सीतापुर में संदिग्ध बुखार का कहर, दर्जनों ग्रामीण चपेट में

शायद ही कोई ऐसा घर होगा जिस घर में लोग बुखार की चपेट में लोग न हो, स्वास्थ्य विभाग की टीम खून के नमूने लेकर गई है

Chandrakant MishraChandrakant Mishra   1 Aug 2019 1:41 PM GMT

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चन्द्रकान्त मिश्रा/ मोहित शुक्ला

सीतापुर। गर्मी बढ़ने के साथ ही बीमारियां भी तेजी से पैर पसार रही हैं। उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद के गोंदलामऊ ब्लाक के रामगढ़ गाँव में करीब 25 लोग बुखार से ग्रसित हैं। बुखार से पीड़ितों का इलाज सीएचसी और प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया है। दो साल पहले इसी क्षेत्र के करीब 10 गाँवों में संदिग्ध बुखार फैल गया था, जिसमें 50 लोगों की मौत हो गई थी।

रामगढ़ गाँव में एक सप्ताह में बुखार का प्रकोप फैल रहा है। ग्रामीण महेंद्र (40वर्ष) बताते हैं, " मेरे बेटे शैलेष को पिछले एक सप्ताह से बुखार आ रहा है। सरकारी अस्पताल में दवा लेने गए थे। दवाई का कोई फायदा नहीं है। गाँव मे गंदगी से नालियां बजबजा रही हैं। सरकारी हैंडपम्पों के आस पास पानी भरा हुआ है। गाँव में एक बार भी न तो फॉगिंग हुई है आर न ही चूना डलवाया गया है।"

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ग्रामीण कुलदीप का कहना है, " आधे गाँव के लोग बुखार से पीड़ित हैं। शायद ही कोई ऐसा घर होगा जिस घर में लोग बुखार की चपेट में लोग न हो। इस बुखार में पहले तो सर्दी लगती है। फिर उसके बाद काफी तेज बुखार होता है। एक सप्ताह से गाँव में बुखार का प्रकोप है। स्वास्थ्य विभाग की टीम आई थी, खून के नमूने लेकर गई है। जांच रिपोर्ट के बाद ही पता चलेगा कि यह कौन सा बुखार है।"

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ग्रामीणों का कहना है कि गांव में गंदगी की भरमार है। गांव की नालियों में दो-दो फिट लंबी घास उग गई है। इसके बावजूद अभी तक दवा का छिड़काव नहीं किया गया है।

जिला मलेरिया अधिकारी डॉ सुरेंद्र सिंह ने बताया, "मलेरिया से ग्रसित सभी गांवो में जाकर मलेरिया की दवाइयां वितरित की जा रही हैं। गांव में ही लोगो का ब्लड लेकर के स्लाइड तैयार कराई जा रही है।"


सीतापुर जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. आर. के. नैय्यर ने बताया कि बरसात का मौसम है और वायरल बुखार चल रहा है। गांवो में हमारी स्वाथ्य टीम जाकर के लोगों का परीक्षण कर दवाएं वितरित कर रही है।"

इसी गाँव के रहने वाले मुकेश(26वर्ष) का पूरा परिवार बुखार की चपेट में है। मुकेश ने बताया, " सबसे पहले मेरी पत्नी का बुखार हुआ। दो दिन तक वह विस्तर पर पड़ी रही। मेडिकल स्टोर से दवा लाकर दिया तब थोड़ा आराम मिला। जब तक वह ठीक होती, मेरे दोनों बच्चे बीमार पड़ गए। दो दिन से मुझे भी हल्का हल्का बुखार है। बुखार ने बीवी और बच्चों की हालत खराब कर दी है। बुखार से सब कमजोर हो गए हैं।"

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वहीं , दो साल पहले नटवलग्रंट सहित करीब 10 गाँवों में बुखार फैल गया था, जिसमें 50 लोगों की मौत हो गई थी। आखिर में स्वास्थ्य विभाग ने इन मौतों की वजह मलेरिया बताया था। बड़ा सवाल यह है कि बुखार के संक्रमण से बचाव में स्वास्थ्य महकमा द्वारा लापरवाही क्यों बरती गई, जबकि पिछले साल 50 लोगों की मौत हो चुकी है। दूसरा सवाल यह कि गांव में बुखार के संक्रमण को रोकने के लिए प्रशासन द्वारा क्या इंतजाम किया गया है, क्योंकि संक्रमण घटने के बजाय लगातार बढ़ रहा है।

   

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