दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान सिर्फ 10 प्रतिशत: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश किया वह प्रदूषण पर आपातकालीन मीटिंग बुलाए। साथ ही कहा है कि केंद्र और राज्य सरकारों को दिल्ली एनसीआर में वर्क फ्रॉम होम लागू करने पर विचार करना चाहिए।

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दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान सिर्फ 10 प्रतिशत: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा

किसानों के पराली जलाने को लेकर हो रहे हंगामे के बीच आज सुप्रीम कोर्ट ने आज एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि इस पर हंगामा करना आधारहीन है।

राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण की स्थिति को 'आपातकालीन स्थिति' बताते हुए, जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है, सुप्रीम कोर्ट ने 15 नवंबर को राजधानी में एक याचिका पर सुनवाई की।

केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को रोकने के लिए कई उपायों का सुझाव दिया, जिसमें वाहनों की आवाजाही को प्रतिबंधित करने वाली ऑड-इवेन योजना की शुरुआत, पड़ोसी राज्यों से ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध और लॉकडाउन शामिल है।

सुप्रीम कोर्ट के सामने आज केंद्र सरकार ने कहा है कि वायु प्रदूषण में पराली जलाने का हिस्सा केवल 4% है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमाना, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ राष्ट्रीय राजधानी में बिगड़ती वायु गुणवत्ता की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आपातकालीन कदम उठाने की मांग करने वाले एक मामले की सुनवाई कर रही है।

सॉलिसिटर जनरल ने केंद्र सरकार के सचिवों और दिल्ली, पंजाब और हरियाणा की सरकारों के बीच आयोजित एक आपात बैठक में विचार किए गए कई उपायों की व्याख्या करते हुए कहा कि पराली जलाने से प्रदूषण में 10% से कम योगदान होता है।

जब सुनवाई शुरू हुई तो रिट याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने पंजाब में पराली जलाने का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि पंजाब में आसन्न विधानसभा चुनाव को देखते हुए सरकार कड़े कदम उठाने को तैयार नहीं है। इसलिए उन्होंने इस प्रक्रिया की देखरेख के लिए एक स्वतंत्र आयोग के गठन की मांग की।

सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को दिल्ली की बिगड़ती वायु गुणवत्ता पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी। कोर्ट ने केंद्र सरकार को संबंधित राज्य सरकारों के साथ चर्चा के बाद स्थिति से निपटने के लिए तत्काल उपाय करने को कहा था।

कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की थी कि यह प्रोजेक्ट करने का प्रयास किया गया कि स्टबल बर्निंग प्रमुख कारण है। साथ ही कोर्ट ने अफसोस जताया कि "किसान को कोसना अब एक फैशन बन गया है।"

कोर्ट ने कहा था कि प्रदूषण के अन्य कारणों जैसे औद्योगिक और वाहनों से होने वाले उत्सर्जन पर ध्यान देना चाहिए। बेंच ने यह भी सुझाव दिया कि यदि आवश्यक हुआ तो स्थिति को संभालने के लिए दो दिन का लॉकडाउन लगाया जा सकता है।

पीठ ने स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य पर दिल्ली के मौजूदा वायु प्रदूषण संकट के संभावित प्रभाव के प्रति गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए दिल्ली सरकार से यह भी पूछा था कि इस संबंध में क्या कदम उठाए गए हैं।

दिल्ली के साथ ही हरियाणा में भी स्कूल बंद कर दिए गए हैं, यहां पर ऑनलाइन क्लास चल रही हैं।

कोर्ट ने कहा कि रोड क्लीनिंग मशीन कितनी है दिल्ली के पास, क्या राज्य के पास पैसे है उनको खरीदने को लेकर या नही, इतने आदमी है या नही? कोर्ट ने पूछा कि पिछली सुनवाई में आपातकालीन स्टेप लेने को कोर्ट ने कहा। लेकिन जो आपने हलफनामे में कहा कि वो एक लंबा प्रोसेस है।

कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि हमने पिछली सुनवाई में कहा था कि स्थिति बहुत खराब है, तत्काल उपाय करने की जरूरत है। आप जो बताए हैं सारे उपाय लॉन्ग टर्म सॉल्यूशन हैं। हमें तत्काल सॉल्यूशन चाहिए।

कोर्ट ने सरकार से पूछा कि आप कह रहे है कि पराली अब वायु प्रदूषण का मुख्य कारण नहीं है? दिल्ली सरकार ने कदम उठाये है, स्कूलों का बंद करना, वर्क फ्रॉम होम आदि।

सड़क की धूल प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जा रहा है। दिल्ली सरकार के उपायों के कारण बदरपुर पहले से ही बंद है। हमने इसे बंद करने का निर्देश नहीं दिया था। पार्किंग शुल्क बढ़ाया जाए, डीजल जेनरेटर का प्रयोग बंद करें। लैंडफिल में कूड़ा जलाना बंद हो

कोर्ट ने कहा कि आप दो दिनों के ट्रक की एंट्री की बात कर रहे है। क्यों नहीं दो दिन के लिए गाड़ियों पर ही बैन लगा दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि 76 फीसदी दिल्ली में प्रदूषण धूल,परिवहन और इंड्रस्टी की वजह से होता है। कोर्ट ने कहा कि पराली की जगह इन तीन वजहों पर गौर करे, धूल, ट्रांसपोर्ट और इंडस्ट्री। अगर तीनों पर काम करते है तो प्रदूषण कम होगा।

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