जून में फिर चढ़ेगा किसान आंदोलन का पारा, दूध-सब्जी की सप्लाई रोकने की तैयारी
Mithilesh Dhar 25 Feb 2018 7:43 PM GMT
2017 किसान आंदालनों के नाम रहा। देश के कई हिस्सों में किसानों ने सड़क पर उतरकर विरोध किया तो कहीं दूध सड़क पर बहाकर। बावजूद इसके सरकार किसानों के मुद्दों से बेखबर है। इस साल तो साल के पहले महीने से ही किसान सड़क पर है। लेकिन जो जून में होने वाला है उससे नेताओं की कुर्सी हिल सकती है। इस साल जून में देशभर के किसान अपनी फसलों की आवाजाही रोक देंगे, शहरों तक दूध, सब्जी और फल नहीं पहुंच पायेगा। कुछ वैसा ही जैसा पिछले साल महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में हुआ था।
चंडीगढ़ में आयोजित पांचवीं किसान एकता की बैठक में कही गयी। बैठक में किसानों के कई मुद्दों पर चर्चा हुई। बैठक में इस पर सहमति बनी कि किसानों की महीने की कम से कम 18,000 रुपए की मासिक होनी चाहिए। सरकार इसे सुनिश्चित करे, ताकि किसानों का भला हो सके। एमएसपी जुड़ने के बाद अगर 18 हजार रुपए तक नहीं हो पाता उसकी भरपाई करे। सरकार किसानों की बात पर ध्यान नहीं दे रही है। इसके लिए इसी साल जून में पिछले वर्ष की तरह किसान दूध, सब्जी और फलों का बहिष्कार करेंगे और उसे आम लोगों तक पहुंचने नहीं देंगे। इसके लिए पांच ऐसे लोगों की टीम बनाई गयी है जो देशभर के किसान संगठनों को एक करेगी। अभी तारीख निश्चित नहीं की गयी है।
बैठक को संबोधित करते हुए कृषि अर्थशास्त्री देविंदर शर्मा ने कहा "इस वर्ष युवा किसान नेता आगे आ रहे हैं। ये अच्छी बात है। यह अपने आप में एक बहुत ही महत्वपूर्ण परिवर्तन है, जिससे कि कृषि नेतृत्व के भविष्य के लिए आशा की जा रही है। कई गंभीर विचार-विमर्श के बाद हमने किसानों के आम मुद्दों पर चर्चा की।"
बैठक में सभी किसानों ने कहा कि स्वामीनाथन आयोग द्वारा प्रस्तावित एमएसपी के साथ 50 फीसदी लाभ से किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं होगा। क्योंकि केवल 6% किसानों को ही एमएसपी का लाभ मिलता है। पंजाब के किसानों से जब पूछा गया कि क्या वे प्रदेश में गेहूं के एमएसपी में 150 रुपए बढ़ा दिए जाए तो उससे खुश होंगे तो किसानों ने इसका जवाब ना में दिया।
सरकार किसानों के मुद्दों पर ध्यान ही नहीं दे रही। किसानों के साथ बस वादे किये जा रहे हैं। इसलिए देशभर के किसान इस वर्ष जून में अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करेंगे, फूड सप्लाई रोकेंगे।देविंदर शर्मा, खाद्य एवं निवेश नीति विश्लेषक
केंद्र सरकार ने इस साल के लिए गेहूं के एमएसपी 1735 रुपए तक की है, जो कि स्वामीनाथ आयोग के अनुसार सी-2 कॉस्ट से 38 फीसदी अधिक है। अगर इसमें 150 रुपए और जोड़ दिया जाए तो ये बढ़कर 50 फीसदी हो जाएगा। लेकिन पंजाब के किसानों ने इस पर असहमति जताई। सभी किसानों और कृषि विशेषज्ञों ने सहमति जताई कि कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी Commission for Agricultural Costs and Prices) का नाम बदलकर फारमर्स इनकम एंड वेलफेयर कर देना चाहिए।
जून में देशभर के किसान अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शप करेंगे। इसके लिए पांच लोगों की टीम बनाई गयी है, जो देशभर के किसान संगठनों को एक करेगी। तारीख की घोषण इसीलिए अभी नहीं की गयी है। अन्य किसान संगठनों से बात कर इसे तय किया जाएगा।रमनदीप सिंह मान, कृषि विशेषज्ञ
किसानों का एक आयकर आयोग बनना चाहिए जो हर किसान के लिए 18,000 रुपए की न्यूनतम आश्वासन वाली मासिक आय प्रदान करे। एक अन्य मुद्दे पर भी सहमति बनी कि सभी पुराने बकाया ऋणों को माफ किया जाए और किसानों पर दोबारा कर्ज न लादा जाए।
More Stories