है। ''

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इजरायल ने सबसे पहले पूरी दुनिया को बताया सिंचाई में अवशिष्ट, खारा और रिसाइकल किए पानी का इस्तेमाल करके अच्छी खेती की जा सकती है। पैदावार बढ़ाने और जल संरक्षण के लिए आधुनिक माइक्रो सिंचाई पद्धति और सिंचाई के साथ खाद सही इस्तेमाल का तरीका अपनान भी इजरायल ने दुनिया को बताया। सब्जियों और बागवानी के लिए रोग मुक्त अंकुरन पैदा करने के लिए बेहतरीन मानक नर्सरी का विकास करना।

संरक्षित खेती का इस्तेमाल करना, जो प्रतिकूल मौसम में भी पैदावार बढ़ाता है और कीटनाशकों के इस्तेमाल को कम करता है। जलनिकासी पर नियंत्रण, पौधों के संरक्षण, कैनोपी पद्धति का इस्तेमाल, नई किस्मों के पौधों का उपयोग और संकरित बीजों और नए रूटस्टॉक के इस्तेमाल से उद्यान संबंधित फसलों में बढ़ोतरी और विस्तार करना भी इजरायल की देन है। इजरायल ने पोस्ट हार्वेस्ट तकनीकि का इस्तेमाल कर उत्पादों को लंबे समय तक ताजा बनाए रखना और उसकी गुणवत्ता कायम रखना भी सिखाया।

भातर और इजरायल के बीच साल 2008 में पहला कृषि समझौता हुआ था। साल 2011 में भारत और इजरायल के कृषि मंत्रालयों के बीच तीन साल के लिए कार्य योजना तैयार की गई थी जिसमें इजरायल केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों के सहयोग से विभिन राज्यों में कृषि सहयोग के अंतगर्त कृषि विकास और शोध की कई योजनाओं पर काम कर रहा है।

इन योजनाओं के अंतगर्त हरियाणा में कृषि से संबंधित 2 विशिष्ट केंद्र पूरी तरह से कार्यरत हैं, एक सब्जियों के लिए करनाल के घरौंदा में है और दूसरा फलों के लिए सिरसा के मंगिआना में है। इन केंद्रों की सफलता को देखते हुए हरियाणा सरकार राज्य में इसी तरह के और भी केंद्र खोलने की घोषणा कर चुकी है। इसी तरह महाराष्ट्र के में तीन विशिष्ट केंद्रों की स्थापना के लिए काम जारी है, जिसमें नागपुर में नीबू जाति के केंद्र, राहुरी में अनार के केंद्र, औरंगाबाद में केसर आम के केंद्र और डपोली केंद्र में अल्फांसो आम के लिए केन्द्र खोला जा रहा है।

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दक्षिण भारतीय राज्यों में भी इजरायल के सहयोग से कृषि को बढ़ावा देने की योजनाओं पर काम चल रहा है। जिसमें तमिलनाडु के डिंडिगुल में सब्जियों के लिए और कृष्णागिरी में फूलों के लिए एक विशिष्ट केंद्र खोलने की योजना है। राजस्थान के बस्सी में अनार और सब्जियों के लिए विशिष्ट केंद्र बनाया जा रहा है। यहां कोटा में नीबू जाति के लिए और जैसलमेर में खजूर के लिए केंद्र खोलने की योजना है। पंजाब में दो विशिष्ट केंद्रों होशियारपुर में नीबू जाति और जालंधर में सब्जियों के लिए विशिष्ट केंद्र की शुरुआत है। गुजरात के जूनागढ़ में आम के लिए और वड़ोडरा में सब्जियों के लिए विशिष्ट केंद्र खोलने की योजना है।

कर्नाटक के कोलार में आम के लिए, बगलकोट में अनार के लिए और बेलगांव में सब्जियों के लिए विशिष्ट केंद्र खोलने को लेकर विचार किया गया है।इसके अलावा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार में कृषि सहयोग योजनाओं की स्थापना के लिए काम चल रहा है। विभिन्न राज्यों की इन योजनाओं में विदेश मंत्रालय के तहत इजरायल की अंतरराष्ट्रीय विकास सहयोग संस्था 'मशाव' और भारत की (सीआईएनएडीसीओ) यानि कृषि और ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास सहयोग केंद्र और राष्ट्रीय उद्यान मिशन जैसी संस्थाएं भी सहयोग कर रही हैं।

         

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