अखिलेश यादव ने किया ऐलान, कहा- गठबंधन टूट गया तो विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी सपा
सपा प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि यदि गठबंधन टूट गया है, तो मैं इस पर गहराई से विचार करूंगा। अगर उप-चुनाव में गठबंधन नहीं होता है, तो समाजवादी पार्टी चुनाव की तैयारी करेगी। सपा भी अकेले सभी 11 सीटों पर लड़ेगी। बता दें कि बसपा और सपा ने भाजपा को हराने के लिए लोकसभा चुनाव में गठबंधन किया था।
गाँव कनेक्शन 4 Jun 2019 7:01 AM GMT
लखनऊ। सपा प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि यदि गठबंधन टूट गया है, तो मैं इस पर गहराई से विचार करूंगा। अगर उप-चुनाव में गठबंधन नहीं होता है, तो समाजवादी पार्टी चुनाव की तैयारी करेगी। सपा भी अकेले सभी 11 सीटों पर लड़ेगी। बता दें कि बसपा और सपा ने भाजपा को हराने के लिए लोकसभा चुनाव में महागठबंधन किया था। वही बसपा सुप्रीमों मायावती ने पहले ही लोकसभा हार का ठीकरा सपा पार्टी पर फोड़ते हुए विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने के की बात कही है।
SP Chief Akhilesh Yadav on SP-BSP coalition: If the coalition has broken, I will reflect deeply on it & if the coalition isn't there in the by-elections, then Samajwadi Party will prepare for the elections. SP will also fight on all 11 seats alone pic.twitter.com/cl1LklZq09
— ANI UP (@ANINewsUP) June 4, 2019
अखिलेश ने आजमगढ़ में कहा ''वर्ष 2022 में उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार बनेगी। यही हमारी रणनीति है। हम उप्र को विकास की नयी ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। अगर गठबंधन टूटा है और जो बातें कही गई हैं... मैं उन पर बहुत सोच समझकर विचार करूंगा। जब उपचुनाव में गठबंधन है ही नहीं, तो सपा भी 11 सीटों पर राय मशविरा करके अकेले चुनाव लड़ेगी। अगर रास्ते अलग-अलग हैं तो उसका भी स्वागत है।
मायावती ने कहा कि उन्हें यादव वोट ही नहीं मिले। पार्टी ने हार की समीक्षा करते हुए फैसला किया है कि राज्य में 11 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में बसपा अकेले लड़ेगी। समीक्षा में पाया गया कि बीएसपी जिस तरह से कैडर बेस पार्टी है। हमने बड़े लक्ष्य के साथ एसपी के साथ मिलकर काम किया है, लेकिन हमें बड़ी सफलता नहीं मिल पाई है।
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मायावती ने कहा कि इस चुनाव में सपा ने भाजपा को हराने का अच्छा मौका गंवा दिया। ऐसी स्थिति में समाजवादी पार्टी को सुधार लाने की जरूरत है। यदि मुझे लगेगा कि सपा प्रमुख राजनीतिक कार्यों के साथ ही अपने लोगों को मिशनरी बनाने में कामयाब हो जाते हैं तो फिर हम साथ चलेंगे। अगर ऐसा नहीं हो पाया तो हमारा अकेले चलना ही बेहतर होगा।
मालूम हो कि सपा-बसपा-रालोद ने मिलकर पिछला लोकसभा चुनाव लड़ा था, मगर यह गठबंधन ज्यादा कामयाब नहीं हो पाया। इसमें बसपा को 10 और सपा को पांच सीटें ही मिल सकी थीं। इस गठबंधन से सपा को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ था।
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