गुजरात: पर्यावरण बचाने के लिए गाँववालों की अनोखी पहल, हर खुशी में लगाते हैं पेड़

Ankit Kumar SinghAnkit Kumar Singh   8 July 2019 8:24 AM GMT

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गुजरात: पर्यावरण बचाने के लिए गाँववालों की अनोखी पहल, हर खुशी में लगाते हैं पेड़

तरभ (मेहसाणा )। कहते हैं प्रकृति मां है और इंसान उसका बेटा है, मां सदा प्यार देती है पर बेटा उसी पर अत्याचार करता है। जिसमें से एक है वृक्ष, जिसका संबंध मानव से कुछ सालों या कुछ दशकों का नहीं बल्कि युगों का है। मगर आज बदलते समय के साथ और अधिक की मनुष्य की बढ़ती आकांक्षाओं ने आज प्रकृति को तहस नहस कर दिया है, जिसमें वृक्ष सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।

लोग पेड़ों के न होने वाले नुकसान को भली भांति जानते है फिर भी पौधों को काट कर घर, उद्योग और भी न जाने कितने काम कर रहे हैं। मगर इन्हीं सामाजिक प्राणियों में से कुछ ऐसे भी लोग और गाँव हैं जो वृक्षों के न होने से आने वाले कुप्रभाव को समझ रहे है और अपने गाँव को हरा भरा करने की जिम्‍मेदारी भी उठा रहे हैं।

गुजरात राज्य की राजधानी गाँधीनगर से लगभग 100 किलोमीटर दूर मेहसाणा जिले के तरभ गाँव है। यहां लोग अपने गाँव को हरा भरा करने के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाने के आगे बढ़ रहे हैं। यह कार्यक्रम पिछले 5 सालों से चल रहा है, जिसका उदहारण है गाँव के प्रवेश द्वार पर बसा सरकारी स्कूल का मैदान। यहाँ हरियाली देख कर आपके मन में यह सवाल जरूर उठेगा कि वृक्षों को क्यों हरा सोना कहा जाता है।

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इस गाँव का कोई भी रास्ता या गली ऐसी नहीं है जहां पेड़ न लगे हो। तरभ गाँव की जनसंख्या लगभग दस हजार के आसपास हैं, वहीं यहां का मुख्य जीविकोपार्जन का साधन खेती और पशुपालन है। इसी गांव के रहने वाले कमलेश चौधरी बताते हैं कि आज जिस तरह से तापमान में निरंतर वृद्धि हो रही है और गर्मी बढ़ रही है। उसके बाद पार्यावरण के बारें में सोचना ही था। इस बार वर्षा भी बहुत कम हो रही है, जिसके प्रभाव से पूरी दुनिया जूझ रही है।

पिछले पांच साल पहले गाँव के जागरूक लोगों ने यह सोचा कि आखिर इस गर्मी से निजात कैसे मिले? तब हमने सोचा कि पेड़ पौधे अधिक से अधिक लगाया जाए। इस काम में गाँव के युवाओं ने भी अपना योगदान देना शुरू किया।

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शुरूआती समयों में पेड़ लगाने में काफी परेशानी हुई। मगर हम हार नहीं माने और इस अभियान को धीरे-धीरे आगे बढ़ा रहे हैं। आज गाँव में हरियाली देखने को मिल रही है। यह एक छोटा सा प्रयास है, इससे हम तापमान की वृद्धि को पूरी तरह रोक तो नहीं सकते मगर पूरा देश इस पर काम करे और पेड़ लगाना अपना एक अधिकार समझ ले तो बढ़ते तापमान को हम काफी हद तक रोका जा सकता है।

इस गांव में अधिकांश घरों के सामने आपको एक पेड़ लगा जरूर दिखेगा। वही लोग अपने खेतों में भी पेड़ लगा रहे हैं। साथ ही इस गाँव में कोई उत्सव हो या बच्चा पैदा हो तो गाँव के युवा संगठन उनके घर जाकर पेड़ गिफ्ट करते हैं। अब तक से लगभग छोटे बड़े पेड़ों को मिलाकर लगभग 6 हजार तक पेड़ लगाये जा चुके है।


   

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