कहानी उस देश की, जो न्यूनतम आय गारंटी मिलने के बाद खत्म होने की कगार पर है

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कहानी उस देश की, जो न्यूनतम आय गारंटी मिलने के बाद खत्म होने की कगार पर हैसाभार: इंटरनेट

अमेरिकी कलाकार जॉर्ज बर्न्स ने एक बार कहा था- डोंट स्टे इन बेड, अनलेस यू कैन मेक मनी इन बेड। इसका मतलब ये है कि आपको तब तक खाली नहीं बैठना चाहिए, जब तक कि खाली बैठकर आप पैसा ना कमा सकें। न्यूनतम आय गारंटी योजना हमें इस बात के बहुत करीब ले जाती है।

इसका सबसे सटीक उदाहरण है दक्षिण अमेरिकी देश वेनेजुएला। भारत में न्यूनतम आय गारंटी योजना लागू होती है, तो वादे के मुताबिक हर गरीब व्यक्ति के खाते में प्रति माह 12,000 रुपये आएंगे या प्रति माह 12 हजार की आमदनी में जो कमी हो, उसे पूरा किया जाएगा। इसे लेकर कुछ बातें अभी साफ नहीं है।

घोषणा के मुताबिक सालाना 72 हजार रुपये देने की बात से ये भी अंदाजा लगाया जा रहा है कि गरीब परिवारों को प्रति माह छह हजार रुपये की मदद दी जाएगी। ये भी कहा जा रहा है कि इस योजना में सिर्फ वही परिवार शामिल होंगे, जिनकी आय 12 हजार रुपये प्रति माह से कम है।

ये घोषणा होने के बाद से ये सवाल उठ रहा है कि इस पूरी योजना को लागू कैसे किया जाएगा और इसका क्या असर होगा? इस सवाल के जवाब में आर्थिक मामलों के जानकार महेश सी. पुरोहित कहते हैं, "किसी भी योजना को लागू करना मुश्किल नहीं होता। अगर कोई देश किसी भी तरह की योजना शुरू करना चाहता है, तो वो कर सकता है। उसके पास एक निश्चित बजट होता है। किसी योजना को कम करके या बंद करके दूसरी योजना शुरू की जा सकती है।"

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पुरोहित आगे कहते हैं, "मगर सोचने वाली बात ये है कि लागू की जाने वाली योजना का देश के विकास पर क्या असर होगा। जहां तक इस योजना की बात है, मुझे लगता है कि इसका असर अच्छा नहीं होगा। जब लोगों को बिना काम किए पैसे मिलेंगे, तो वो काम ना करने का विकल्प चुनेंगे और इससे देश में कई स्तर पर संकट पैदा होगा।"

महेश सी. पुरोहित बताते हैं, "यह आर्थिक दृष्टि से भी देश को पीछे धकेलने वाली योजना है। इससे हम लोगों को बेरोजगार बनने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। वेनेजुएला का उदाहरण सामने है।"

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वजह हैं वेनेजुएला के हालात

निकोलस मादुरो सन् 2013 से वेनेजुएला के राष्ट्रपति हैं। सन् 2019 तक आते-आते उनसे कई विवाद जुड़ गए और अब उन्हें पूरी तरह वेनेजुएला का राष्ट्रपति कहना गलत होगा, ये कहा जा सकता है कि वह राष्ट्रपति हैं, मगर ये कहना वर्तमान परिस्थितियों में काफी विवादित है, वजह हैं वेनेजुएला के हालात।

मादुरो ने आर्थिक सुधारों के नाम पर वेनेजुएला के लोगों से न्यूनतम आय का ना सिर्फ वादा किया, बल्कि हालातों को नजरअंदाज कर लगातार उसमें इजाफा भी करते गए। नतीजा ये हुआ कि लोग काम करने से कतराने लगे और न्यूनतम आय पर निर्भर होना उनका प्रिय काम बन गया।

धीरे-धीरे वेनेजुएला में सभी लोगों की आय एक समान हो गई, जो कि सुनिश्चित की गई न्यूनतम आय थी। देश में काम करने वाले लोग मिलना बंद हो गए। महंगाई दर इतनी ज्यादा बढ़ गई कि अब वहां पानी के लिए भी लोग एक-दूसरे का कत्ल करने को तैयार हैं।

वेनेजुएला, जो कभी एक विकसित राष्ट्र था, वो अब नष्ट होने के कगार पर खड़ा है। ऐसे में सवाल ये है कि क्या हम भारत के साथ ऐसा ही चाहते हैं?

आंकड़ों के पीछे की कहानी

हमारे देश की कुल आबादी करीब 130 करोड़ है। घोषणा के मुताबिक सबसे गरीब परिवारों की न्यूनतम आय 12 हजार रुपये होनी चाहिए। गरीबों की संख्या का आंकलन करें, तो मान लेते हैं देश में 5 करोड़ सबसे गरीब परिवार हैं। इन सभी गरीब परिवारों को सालाना 72 हजार रुपये दिए जाएंगे। ऐसे में इसका कुल खर्च लगभग तीन लाख 60 हजार करोड़ रुपये होगा।

फिक्की के पूर्व चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर रहे अंजन रॉय कहते हैं, ''इस योजना को लागू करने या इस पर बात करने से पहले ये पूछा जाना चाहिए कि इतना पैसा आएगा कहां से? आप शिक्षा योजना में कमी करेंगे, स्वास्थ्य योजना में या किसी अन्य योजना में? क्या आप ये पैसा लोगों का टैक्स बढ़ाकर जुटाएंगे?"

अंजन कहते हैं, "इस सवाल के जवाब में एक और सवाल उठता है कि टैक्स आएगा कहां से, जब ज्यादातर लोग काम करने से कतराने लगेंगे? इस तरह के सवाल ही अपने आप में ये जवाब दे देते हैं कि ये योजना सिर्फ जनता को दिया गया एक लालच है और इसे लागू करने के परिणाम काफी खतरनाक हो सकते हैं, इससे पूरी अर्थव्यवस्था चरमरा सकती है।''

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बर्बाद कर सकती है ये न्यूनतम आय

आर्थिक मामलों के जानकारों से बातचीत में सामने आया कि बिना काम किए न्यूनतम आय मिलने से कई तरह की समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

अंजन रॉय बताते हैं, "जब लोग बिना काम के पैसा पाएंगे, तो वो काम करने में दिलचस्पी भी नहीं लेंगे। इससे काम करने वाले लोगों यानी श्रमिकों की कमी हो जाएगी। इससे वस्तुओं के उत्पादन में कमी होगी। उत्पादन कम होने से आपूर्ति कम होगी और वस्तुओं की मांग बढ़ने पर महंगाई बढ़ेगी।"

आगे कहते हैं, "महंगाई बढ़ना ही उस खतरनाक स्थिति की तरफ इशारा करता है जहां जरूरत की छोटी से छोटी चीज के दाम भी आसमान छूने लगेंगे और हालात घूम-फिर कर हमें फिर वेनेजुएला के उदाहरण पर ले आएंगे, जहां आज एक लीटर पानी की कीमत 50 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच चुकी है।"

    

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