पोषण माह: पोषण वाटिका में पौध रोपण, स्थानीय व्यंजन के बारे में जागरूकता जैसे कार्यक्रमों का होगा पूरे महीने आयोजन

पोषण माह के दौरान क्षेत्रीय/स्थानीय भोजन के महत्व पर जागरूकता अभियान, पोषण किटों का वितरण, साथ ही एनीमिया शिविर, एसएएम बच्चों की ब्लॉकवार पहचान के लिए अभियान चलाया जाएगा।

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पोषण माह: पोषण वाटिका में पौध रोपण, स्थानीय व्यंजन के बारे में जागरूकता जैसे कार्यक्रमों का होगा पूरे महीने आयोजन

पौधरोपण गतिविधियां पौष्टिक फलों के वृक्ष, स्थानीय सब्जियों और औषधीय पौधों और जड़ी-बूटियों के पौधे लगाने पर केंद्रित होगी। सभी फोटो: गांव कनेक्शन 

सितंबर माह को पोषण माह के रूप में मनाया जाएगा। इसके लिए लिए पूरे महीने अलग-अलग गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। ताकि लोगों में पोषण संबंधित जागरूकता आए।

इस वर्ष पोषण माह के दौरान गतिविधियों की विस्तृत श्रृंखला आंगनवाड़ियों, स्कूल परिसरों, ग्राम पंचायतों और अन्य स्थानों पर उपलब्ध स्थलों में सभी हितधारकों द्वारा पोषण वाटिका के लिए वृक्षारोपण अभियान पर केंद्रित होगी। पौधरोपण गतिविधियां पौष्टिक फलों के वृक्ष, स्थानीय सब्जियों और औषधीय पौधों और जड़ी-बूटियों के पौधे लगाने पर केंद्रित होगी।



पोषण अभियान बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए पोषण संबंधी परिणामों में सुधार के लिए भारत सरकार का प्रमुख कार्यक्रम है। 8 मार्च, 2018 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर राजस्थान के झुंझुनू से प्रधानमंत्रीनरेन्द्र मोदी द्वारा प्रारंभ किया गया, पोषण अभियान (समग्र पोषण के लिए प्रधानमंत्री की व्यापक योजना) कुपोषण की समस्या और मिशन-मोड में इसके समाधान की ओर देश का ध्यान केन्द्रित करती है।

कोविड टीकाकरण और कोविड प्रोटोकॉल के पालन के लिए संवेदीकरण/जागरूकता अभियान का भी आयोजन किया जाएगा। पोषण माह के दौरान (6 वर्ष से कम आयु के) बच्चों के लिए ऊंचाई और वजन माप के लिए एक विशेष अभियान चलाया जाएगा। गर्भवती महिलाओं के लिए स्थानीय रूप से उपलब्ध पौष्टिक भोजन की जानकारी को सामने लाने के लिए स्लोगन लेखन और इसे पकाने की विधि की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा।


क्षेत्रीय/स्थानीय भोजन के महत्व पर जागरूकता अभियान, पोषण किटों का वितरण जिसमें क्षेत्रीय पोषक तत्व से भरपूर भोजन (जैसे सुकड़ी-गुजरात, पंजीरी-पंजाब, सत्तू-बिहार, चिक्की- महाराष्ट्र) शामिल होंगे साथ ही एनीमिया शिविर, एसएएम बच्चों की ब्लॉकवार पहचान के लिए अभियान, बच्चों में एसएएम के प्रसार से निपटने के लिए एक पहल के रूप में 5 वर्ष की आयु तक के एसएएम बच्चों के लिए पर्यवेक्षण पूरक आहार कार्यक्रम, तीव्र कुपोषण के सामुदायिक प्रबंधन के लिए संवेदीकरण और एसएएम बच्चों के लिए पौष्टिक भोजन का वितरण भी किया जाएगा।

पोषण माह के दौरान, पोषण जागरूकता से संबंधित गतिविधियों को सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में जमीनी स्तर तक संचालित किया जाएगा। महिला एवं बाल विकास विभाग जैसे कार्यान्वयन विभाग/एजेंसियां आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के माध्यम से आशा, एएनएम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, स्कूलों के माध्यम से स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग, पंचायतों के माध्यम से पंचायती राज विभाग, और ग्रामीण विकास के माध्यम से स्वयं सहायता समूह इन गतिविधियों को अंजाम देंगे और महिलाओं एवं बच्चों का एक स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित करने के लिए पूरे महीने समग्र पोषण का संदेश फैलाएंगे।

हाल ही में एक आरटीआई के जवाब में, महिला और बाल विकास मंत्रालय ने कहा कि पिछले नवंबर तक उसने देश भर में छह महीने से छह साल के बीच के 927,606 गंभीर तीव्र कुपोषित (एसएएम) बच्चों की पहचान की थी।


इनमें से सबसे अधिक - 398,359 एसएएम बच्चे - उत्तर प्रदेश में थे और उसके बाद बिहार (279,427) थे। सीधे शब्दों में कहें तो, भारत में सभी अंडर -6 एसएएम श्रेणी के बच्चों में से लगभग 43 प्रतिशत उत्तर प्रदेश में हैं और 30 प्रतिशत बिहार में हैं (मानचित्र देखें: शीर्ष -10 राज्य जिनमें सबसे अधिक अंडर -6 एसएएम बच्चे हैं)। एसएएम पांच साल से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु के जोखिम को काफी बढ़ा देता है और ऐसे बच्चों को संस्थागत देखभाल की जरूरत होती है।

मंत्रालय ने पोषण माह के दौरान अंडर -6 बच्चों के लिए ऊंचाई और वजन माप के लिए एक विशेष अभियान आयोजित करने का भी दावा किया।

अंग्रेजी में खबर पढ़ें

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