कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब विधानसभा में आज विशेष सत्र, किसान संगठनों का और तेज हुआ आंदोलन
देश में नए कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब विधानसभा में आज से दो दिवसीय विशेष सत्र शुरू होने जा रहा है। पंजाब में कृषि कानूनों के खिलाफ कई दिनों से किसान संगठनों का विरोध प्रदर्शन चल रहा है।
गाँव कनेक्शन 19 Oct 2020 6:15 AM GMT
नए कृषि कानूनों के विरोध में जहाँ एक तरफ पंजाब में किसान संगठनों का रेल रोको आंदोलन और तेज होता जा रहा है, दूसरी तरफ कृषि कानूनों के विरोध में आज पंजाब सरकार का विधानसभा में दो दिवसीय विशेष सत्र शुरू होने जा रहा है।
इस विशेष सत्र में विधायक दल सर्वसम्मति से कृषि कानूनों को पंजाब में लागू नहीं करने पर वकालत करेंगे। साथ ही कृषि कानूनों पर चर्चा के बाद पंजाब सरकार की ओर से विधेयक भी पेश किया जा सकता है।
किसान संगठनों का समर्थन करते हुए कृषि कानूनों के खिलाफ ऐसा करने वाला पंजाब देश का पहला राज्य होगा। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह पहले ही कह चुके हैं कि कृषि कानूनों के खिलाफ यह लड़ाई जारी रहेगी और पंजाब सरकार इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक लेकर जायेगी।
Reached Vidhan Sabha for the crucial Special Session beginning today. We meet to discuss and debate steps to save Punjab's farming and safeguard our interests from Centre's Anti-Farmer Laws. pic.twitter.com/6POQ2uEteg
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) October 19, 2020
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने यह भी कहा कि कांग्रेस के लिए यह लड़ाई कोई राजनीति नहीं है, बल्कि पंजाब के किसानों और कृषि को बचने का प्रयास है। इस पर जो भी फैसला लिया जाएगा, वह किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए लिया जाएगा।
दूसरी ओर नए कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब में किसान संगठनों का रेल रोको आंदोलन और तेज होता जा रहा है। किसान आंदोलन की वजह से भारतीय रेलवे को अब तक कई ट्रेनें रद्द करनी पड़ी हैं। यह आंदोलन पंजाब में एक अक्टूबर से जारी है।
पंजाब: कृषि कानूनों के विरोध में अमृतसर के देविदासपुरा गांव में किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी का रेल रोको आंदोलन आज 21वें दिन भी जारी है। pic.twitter.com/vUtR0JsIYK
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 14, 2020
पंजाब में किसानों के आंदोलन को लेकर भाजपा को भी झटका लगा है। दो दिन पहले पंजाब भाजपा के महासचिव मालविंदर सिंह कंग ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इससे पहले शिरोमणि अकाली दल कृषि कानूनों के खिलाफ पहले ही भाजपा से किनारा कर चुकी है।
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